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रक्षाबन्धन - कुमाऊँनी गीत

रक्षाबन्धन - कुमाऊँनी दोहा और चौपाई,doha and chaupai chhand in kumaoni language, raksha bandhan festival, jajyo punyo tyar

"रक्षाबन्धन"

रचनाकार: मोहन चन्द्र जोशी
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रक्षाबंधन कि हार्दिक बधाई और शुभकामना। दोहा - भै बैंणीयॉ क् य त्यार, हँछ पवित्र रक्षाबन्धन। भै - बैंणी कि जसि प्रीति, दुनि में कैंलै नि हन।। चौपाई - जगत जो स्नेह पवित्र रई छू। उ भै बैणियोंकि माइ कइ छू।। जन्यो-पुन्यों की परब य आई। त्यार विशेष बैंणि औ भाई।। तिलक लगैंछ मुख दिछ मिठाई। बैंणी भै कौंणीन बधाई।। रक्षाबन्धनक् त्यार य कवाई। बैंणी बाधें धाग् भैकि कलाई। भैकैं राखी बाधि दक्षिण ल्हिछ। भैलै खुशि मन बैंणीकैं दिछ।। बैंणीं क् उ धागा रक्षा करँछ। बैंणी कि रक्षा करल भाई य।। परवी सौंण म्हैंण कि पूर्णिमा | मधुर लग् अमर य भै-बैणि का।। पुरोहित द्वार जनेउ दिहुँणीं जजमानोंक् निसरौव ल्हिहुँणी।। जन्यो लै बदवणकि भलि रिवाज। कदु भल छू त्यार हमर य आज।। .....................................................................
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मोहन जोशी, गरुड़, बागेश्वर। 22-08-2021

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