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ईजा है ठूल जिन होया

कुमाऊँनी कविता-ईजा है ठूल जिन होया,ija ya maa se bada koi nahi hai,we can be greater than mother


ईजा है ठूल जिन होया

रचनाकार: राजू पाण्डेय


नानछिना और ईजै-काखि फौम जिन खोया
खूब  ठूला होया  पर ईजा है ठूल जिन होया।

आपनो पेट काटी काटी  हाम पाल्या पोषया
मयाली ईजा के भुखी राखि कभै जिन सोया।
खूब  ठूला होया  पर ईजा है ठूल जिन होया।
कतुक पाज माफ करि कति पिटन है बचाया
भूलि लै कभै  ईजा बे तुम नराज  जिन होया।
खूब  ठूला होया  पर ईजा है ठूल जिन होया।।

कभै किस्सा  कहानी  कभै  गीत गा  सुलाया
आगझै आपनी बातो लै उके कभै जिन पोया।
खूब  ठूला होया  पर ईजा है ठूल जिन होया।।

"राजू"  मजबूरी  की दूरि  कभै लै  है सक्छि
कोई लै कभै मन बठी ईजा है दूर जिन होया।
खूब  ठूला होया  पर ईजा है ठूल जिन होया।

शब्दार्थ :
ईजै-काखि - मां की गोदी। 
फौम - अहसास।
जिन खोया - मत खोना। 
पाज - शैतानी
आगझै - जलती। 
पोया - जलाना।
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~राजू पाण्डेय, 16-01-2021
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