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कसि कुं पहाड़ी छूँ - कुमाऊँनी कविता

कसि कुं पहाड़ी छूँ - कुमाऊँनी कविता,kumaoni poem about pahari people leaving their tradition and culture, kumaoni bhasha ki kavita

कसि कुं पहाड़ी छूँ!!

लेखिका: रेखा उप्रेती

बड़बाज्यु'क लगाई डावाँ बटि
खूब फल खायि
जोड़ि-जाड़ि कारबार
सब बज्यायि
घर-कुड़ि छोड़ी
फरकि नि चा'इ
ठाट-बाट जो'ड़ि
मस्त है रा'यि
आब मार'ण्यू डाड़

दिगौ!! म्यर पहाड़।

न बिनौड़ धर
न पुत हाल
न हौ बा'य
न कुल्याय
न गोड़
न लवाय
बस भात खाय

ओहो रे!! म्यर पहाड़

पहाड़ गो'य
होट'लै रौ'य
कैमरा लटकै
बड़ दिखाय
ठान-ठिमान
फोटू खिंचि
फेसबुक में खिति
देखाइ दुन्नी कं शान

आहा रे!! म्यर पहाड़।

(रेखा उप्रेती), 18-07-2020

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