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मुहावरे और लोकोक्तियाँ - कुमाऊँनी भाषा में (भाग-११)

कुमाऊँनी भाषा के कुछ प्रचलित मुहावरे और लोकोक्तियाँ और हिंदी अर्थ Idioms and phrases Kumauni language and hindi meaning

कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ


यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-

ज्यून बाब कैं लात,  मरि बाब कैं भात
अर्थात
माता पिता की जीवित रहते सेवा ना करना और मृत्यु के बाद तरह तरह के ढोंग करना

ज्यौड़क स्याप बणौन
अर्थात
किसी छोटी सी बात बतंगड़ बनाना

ज्वक जस चिपकण
अर्थात
बहुत ही चिपकू स्वभाव

जड़्याक दुश्मण, जड़्याकै सींग
अर्थात
कभी-कभी आदमी के गुण ही उसे मुसीबत में डाल देते हैं

जतुकै लीण गोरुल हग, उतुकै पूछड़ में लटपटाय
अर्थात
जितना काम करना उतना ही बिगाड़ देना या कार्य-कुशल ना होना

जब तक ल्वे, तब तक सब क्वे
अर्थात
अपने सामर्थ्यवान होने तक ही सब पूछते हैं या सुख के सब साथी दुःख का कोई नहीं

जस त्‍यर जाग-जुगत, उस म्‍यार पखोव
अर्थात
जैसे प्रयत्न वैसा ही परिणाम मिलेगा

जस ब्यूं, उसै बालड़
अर्थात
वंशानुगत गुण सन्तान में स्वत: ही होते हैं

जसै नादि उसै जुड़, जसै बाब उसै बुढ़
अर्थात
मनुस्य के लक्षण देखकर ही उसके गुण पता चल जाते हैं

जां कुकुड़ नि हुन, वां रात जै क्ये नि ब्यानि
अर्थात
वस्तु महत्व रखती है पर इतना नहीं की उसके बिना काम ही ना हो

जां नाक छू वां नथ न्हाति, जां नथ छू वां नाक न्हाति
अर्थात
जीवन में सबकुछ किसी को नहीं मिलता

जां बामण भैट चार, वां दिन न बार
अर्थात
अधिक जानकार लोगो के बीच कोई फैसला नहीं  हो पाता

जां बिराऊ नै, वां मुसांक नाच
अर्थात
जहां नियंत्रण नहीं होता वहां अव्यवस्था रहती है

जां स्यूड़ नि अटाण, वां साबव ख़ितण
अर्थात
बेमेल यन्त्र से जबरदस्ती कार्य करना या अतार्किक कार्य करना

जांण नै पछ्यांण, लगै दिशांण
अर्थात
परिचय न होने पर अपने को अति घनिष्ट मित्र बताना

जाँठि जोर, भैंसि चोर
अर्थात
कही पर प्रभुत्व के लिए शक्तिशाली होना जरुरी है

जू कां, जू कां - जू बल्दाक कानिम
अर्थात
किसी वस्तु की तलाश में व्यर्थ का बवंडर करना

जूंवांक डरैल घागरि पैरण जै क्ये छोड़ि दिनी
अर्थात
किसी वस्तु से समस्या होने पर उसका समाधान सोचना चाहिए

जूँवौं'क भैंस 
अर्थात
तिल का ताड़ बनाना

जै'क गयी नि चलेलि, वीक नयि क्ये चलेली!
अर्थात
जो भोजन ही कम करेगा वह हृष्ट-पुष्ट कैसे होगा!

जैक घर में धिनाई वीक घर रोजे त्यार
अर्थात
परिवार में दूध दही होना समृद्धि का प्रतीक है

जैक जगदीश, वीक क्ये रीस
अर्थात
जिस पर प्रभु की कृपा हो, उसको किसका डर

जैक जस तैक तस, मुसौक पोथिल मुसै जस
अर्थात
वंशानुगत गुण आगे की पीढ़ी में आ ही जाते हैं

जैक पाप, वीक छाप
अर्थात
गलत कार्य छिपाने पर भी नहीं छिपते

जैक बाब भालुल खाय, ऊ काव खूंट देखि बेर लै डरूं
अर्थात
कोई भयानक दुर्घटना मनुस्य को ज्यादा सतर्क बना देती है

जैक बुढ़ बिगड़, वीक कुड़ बिगड़
अर्थात
परिवार के मुखिया का जिम्मेदार होना चाहिए

जै'क भात खै, वी'कै गीत गै
अर्थात
जिसके अधीन रहे उसी का गुणगान करना

जैक स्यर छुट, वीक भाग फुट
अर्थात
अपनी खेतीबाड़ी या जन्मभूमि को छोड़ना दुर्भाग्य है  

जैकि ज्वे नै, वीक क्वे नै
अर्थात
पत्नी सबसे सच्ची साथी होती है

जैकैं लागि गुपट्यौलैल ऊ कौंछ मरि ग्यूं, जैकैं लागि ढुङ्गेल ऊ कौंछ बचि ग्यूं 
अर्थात
जिसको कम चोट लगती है या जिसकी कम हानि होती है, वो ज्यादा शोर मचाता है

जैल  थायि, वील पायि
अर्थात
किसी इच्छा की पूर्ती हेतु धैर्य रखना चाहिए

जो झूटो, वो टूटो
अर्थात
झूठे व्यक्ति का भांडा एक बार फूट ही जाता है 

जो भाड़ हाथ खित, ग्याँजे ग्याँज मिल

अर्थात
कुछ हाथ ना आना

उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।

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