'

गूड़ गाथा

गूड़ गाथा-कुमाऊँनी लेख,article about jaggery in kumaoni, gud ki upyogita par kumaoni lekh

-:गूड़' गाथा:-

लेखिका: रेखा उप्रेती

ह्यूँन लागि रौ।  अजान चहा दगड़ि गूड़'कि डइ कदु भलि  लागं नै!!  जब लै मी गूड़ दगड़ि चहा'क घुटुक लगुनु, मीं कं घरुँ पना'क ऊ माहौल याद ऐ जां....
आहा रे!! कस जमान छी नै!! गूड़ जस मिट्ठ...पितव'क लम्ब गिलासन में ,कितेली बटी तुर-तुर चहा'कि धार ... भेलि बटिक गूड़ फोड़ि बे एक-एक टुकड़ सबन कैं मिलनेर भौ'य... 

जब लै इज दुकान'बटि सौद लिहुं गेयि त एक भेलि गूड़ लै ज़रूरै उनेर भौय...चिनि त केवल पौण-पच्छी आया, तबै निकलनेर भई । भौत्ते है गोय त मिसिर मिल जानेर भई ,कटकी लगुहूं... गूड़ रोजै कै दगड़ी भौय... 
शुभ काम लै गूड़ बिना कां हुनेर भाय!
नान्तिन भया त पैलि गूड़  बाटिनेर भौय... च्यल है गयौ त वीक ठुल बैणिक पुठ में भेलि फोड़न भई....मीं कं याद छू, जब बसंत-पंचमी दिन तलि कुड़ी'कि आम'ल म्यर कान-नाक छेणिं त घ्यू-गूड़ खवाई गोछी... ब्या काज भया त, लाडु और हल्लू में गूड़'क पाग खित नेर भयाँ... 

होलि'नक बाद जब छलड़ि है गेयि त गूड़'कि भेलि फोड़ि बेर पुरै गौं में बाटि जानेर भौय। 
दिदी'ल सन्तोसी माता'क बर्त कर त गुड़-चाँण मिलनेर भाय,पै दिन भर डर लागि रुनेर भै कि  कैं भुलि बेर खट्ट खाई जालौ त पाप लागौल... 
गई - पिगई गूड़ त देखि बेर खाण हूँ मन नि करनेर भौय...हाँ, ग्वाव'क टुकड़ दगड़ गूड़ मिल गयो त टूंगण में आनंद उनेर भौय...
अरे!! गुड़-गाथा लेखण में म्यर चहा अरड़ है गो...

आ'ब मी चहा ततुनँ हूँ चुलपन जानु ...आपु कै ले के याद ऊणौँ छ त बताया.... 

रेखा उप्रेती, 26-12-2020

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ