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चातुर्मास का हरियाला व डिकरे पूजा का त्यौहार


चातुर्मास का हरियाला व डिकरे पूजा का त्यौहार, Hariyal aur Dikre pooja, Harela mein Dikre ki pooja

चातुर्मास का हरियाला 

व डिकरे पूजा का त्यौहार
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(लेखक: जगमोहन साह)

कुमाऊँ में वैसे तो, हर मास की संक्रांति को कोई न कोई त्यौहार के रुप में मनाया जाता है। श्रावण मास की संक्रांति के दिन मनाये जाने वाले त्यौहार को चातुर्मास का हरियाला कहते है। महिलांए, इस पर्व के आयोजन की तैयारी कुछ दिन पूर्व से शुरू कर देती है। हस्त निर्मित भोली शंकर के परिवार की लाल मिट्टी की प्रतिमाऔ का निर्माण करती है जिन्हें डिकारे या डिकरे कहते है। 

लाल मिट्टी से गढ़े गये, ये शिव-पार्वति, गणेश, विनाएक आदि की बहुरंगी आकृतियां देवताथान (पूजास्थल) को और अधिक आकर्षक व सार्थक करती हैं। हमारे घर में ये डिकरे (नीचे चित्र में) हमारी ईजा (स्वर्गीय श्रीमती धनी साह, लाला बाजार, अल्मोडा़ निवासी) के हाथों से बने अभी तक सुरक्षित है, इन को ही हर वर्ष थोड़ा रंग रोगन कर पूजते हैं।
चातुर्मास का हरियाला व डिकरे पूजा का त्यौहार, Hariyal aur Dikre pooja, Harela mein Dikre ki pooja


हरेले दिन घर के बुजुर्गो द्वारा बच्चों को दिया जाने वाला आशिर्वाद (विशेष) बचन इस प्रकार होते हैं।
"जी रये, जागि रये, तिष्टिये, पनपिये,
दुब जस हरी जड़ हो, ब्यर जस फइये,।
हिमाल में ह्यूं छन तक,
गंग ज्यू में पांणि छन तक,
यो दिन और यो मास भेटनैं रये,
अगासाक चार उकाव, धरती चार चकाव है जये,
स्याव कस बुद्धि हो, स्यू जस पराण हो।”
(हरेला तुम्हारे लिए शुभ होवे, तुम जीवन पथ पर विजयी बनो, जागृत बने रहो, समृद्ध बनो, तरक्की करो, दूब घास की तरह तुम्हारी जड़ सदा हरी रहे, बेर के पेड़ की तरह तुम्हारा परिवार फूले और फले। जब तक कि हिमालय में बर्फ है, गंगा में पानी है, तब तक ये शुभ दिन, मास तुम्हारे जीवन में आते रहें। आकाश की तरह ऊंचे हो जाओ, धरती की तरह चौड़े बन जाओ, सियार की सी तुम्हारी बुद्धि होवे, शेर की तरह तुम में प्राणशक्ति हो)
 
हरेला त्यौहार से डिकरा पूजन एक दिन पूर्व  संध्या को होता है।  हरेला त्यौहार के लिए 11 दिन पूर्व दो छोटी टोकरियों में सात अनाज बोये जाते है, इसे हरेला बोना कहते है।  कुछ कुमाऊँनी परिवार 10 दिनों का हरेला भी बोते है।
(प्रस्तुति: जगमोहन साह, लाला बाजार अल्मोड़ा)
 
जगमोहन साह जी द्वारा फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी पर पोस्ट

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