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गौं बै शहर -यांकौ अगासै दुसौर छु (भाग-०८)

कुमाऊँनी नाटक, गौं बै शहर - यांकौ अगासै दुसौर छु, Kumaoni Play written by Arun Prabha Pant, Kumaoni language Play by Arun Prabha Pant, Play in Kumaoni

-:गौं बै शहर -यांकौ अगासै दुसौर छु:-

कुमाऊँनी नाटक
(लेखिका: अरुण प्रभा पंत)

->गतांक भाग-०७ बै अघिल->>

अंक बीस-

नरैण और पद्मा कं प्रयागराज पुजि हुई लगभग नौ दस म्हैण है गोन्हाल, पुर परिवार आब सबन दगै व्योवहार और यांक भाषा में बुलाण सिंक गो और विभिन्न अवसरन में कथैं कैसी बलानी के करनी लै उनार समझ में ऐयी गो फिर लै जो चालाक चतुराई और परिवर्तन चेलिन में आ, खासकर सुनीता में उ देखण लैकौक छी।  सुनीता कं देखबेर क्वे अंताज लगैयी नि सकन कि वीक जनम सुदूर पहाड़ में भौन्हौल।  वीक बलाण, उच्चारण,पैरण वैरण में जो शहरी पन आ उ नीता रीता और पद्मा में कम देखण में आ।

रीता उनैरि चेलि यद्यपि पढ़ाय में सबन है भलि छी पर और बातन में वीक ध्यान कम छी उ हर बखत आपण इजाक पछिल हिटणी, पढ़ाय घराक काम और भ्याराक मैसन दगै मेशीण में कम छी।  क्वे घर में आयौ तौ रिश्या जैबेर चहा बणूण, पाणि धरण में लागि जालि पर बिना बुल्यियै कभै कैका सामुणि नि उनेर भै।  आज नरैणाक पछ्याणाक कुछ मैंस जो मूलतः अल्माड़ाकै छि ऐई भाय तो जब उनूल पुछौ कि "उनार कतु संतान छन ? "

नरैण - हमार तीन चेलि छन, ठुलि छः में, बीचैकि चार में और नानि द्वि में पढ़नी।
पद्मा - ठुलि रीता जरा शर्मिल छु, भितेर हुनैलि, पढ़न लेखण में टोप दि राखें ज्यादातर या आपण इजि दगै लागि रैं, पर हमरि यो नानि चेलिकं सब पत्त छु, सबनाक घर नानतिनाक नाम।  यांक को बजार में के मिलूं सब जाणेंयो सुनीता।
नरैण - पर नीता भ्यार भितेर सब याक लगै राखैं।  गीद ढोलुक सिख हालौ वील, बिन सिखयियै सब सिख गे देख शुण बेर।
नरैणाक दगड़ू - चलौ सब भल रैयी चैनी।  आपुं बणन चाला नै कुमाऊ परिषद प्रयागराजाक सदस्य!
नरैण - हाय किलै नै।कतु छु सदस्यता शुल्क?
गुसाईं ज्यू--बस बीस रूपैं साल।
नरैण - बिल्कुल, अल्लै दिनु।
रमणीक शाह - वाह यो भै नै बात, 'तुरत दान महा कल्याण'
नरैण - लियौ दाज्यू, स्वीकार करौ और सब बतूनै रैया पै।
गुसाईं ज्यू - यो पत्रिका लियौ हो पुर सालौक कार्यक्रम लेखी छु।  हमैरि राम लिल लै हैं असोजाक नौर्तन में।  उतरैणिक म्याल लै लागूनू पुर पांच दिनौक हुं मकर संग्रात बै पुर पांच दिन अठ्ठार जनवरी जांलै।  पहाड़ौक सामान लै बेचनी कुछ जणि उमैं।
रमणीक शाह -- ब नय मैसनैक पछ्याण हुं अपुन यो ऐंतवाराक दिन रत्तै दस बाजि पुज जैया यो पत्त में सबन दगै पछ्याण हैजालि।  तुमार गौंक तरपैक लै मिल जाल, भेटगाठ हैजालि।  भौत भल मानीं वां सबन साथ मिल बैठ बेर।
गुसाईं ज्यू - हिटनू पै आब।
नरैण - दाज्यू खै बेर जाओ पै।
रमणीक शाह - नै नै फिर कभै मौक द्यूंल।

नरैण भैर जांलै उनन कं पुजैबेर भितेर आ और कूण लागौ- आज तनन दगै भेंट कर बेर आपण्यांट जौ चिता।  तौ हमार औफिसाक मार्फत पत्त लगे बेर यां तक पुजीं।  यो प्रयागराज में भौत्तै कुमाऊनी छन और सबनौक मेल-मिलाप करूनी तौ लोग।
पद्मा - कतु डबल दिं तुमूल?
नरैण - तूतौ  बस डबलाक पछिन पड़ जांछै।  बीस रूपैं दिं मैल सालभरिक के जियादे नि भाय, यो परदेस में चार मैस आपण तरपाक मिल ग्याय बातचीत हैगे, भलि बात भै।

क्रमशः अघिल भाग-०९->>

मौलिक
अरुण प्रभा पंत 

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