
कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ
यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-
च्यल के देख छा च्यलाक दगड़ि देखो
अर्थात
मनुस्य की संगत से भी उसकी पहचान हो जाती है
च्यल हैबे पूत प्यार, मूल हैबे सूद प्यार
अर्थात
अत्यधिक चालाक और लालची होना
च्योल हैगो कैबेर भाग नि खुल जान
अर्थात
बेटा हो जाने से ही कोई भाग्यवान नहीं होता या कोई मूल्यवान वस्तु होने से ही मनुस्य का महत्त्व नहीं बढ़ जाता
चड़ खाय, तितुर-चाखुड़ गाय
अर्थात
अपनी कमी को छुपाना और बड़ा-चढ़ा कर बात करना
चन्द्रैण करण / है जाण
अर्थात किसी को बहुत ज़लील करना या समाज से बाहर करना
चक ज्यू कां छैं! वायुमंडल
अर्थात
बात को अनसुना करना या मगन रहते हुए बात पर ध्यान ना देना
चड़न बखत घ्वड़, लड़न बखत घ्यूँ
अर्थात
जब जरुरत पड़े तभी वस्तु को ढूंढ़ना (लापरवाह होना)
चार गौंक सयाण, अठार गौं में रौं, म्यर काम नि ऐ, तो ऐसी तैसी में जौ
अर्थात
प्रभावशाली होते हुए भी अगर हमारे संपर्क का नहीं है तो हमें भी क्या मतलब
चेलि मांगणी और डॉव हलकौणि कतुक औनि
अर्थात
हमें कोई कमी नहीं है हम अपनी शर्त पर ही काम कराएँगे
चेलि हइये जैसि खिसैण
अर्थात
किसी पुरानी बात से शर्मिंदा होना
चेलि है कौंण ब्वारि कैं सुणौन
अर्थात
कहना किसी से और सुनाना किसी और को (indirect बात करना)
चेलि हैबेर जवै लाड़, च्यौल हैबेर नाति लाड़
अर्थात
रिश्तेदारी में दामाद और पोते की या वस्तुओं में नये की ज्यादा अहमियत होती है
चोर थैं कै चोरि कर, गुसैं थैं कौय चेतायि रये
अर्थात
दोगलापन करना
चोरूं बुतिक जै मोर मरना भाबर रित है जान
अर्थात
किसी भी कार्य को करने के लिए योग्यता का जरुरी है
चौमासैकि घस्यार, ह्यूनैकी रस्यार
अर्थात
अवसर देखकर अपने मतलब का आसान काम पकड़ लेना
चौमासौ'क जर, राजौ'क कर
अर्थात
बरसात में ज्वर को सहज में नहीं लेना चाहिए
उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।
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