
कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ
यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-
छन आँखा भ्योव घूरिण
अर्थात
जानबूझकर कोई गलती करना
छन पढियों, हाथ भड़ियौन
अर्थात
जान बूझकर गलतियां करना
छनै की लहर, छनै की पहर
अर्थात
किसी का भी वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता है
छनै को छौलियाट, नी छनै को बौल्याट
अर्थात
धन होने पर मनुस्य में अभिमान और ना होने पर बेचैनी रहती है
छप्पन करोड़ की चौथाई
अर्थात
अत्यधिक सम्पति विरासत में होना या मिलना
छप-छपि लागण
अर्थात
वांछित परिणाम या वस्तु मिलने पर संतुष्टि की अनुभूति
छन की नि छन करण
अर्थात
किसी वस्तु के होने पर भी छुपाना और अपने को हीन बताना
छन द्यो अकाव
अर्थात
साधनो के होते हुए भी साधनहीन होना
छनै की छल-बल
अर्थात
अर्थात प्रभावशाली होना, अच्छा प्रभाव होना
छरपट की सैणि, बरपट को खसम
अर्थात
एक से बढ़कर एक जोड़ीदार
छू तो छौलै, नि छु तो बौलै
अर्थात
प्रभावशाली होने पर ईतराना और प्रभाव समाप्त होने पर आपा खोना
छै च्याल जै म्यर होना तो मैं बागोक उड्यार पाई लिन
अर्थात
साधन या आय होने पर उसका उपयोग करना कोई मुश्किल काम नहीं है
छाति छूटण
अर्थात
अत्यधिक उदार हो जाना, दिल खोलकर उदारता दिखाना
छाय करण
अर्थात
संरक्षण देना या कृपा बनाए रखना (ईश्वर के द्वारा)
छाँ जस फ़ानण
अर्थात
किसी को तसल्ली से डाँटना या धमकाना
छां-दै क्ये लै नै, नौणिक स्वीण
अर्थात
हवाई किले बनाना या मुंगेरीलाल के सपने देखना
छांण बेर पाणि पीण
अर्थात
अत्यधिक सावधानी बरतना
छां हैं जाण, ठ्यक कैं लूकौण
अर्थात
व्यर्थ का एहतियात
उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।
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