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रीस - कुमाऊँनी कविता

रीस - कुमाऊँनी कविता,kumaoni poem about the anger of nature of disaster,paryavaran ke kahar or aapda par kavita

रीस

रचनाकार: ज्ञान पंत
एक पुरांणि रचना (फोटो My Pithoragarh बटी टिप राखी)

एक पहाड़ैलि दुहा्र पहाड़ थैं कौछ 
मैलि ते कैं 
योई लिजी पालौ-पोशौ 
मैंस बणांछ 
कि, एक दिन तु ले म्यार काम आलै 
मगर, त्वीलि त हद्द हांणि देछ 
तु भाजण लागै 
बा्ब कैं बा्ब कूँण में ले 
शरमाण् लागै.....

और त और 
म्यार थिकाव फाटि, टाल हालीं 
जास् ले छी 
उननै लुछि-लाछि बेरि 
नङांण करण में लागै.....?

हुन - हुनै योई बात 
दुहारैलि तिहार् थैं 
तिहारैलि औरन थैं ले कै देछ 
आब् कि हुंछी 
सबनां खापन ताई लागी छी....

फिर एक दिन 
पत्त नै 
उनलै कि सल्ला जसि करी 
आपणै नान्तिन्नां ख्वारूँन 
ठुल्ला ठुल ढुँङ 
खितण शुरु करि दीं!
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Oct 20, 2021
...... ज्ञान पंत
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार

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