सुनिए सुर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी जी के सुमधुर गीत
सुनिये न्योली, गोपाल बाबू गोस्वामी जी और चन्द्रा बिष्ट जी के स्वर मेंगोपाल बाबू गोस्वामी जी कुछ उन गिने चुने गायकों में शामिल हैं जिनकी पहचान ऊंचे पिच की वोईस क्वालिटी के लिए होती है। गोस्वामी जी के गीतों के बारे में जानने के क्रम में हम गोस्वामी जी के एक कम प्रसिद्ध पर बड़े सुरीले गीत के बारे में जानेंगे। इस भाग में हम गोपाल बाबू गोस्वामी जी तथा चंद्रा बिष्ट जी के स्वर में न्योली सुनेंगे।
"न्योली" कुमाऊँनी गीतों की एक विधा है जिनको वनों से सम्बंधित गीत भी कह सकते हैं। ऐसे गीतों की पृष्ठभूमि मुख्यत: जंगलो में प्रेमिकाओं द्वारा एक दूसरे को सम्बोधित करते हुए गाये जाने की होती है। गायक इन गीतों में प्रेमिका को 'न्योली' और गायिका अपने प्रेमी को गीत में 'न्योला' या 'न्योल्या' शब्द का सम्बोधन रुप में प्रयोग करती है। न्योली गीत में दो पंक्तियाँ होती हैं, पहली पंक्ति बहुधा किसी मानवीय अथवा प्रकृतिक वस्तु को दृष्टि में रखकर या उद्देश्य के रुप में रखकर कही जाती है जसका अर्थ दूसरी पंक्ति कहने के बाद ही स्पष्ट होता है और पहली पंक्ति का अर्थ भी स्पष्ट होता है। वास्तव में पहली पंक्ति का अपना अलग से कोई अर्थ नहीं होता वह 'पट' मिलाने के लिए प्रयुक्त की जाती है।
स्थान के अनुसार भी न्योली के दो रूप है पूर्वी कुमाऊं (कालि-कुमाऊँ, सोर) तथा पश्चिमी कुमाऊँ (पाली पछाऊं) की न्योली। कालि-कुमाऊँ, सोर पिथौरागढ़ अंचल की न्योलियों में स्वर विस्तार और संगीतात्मकता अधिक रहती है। न्योली के गीतों के साथ वाद्य-यंत्रों का प्रयोग नहीं होता है। केवल स्वरों के उतार-चढ़ाव से ही मधुर संगीत की सृष्टि होती है।
स्थान के अनुसार भी न्योली के दो रूप है पूर्वी कुमाऊं (कालि-कुमाऊँ, सोर) तथा पश्चिमी कुमाऊँ (पाली पछाऊं) की न्योली। कालि-कुमाऊँ, सोर पिथौरागढ़ अंचल की न्योलियों में स्वर विस्तार और संगीतात्मकता अधिक रहती है। न्योली के गीतों के साथ वाद्य-यंत्रों का प्रयोग नहीं होता है। केवल स्वरों के उतार-चढ़ाव से ही मधुर संगीत की सृष्टि होती है।
कृपया सुनिये न्योली के बारे स्वयं गोपाल बाबू गोस्वामी जी के स्वर में और उनके द्वारा चन्द्रा बिष्ट जी के साथ गायी गयी न्योली की कुछ पंक्तियां:-
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