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ले टौफी खाये

कुमाऊँनी किस्सा-ले टौफी खाये, article about kumaoni rural lifestyle, kumaoni gramin janjivan ka kissa,kumaoni culture

ले टौफी खाये 

लेखक: विनोद पन्त 'खन्तोली'

हमार बचपन में हमन कें डबल यानि कि पैंस मिलनेरे नि भाय।  उ टैम पर जेब खर्च कि हूं हमन के पत्त नि भै, यो तो जरा ठुल हैबेर पत्त चल कि शहरा क नानतिनन कें जेब खर्च मिलौं बल।  पहाड में यो नै कि गरीबा क नानतिनन कें डबल नि मिलछी जो जरा सेठ जस ले होल तबले आपुण नानतिनन कें डबल नि दिनेर भाय।  धारणा यो भै कि डबल दिबेर नानतिन बिगड जानन, तनैरि चट्टु जिबडि हैजालि।  हालाकि के चट्टु जिबैडि हूंछी खाणी पीणी चीच गिणी चुनी हुनेर भै, ल्हि दिबेर एक ग्लूकोज वाल बिस्कुट, बिलैमिठ्ठै और मिसिरिक कुन्ज।  और कती म्याल ठ्यालन में गे तो मूमफलि और स्यो गाट्ट(स्यो मतलब सेव नही), कबै जलेबि बस।

बिलैमिठ्ठै या मीठ चीज खाणमेॆ कूनेर भाय मीठैलि हड्ड गलि जानन, पेट में जुग होल।  आब राय फल फूल क्याव वगैरह तो उ घरै में हुनेर भै तो हमन के क्रेज नि भै यो चीजनक।  कबै बिजयपुर या कान् (काण्डा) या बागसेर गे बाबू दगाड तो पकौडी मिलनेर भाय, उ ले क्वे क्वे खुशनसीब नानतिनन।  डबल तो हमन तबै मिलनेर भाय जब क्वे पौंण मेहमान आय उ जांण बखत दि जाल तो।  मेहमान जब ले डबल द्याल तो यो कूनेर भै - ले ईजा टौफी खाये।  पर हम उ डबलनक टौफी ले नि खै सकनेर भयां।  किलै कि हमर डबलन पर ईज बाबू कि नजर रूनेर भै।  उ डबल या तो ईज कें दिण भै या आपुण पास धरण भै तो यो शर्त पर आपुण पास धरणकि इजाजत मिलनेर भै कि खाल्लि झन फुकिये।  खर्च नै करिये या तैक अन्ट सन्ट चीज नि खाये, अन्ट सन्ट चीज मतलब टौफी।
   
मेहमान लोग जब जाल तो तब यो डबलनक लेन देन जछैं पिठ्या लगूण कूनेर भाय वीक डायलाग ले जोरदार हूंछी।  मेहमान छें कयी जानेर भै - खाल्लि शकून करनयूं या के नहाति - खालि हात में हात च्यापण लागि रयूं।  क्वे ग्वाल वाल मेहमान होल तो वीछें कूनेर भाय, के नहां खालि ग्वालक दांण छ, ल्हिजाओ शकून हुनन।  मेहमान मुखलि तो कौल यो डबल किलै दिणौछा पर डबलनाक लिजी तुरन्त हात अघिल ले बढाल।  यो द्विये कार्य एकै दगाड हुनेर भाय, ग्वाल लपकते हुए मेहमान कौल ग्वालक बबाल किलै करौ सुपारि कणिक दि दिना और ग्वाल कें फटाफट बास्कटाक जेबन खोसाल।  डबल मेहमान कें मोडि माडि बेर हात में जोरैकि च्यापी जाल।  मेहमान ले मुठ्ठी कें जरा ढील टाइट कपते हुए अन्ताज लगूणकि कोशिश करौल कि पांच क नोट छै या दस क।  क्वे क्वे अथाँण यास ले भै फटाफट ऐकौर जैबेर चै आल।
 
खैर हमन यो ग्वाल या डबल दगाड के मतलब नै,  हम तो हमन कें मिलणी डबल पर लालायित रूनेर भयां।  जब तक हमन डबल नि मिल तब तक मेहमान कें छोडनेरे नि भयां।  कबै कबै तो यो डबलनाक चक्कर में चार चार बार मेहमान छें खुट्टी चार कूण पडनेर भै।  हम नानतिनाक लिजी उ रिश्तेदार सबसे भल भै जो हमन ज्यादे डबल देल।  चार आन आठ आन या एक रुपें वाल मेहमानैकि कैटेगिरी हम नानतिनैलि बणाई भै।  क्वे मेहमान अगर एक रुपे दि गे और वीक जाई बाद भले ही ईज बाबू वीकि बुराई करो फिर ले हमर लाडिल तो एक रुपें वाल मेहमानै भै।

हम रिश्तेदारन कें नाम या रिश्तैलि कम पछ्याणनेर भयां, डूलनैलि ज्यादे पछ्याणनेर भयां।  अगर चिठ्ठी आई होलि तो हम नानतिन फसक करनेर भयां .. को मौसी क चिठ्ठी ऐरै तो क्वे भै या बैणि बतालि जो उदिन हमन एक एक रुपें दी गे।  क्वे रिश्तेदार जाण बखत एके कें डबल दि जाल कि सप्पै बाट लिया हां टुटी नहातिन।  हमर लिजी आफत तब भै जब रिश्तेदार एक रुपें दि जाल और सबन बाटिया कौल।  आब द्वि यार भै बैणी भै तो बटवारा आसान भै , अगर तीन भै बैणी भै तो!  तीस तीस डबल बाटि बाद आब दस डबलक कि करो? फिर भै बैणियन में काटाकाट भै।
 
डबलनाक लिजी हम पत्त नै के के काल बिकाल करनेर भयां।  मीलि तो चौबट्टी में कैके छल पुजी, गाड गध्यारन रोस हंकार पुजी जाग बटी ले डबल टिपि राखन।  और नानतिन तस जागन जांण में ले डरनेर भाय, पर मेकें डर नि लागनेर भै फिर यो ले भरोस भै कि मेरि ईज बिभूत लगूनेरे भै मी डर जूल या छल लागौल तो ईज ठीक कर देलि।  
  
हमर घर क पार बटी एक टान् क भ्योव भै, वीक उड्यारन तालगूं वालनाक भूत भाय।  जब उनार भूत पुजै भै तो मेरि दावत भै दसार दिन, मी उनार पुज हई बाद जानेर भयूं और भूताथान चडाई पांच दस डबल जे ले भै टिप लाय।  लेकिन उ डबलनैकि चीज ले चोरि छिपि खाण भै, नतर घर वाल पुछाल डबल कां बटी आइन!  कबै तबै हिटन बाट डबल पाई ले जानेर भाय।  कति बरेति जाणक दुर्लभ मौक मिल तो डबल वां बटी ले मिलनेर भाय।  लेकिन बबाल वी भै हिसाब तो घर वालन दिण भै।  घर वाल क्वे चीज मगाल तो डन्डी मारण ले संभव नि भै, दुकान हमन टुटि डबल दिबेर भेजीनेर भै, एक कम नै एक बाकि।

एक बार डबल टपूण क एक बात याद उणै, हमार घर जागर लागी भै, दुसार दिन रत्ति ब्याण जाल काटणक प्रसंग चली भै।  एक माण में जगरियलि धाग लपेटी भै, उ माण में डबल हालण भै फिर जाल काटण भै।  मेकें ले ईजलि दस डबल द्याय कि माण मे डालिबेर जाल काटिये।  मेके लालच ऐगोय, मीलि सोचि बिन डबल डालियें जाल काटण होल दस डबलकि टौफि खूल।  मेर जाल काटणक नम्बर आय आब जगरियेलि तान छोडि, विनोद चन्द्र ज्यु काटला आबअअअअअअ, लुहवासुरी जालअअअअ, जाल काटियकौऔऔऔऔऔ बड पुण्य हूंछौ, होओओओओओओओ .....।

मीलि डूल हथगई में च्याप और जाल काटण लाग्यूं।  जगरि कि नजर पडि गे शैद, वीलि बीच में रुकिबेर कौय, पैली डबल खितो गुरु।  पर गुरु तो  गुरू भोय .. खित हालन कैबेर अलबलानै जाव काट।  जगरि गजबची गोय  खैर वीलि आपुणि लाइन पुरि करि, मीलि जाल काटते ही टौफी लूणा लिजी दुकान उज्याण दौट लगै दी।

विनोद पन्त' खन्तोली ' (हरिद्वार), 22-06-2021
M-9411371839
विनोद पंत 'खन्तोली' जी के  फ़ेसबुक वॉल से साभार
फोटो सोर्स: गूगल 

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