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शिक्षक दिवस पर - कुमाऊँनी कविता


शिक्षक दिवस पर

रचनाकार: भारती दिशा

सबुकैं सादर अभिवादन।
मैं लै सबै ज्ञानदाताओंक, 
सादर नमन करी रयूँ
जाँ-जाँ बटि जे लै सीख रखौ,
उइक अभिनंदन करी रयूँ। 
शिक्षक दिवसैक शुभकामनाएं।

अनादि काल बटी शिक्षक बणि बेर,
ऊ सिखा रैछी हमुको।
जगतैक  ज्ञान दाताक,
परिचय देण लागरै सबुन को।
जिज्ञासाक जब बटि आंँख खुलि रै, 
इजा जसि ऊ पालनहार बनी रै।

हर नान्तिन को उइकी, 
ममतामयी गोदि मिली है।
मानव सभ्यताक पैली गुरु,
प्रकृति ही बनी रै।
ओहो मनै! अकृतज्ञ है बेर,
त्वील उइकी कसी गति करि हैली।
ज्वे लै  त्यारे गुरु भईं
उन सबैक दुर्गति करि हैली।

नैह गो सम्मान रसातल,
त्यर अभिमान बड़ हैगो
जुटै बेर सबै संसाधन,
तू कतुक खोखल हैगो।
आय तो समझ ऐ गो  हुनल,
किलै भारत विश्व गुरु  थ्यो।
ज्ञान शिरोमणि है बेर यौ भूमि पर,
सदा गुरुओंक सम्मान बड़ थ्यो।

हर कर्म में, सर्वे भवन्तु सुखिन: का,
कल्याणकारी भाव भर्यो थ्यो।
विनीत भावैल सबुन सीखौ,
पर अकृतज्ञ भाव नी भयो।
ज्वे लै अर्जित किया ज्ञान बटि
सबै समाज हित लै भयो।

सदा उपकारी यौ धरती लै
बणिबेर सबुनै सिरमौर कियो।

भारती दिशा
मैं लै सबै ज्ञानदाताओंक, 
सादर नमन करी रयूँ
जाँ-जाँ बटि जे लै सीख रखौ,
उइक अभिनंदन करी रयूँ।

भारती दिशा, 05-09-2021
भारती दिशा जी द्वारा फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी शब्द सम्पदा पर पोस्ट से साभार

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