
मलि बखईक आम्
मलि बखईक आम् बिमार हैगै
कयो डाकदर वैद हकीम ऐगै.
ओईजा मेरि ईज मरज कम कि होल्
औरै बडन फैगै.
आमाक जाग जागाक पौंण देखणे ऐगै.
आमैकि द्विए चेलि डाड लै मार गै.
आमलि जिंदगी भरि कामै करि भइ.
चार भैंस छ नानतिन पाइ भै.
पैंन दिनन् में आमाक् वां खुबै झरफर हुंनेर भै.
आमैकि वांकि चीज बस्त पुर गौंमें जनेर भै
पुर गौं आमैकि बिमारिक वीलि दुखी छ
भुली यो संसार मे क्वे लै के सुखी छ
च्याल् ब्वारि द्योर द्योराणं सबै आमाक मुखलै औंनी
आमैकि खुटन में सब पैलाग करि कौंन
आमा त्वे बिना हम कसिकै रौंन
आमैलि कौ देखछा पोथियो म्येरि थें पुर गों डण्यूना
तलीहै मलितक सबै नक माणना
मैं आज यां सबै नैकि आम छूं.
किलैकि मैं सबनकै आपणै मान छूं.
तुमलै यसीकै सबनैकि सार सारिया
सबनकैं आपणै मानिया
दुसराक गुण आपण दोष देखिया.
दुर्गा दत्त जोशी
दुर्गा दत्त जोशी जी द्वारा फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी शब्द सम्पदा से साभार
दुर्गा दत्त जोशी जी के फेसबुक प्रोफाइल विजिट करे
0 टिप्पणियाँ