
कुमाऊँनी शेर-शायरी
रचनाकार: राजेंद्र सिंह भंडारी
बात बात में आँख दिखों जो बाप कें,
फिर उसि औलादल करण लै के हय।
निकलि जें सीधा जो ख्वर माथि बटी,
फिर ऊ भली बातल करण लै के हय।।
पछ्याण हई जैल ऊ दीवाल हई नां,
ऊ पक्की बुनियादल करण लै के हय।
छोड़ दयों जो त्यर हाथ दुनियक डरल,
यस ऊ कच्च सांथल करण लै के हय।।
एक तैंयार छू दुसर आदिम खून करहें,
ऊ धर्म जातल फिर करण लै के हय।
आपण लिजी बचड़ और मरड़ हय जैक,
भगवान देई सौगातल करण लै के हय।।
नीं बड़न जो हगिल दुनिय दुःख देखि भे,
काटि दियो ऊ हाथल करण लै के हय।
हालचाल नी पूछ एक दिन लै जिंदगी में,
ब्या दिन ऊ दाव भातल करण लै के हय।।
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