गिर्दा का कुमाऊँनी गीत - हुलरि ऐगे ब्याल।
पार पछ्यूँ धार बटी,
माठू-माठू ठुमकि-ठुमकि,
रतग्यालि जै छबिलि सुघड़ि,
हुलरि ऐगे ब्याल।
गौनन् गोरू बाछन दगै,
मोहनै कि मुरुलि रणकी,
बिनू बिजौराक् गाल में,
लटकी घंटुलि खणकी।
अदम बाटै खालि घौड़ ल्ही,
बांवरी राधिका जसी,
ठाड़ि है गे ब्याल।
हवा पड़ी फागुण की,
बणपरी नाचण फैगे,
फर- फर-फर सुहागिलिनाक्आं,
चल उड़ण फैगे,
मारि गो क्वे पिचकारी,
सतरंगी रंगभरी,
चइयै रैगे ब्याल।
लाल भै कांसिल बादल,
सुनाणि धूं-हिमाल हैगो,
वार-पार डान-कानों में,
नारंगी रंग फोकी गो,
जोबन देखि आपुंण आफी,
राजुला सौक्याण जसी,
शरमैगे ब्याल॥
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