
कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ
यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-
गढ़वाल कटक तो कुमौं सटक, कुमौं कटक तो गढ़वाल सटक
अर्थात
अवसरवादी होना और विपत्ति से भाग जाना
गलत करला तो चुई बाट निकलौल
अर्थात
गलत करने की सजा मिलेगी
गरिबैकि बात बूस जसि उड़नि भै
अर्थात
गरीब की बात को सब हल्के में लेते हैं
गरिबैकि ज्वे, सबूंकि भौजि
अर्थात
गरीब की पत्नी को लोग सम्मान नही देते
गरिबैकि मौक नारसिंग
अर्थात
गरीबों का भी भगवान होता है
गाड़ तरि जांठ नि खेड़न
अर्थात
अर्थात जो मुसीबत में साथ दे उसका साथ नही छोड़ते
गाव-गाव ऎ ग्ये
अर्थात
बहुत परेशान और आतंकित हो गया
गाव गाव गाड़ दि
अर्थात
बहुत दु:खी और आतंकित कर दिया
गिज अगास लगै दिण
अर्थात
निरुत्तर कर देना
गिज अगास लागण
अर्थात
निरुत्तर हो जाना
गुड़ अन्यार में लै मिठ, उज्याव में लै मिठ
अर्थात
गुणी व्यक्ति का हर जगह सम्मान होता है
गोरु ना बच्छि, नीन आये अच्छि
अर्थात
कोई जिम्मेदारी ना होने पर व्यक्ति मस्त रह्ता है
गौं क्ये देखछा, गौंक गौंनों के देखो
अर्थात
व्यक्ति के रूप से नहीं आचरण से ही सही पहचान हो जाती है
गंगोलिक लाट, आदू जै पिस्यू आदू जै माट
अर्थात
गंगोली या गंगोलीहाट का साधारण व्यक्ति भी बहुत चालाक होता है
उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।
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