
कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ
यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-
क्ये शोकैल खै, क्ये रोगैल खै
अर्थात
रोग और शोक एक साथ होना और ऐसा ऐसा होने पर व्यक्ति का बचना मुश्किल हो जाता है
कण्टर बांधण
अर्थात
बोरिया बिस्तर सहित बाहर करना
काच आरु लौण हुण तोड़ी
अर्थात
अनुभवहीनता वाले कार्य करन
काणिक ब्या में नौ खचाव
अर्थात
विवादास्पद व्यक्ति के हर कार्य में समस्या
कांण भैंसाक ज आंख
अर्थात
एक ही पक्ष को देखना या जिधर मन किया उसका पक्ष करन
काँ जै भट्ट भूट, काँ जै चिड़ चिड़ उठ
अर्थात
कहीं की बात में कही विवाद करन
काँ जै गरज, काँ जै बरस
अर्थात
कोई तालमेल ना होना
काँ तक जालै माछा तू, आलै म्यारै ग्वाद
अर्थात
हर किसी की एक सीमा है जिस सीमा के बाहर वह नहीं जा सकत
काँ राजुली शौक्याण, काँ जै दानपुर
अर्थात
मनुस्य तथा जगह का कोई तालमेल ना होना
काँ राजै की राणि, काँ भगतुवै कि काणि
अर्थात
दो बेमेल व्यक्तियों की तुलना करना
कुकुर में बिराऊ लफाउण
अर्थात
किसी को जानबूझकर मुसीबत में डालना या झगड़ा करवान
कुकुराक घर कपास
अर्थात
किसी वस्तु की क़द्र ना करना
कुकुरा जब नि औं त्यार गौं, काँ बै बुकालै मेरि मौ
अर्थात
जब किसी से सम्बन्ध ही नहीं रहेगा तो उसका रौब कहां चलेगा
कुकुराक पूछड़ में थेलुवा बाँधौ, आजि बाँगो, आजि बाँगो
अर्थात
कुत्ते पूंछ टेढ़ी की टेढ़ी या कोई फ़र्क़ ना पड़ना
कुकुर मुख लगै थोव चाटो, ज्वे मुख लगै, चुई काटो
अर्थात
किसी को भी जरुरत से ज्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए
कुनई क्ये देखछा, मुनई देखो
अर्थात
भाग्य नहीं मनुष्य के कर्म देखो
कुल्ली जै छै, चै के रौछै?
अर्थात
व्यक्ति का जो काम है उसे उस पर लग जाना चाहिए
कुल्याड़िक घौ, हन्तरौक बुज
अर्थात
किसी समस्या/बीमारी का सही हल/ईलाज ना करना
को लाय काठि पाति, को लाय चुल।
खाण बखत हैरिं, सब ठुलै ठुल।
अर्थात
बिना मेहनत के खाने वाले ज्यादा होते हैं
को जै रयो, को जै रौल.......
अर्थात
सबको एक दिन मर जाना है, अमर कोई नहीं है
कौंण कै एरौ फिर बुलाण, चुप रौणै सोचि नि माणन पराण
अर्थात
दिल की बात हर हाल में जुबान पर आ ही जाती है
कौतिकै कि आँखि घर नि जाणि, ग्यूं कि खापड़ि मडु नि खाणि
अर्थात
अगर आँखों और जीभ को अच्छी वास्तु मिल जाये तो साधारण वस्तुएं पसंद नहीं आती
कौ लाटा काथ, सुण काला तू,
स्यूड़ हरै गोछि, चा काणि तू,
अन्वौ कौ घर लूटौ, दौड़ डूना तू
अर्थात
अक्षम व्यक्ति को कार्य का वितरण
उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।
कांण भैंसाक ज आंख
अर्थात
एक ही पक्ष को देखना या जिधर मन किया उसका पक्ष करन
काँ जै भट्ट भूट, काँ जै चिड़ चिड़ उठ
अर्थात
कहीं की बात में कही विवाद करन
काँ जै गरज, काँ जै बरस
अर्थात
कोई तालमेल ना होना
काँ तक जालै माछा तू, आलै म्यारै ग्वाद
अर्थात
हर किसी की एक सीमा है जिस सीमा के बाहर वह नहीं जा सकत
काँ राजुली शौक्याण, काँ जै दानपुर
अर्थात
मनुस्य तथा जगह का कोई तालमेल ना होना
काँ राजै की राणि, काँ भगतुवै कि काणि
अर्थात
दो बेमेल व्यक्तियों की तुलना करना
कुकुर में बिराऊ लफाउण
अर्थात
किसी को जानबूझकर मुसीबत में डालना या झगड़ा करवान
कुकुराक घर कपास
अर्थात
किसी वस्तु की क़द्र ना करना
कुकुरा जब नि औं त्यार गौं, काँ बै बुकालै मेरि मौ
अर्थात
जब किसी से सम्बन्ध ही नहीं रहेगा तो उसका रौब कहां चलेगा
कुकुराक पूछड़ में थेलुवा बाँधौ, आजि बाँगो, आजि बाँगो
अर्थात
कुत्ते पूंछ टेढ़ी की टेढ़ी या कोई फ़र्क़ ना पड़ना
कुकुर मुख लगै थोव चाटो, ज्वे मुख लगै, चुई काटो
अर्थात
किसी को भी जरुरत से ज्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए
कुनई क्ये देखछा, मुनई देखो
अर्थात
भाग्य नहीं मनुष्य के कर्म देखो
कुल्ली जै छै, चै के रौछै?
अर्थात
व्यक्ति का जो काम है उसे उस पर लग जाना चाहिए
कुल्याड़िक घौ, हन्तरौक बुज
अर्थात
किसी समस्या/बीमारी का सही हल/ईलाज ना करना
को लाय काठि पाति, को लाय चुल।
खाण बखत हैरिं, सब ठुलै ठुल।
अर्थात
बिना मेहनत के खाने वाले ज्यादा होते हैं
को जै रयो, को जै रौल.......
अर्थात
सबको एक दिन मर जाना है, अमर कोई नहीं है
कौंण कै एरौ फिर बुलाण, चुप रौणै सोचि नि माणन पराण
अर्थात
दिल की बात हर हाल में जुबान पर आ ही जाती है
कौतिकै कि आँखि घर नि जाणि, ग्यूं कि खापड़ि मडु नि खाणि
अर्थात
अगर आँखों और जीभ को अच्छी वास्तु मिल जाये तो साधारण वस्तुएं पसंद नहीं आती
कौ लाटा काथ, सुण काला तू,
स्यूड़ हरै गोछि, चा काणि तू,
अन्वौ कौ घर लूटौ, दौड़ डूना तू
अर्थात
अक्षम व्यक्ति को कार्य का वितरण
उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।
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