
शकुनाखर (चेलि बेटियों विदाई गीत-१)
=(प्रस्तुति - तारा पाठक)सुन सुन हो मेरे बालम,
राजा नंद पडो़शी मत बोलिये।
बहिना पडो़शी मत बोलिये।
जोई जोई देखै सोई सोई मांगै,
नित उठि करै मोसे रार ए।
सुन सुन मेरी ओच्छी बहुरिया,
ओच्छो बचन मत बोलिये।
गरब बचन मत बोलिये।
पूरी कचौरी मेरे बालक जीमैं,
बासमती मेरे भानिजा।
मलमल पैरैं बालक मेरे,
मखमल मेरे भानिजा।
सुन सुन री मेरी छोटी बहुरिया,
खोटो बचन मत बोलिये।
गरब बचन मत बोलिये।
आंगण पटागंणी खेलैं बालक मेरे,
महला दो महला मेरे भानिजा।
पूत जो ब्याहूं ,बहुवा जो लाऊं।
भानिज बेवाऊं नाम हो।
(शुभकाज में शुरुवात में चेलि बेटियों कैं न्यूंतणक् रीत छ त काम सम्पन्न हुंण पर उनन सम्मानपूर्वक विदा करणक् लै रिवाज छ। यो गीत में बोजी कैं कि- आपणि बैणि कैं विदा करि दियो, आब काम निभ गो। यै कैं आसपास नि रूंण दिया, यो म्यार पास जे लै देखैं वी मांगि ल्हैं। तब दाद कूं -त ओच्छी बात नि कर। म्यार नानतिन पुरि कचौरि खाला, भांण्ज बासमति खाल। म्यार नानतिन भिडि़ बानणि खेलला, भांण्ज दोपुर में खेलाल। आपण च्यलौ ब्या करुंल त ब्वारि आलि लेकिन भांण्जौ ब्या करुंल त पुन्य होल, मेरि बैंणि इज्जतैल रौलि।)
फोटो सोर्स गूगल

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