शकुनाखर - चेलि बेटियों विदाई गीत २
(प्रस्तुत -तारा पाठक)घर जानी सुभद्रा देही, अन्नपूर्णा देही देली अशीष।
जियौ तुम ददज्यू मेरा,
ताऊ मेरा ,बबज्यू मेरा ,ककज्यू मेरा,
भाऊ मेरा लाख बरीष।
बहुवा तुमारी जनम आईवान्ती,
बहुवा तुमारी जनम पुत्रवान्ती।
घर जानी (परवारा बेवाई अणबेवाई चेलियों नाम-ठुल बटी नाना क्रम में) देली अशीष।
जियौ तुम ददज्यू मेरा,
ताऊ मेरा,बबज्यू मेरा,ककज्यू मेरा,
भाऊ मेरा लाख बरीष ।
बहुवा तुमारी जनम आईवान्ती,
बहुवा तुमारी जनम पुत्रवान्ती।
(कामकाज में तबै संपूर्णता ऐं जब चेलि बेटी ऊंनी।लेकिन जब विदा हुनी सबों आँखों में आँस दि जानी और दि जानी भौत सार अशीष।इनर अशीषै हुं जो मैतियों देइ सदा फुलि फलि रैं।)
0 टिप्पणियाँ