'

मुहावरे और लोकोक्तियाँ कुमाऊँनी भाषा में (भाग-०६)

कुमाऊँनी भाषा के कुछ प्रचलित मुहावरे और लोकोक्तियाँ और हिंदी अर्थ Idioms and phrases Kumauni language and hindi meaning

कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ


यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:- 

ख्वार बटि खड्ड खोद बेर लड़न 
अर्थात 
अत्यधिक बहस और तर्क करना 

ख्वार बटि सुर्याव खोलण 
अर्थात 
बहुत ही कठिन कार्य 

खवाई बरेती, भुग्तायी गवाह
अर्थात 
काम निकल जाने के बाद व्यक्ति का महत्व ख़त्म हो जाता है 

खर्चो न खाओ, चोर हूँ पहरावो...
 अर्थात
जरुरी खर्च में भी कंजूसी करते हुए धन संचय करते रहना

खवै पिवै क्ये नै, बीच बाट मारणहूँ ऐ 
अर्थात 
किसी का सम्मान करने बजाय विवाद करना 

खाड़ाक पिनाव खाडै में रै 
अर्थात 
किसी स्थान तक ही सीमित रहना (कूप मंडूप)

खाण बखत कपाई फुटि 
अर्थात 
अंतिम समय पर होते होते काम में विघ्न पढ़ना 

खाप सुकै दिन 
अर्थात 
दुसरे को निरुत्तर कर देना 

खाय गुड़, बताय पिनाव 
अर्थात 
करना कुछ कहना कुछ 

खायि पी आंग लाग, ली दि दगड़ रै 
अर्थात 
जो होने खाया वह शरीर को लगता है और जो लेन देन है वह अपने साथ रहता है 

खायी के जाणो भुकै बात
अर्थात
जो दर्द झेल रहा होता है वही दर्द को समझ सकता है

खालि छै ब्वारि, म्यर बल्दौक पूछड़ कन्या 
अर्थात 
दुसरे  खाली देखकर उसे व्यर्थ का कार्य करने  कहना 

खांण पिण हूँ क्ये नै, धणि लाशण में जोर
अर्थात 
हैसियत ना होने पर भी दिखावे पर जोर देना

खुटाक ताव उड़न 
अर्थात 
बहुत ज्यादा मेहनत करना 

खेति पाति क्ये नै, बण गौंक पधान 
अर्थात 
बिना किसी हैसियत के शेखी बघारना 

खै नि जाणो कसम कांगो, नाच नि जाणो खाव बांगो 
अर्थात 
अपना दोष दूसरों पर मढ़ना

खै पी बेर जत्ती जस है रौ
अर्थात
व्यक्ति का हृष्ट पुष्ट होना

सभी पाठकों से उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।

<<पिछला भाग-५>>                                                                                                      <<अगला भाग-७>>

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ