शेरदा की लोकप्रिय कुमाउँनी कविता "तीन चेलि"
शेरदा की एक बहुत ही लोकप्रिय कुमाउँनी हास्य रचना है, "तीन चेलियांक किस्स आपुण सौरासाक बार में"। इसमें एक ही गाँव की ससुराल से अपने मायके को जाती तीन बहु-बेटियों का वार्तालाप है जो अपने ससुराल के बारे में एक दुसरे को बता रही हैं। कुमाउँनी भाषा की यह बहुत ही उत्तम रचना है जिसमें तीन महिलाओं के वार्तालाप को शेरदा ने बड़े रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है:-
ब्वारि आपुण मैंसाक बार में
तीसरी महिला अपने पति के बारे में बताती है:-
दीदी कि सुणु मैंसाक बार में
पैलि मैंसों कि निगुरी जात
अब क्ये सुणु रनकरे बात
आदतक छू निगुर जान
ओ ईजा दिखिणौक छू नानू नान
मणि मणि ग्वर छू,
मणि मणि काव
धाणौक सुस्त,
खाणौक छाव
मीहुं खुरस्याणि कस झौव छू
और भ्यार वालां हूं बीनू बल्द जस गौव छू
गदू जस गलाड़ छन,
दीदी ढड़ू जस आँख
आँख जै क्ये भै,
सुदे छिलुकाक राँख
तुमौड़ कस मुखौड छू,
जाणि कौव ओसै रौ
मीहू नि बुलाणौ रनकर,
पोरुं आदु रात बै रिशै रौ
दीदी यस छू वे म्यर मैंस
मैंस जै क्ये भै,
गोठ बादणि बाखौड़ भैंस भै
दीदी कि सुणु मैंसाक बार में
पैलि मैंसों कि निगुरी जात
अब क्ये सुणु रनकरे बात
आदतक छू निगुर जान
ओ ईजा दिखिणौक छू नानू नान
मणि मणि ग्वर छू,
मणि मणि काव
धाणौक सुस्त,
खाणौक छाव
मीहुं खुरस्याणि कस झौव छू
और भ्यार वालां हूं बीनू बल्द जस गौव छू
गदू जस गलाड़ छन,
दीदी ढड़ू जस आँख
आँख जै क्ये भै,
सुदे छिलुकाक राँख
तुमौड़ कस मुखौड छू,
जाणि कौव ओसै रौ
मीहू नि बुलाणौ रनकर,
पोरुं आदु रात बै रिशै रौ
दीदी यस छू वे म्यर मैंस
मैंस जै क्ये भै,
गोठ बादणि बाखौड़ भैंस भै
सुनिये शेरदा का कुमाऊँनी किस्सा "शेरदाक किस्स - ब्वारि आपुण सासूक बार में....." शेरदा के स्वर में:-
( पिछला भाग-१०) .............................................................................................(कृमश: भाग-१२)
0 टिप्पणियाँ