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शेर सिंह बिष्ट, शेरदा अनपढ़ - कुमाऊँनी कवि 10

शेरदा की कविता ,कुमाऊँनी भाषा की कविता "तीन चेलि"- Kumauni Kavita Sherda ki kavita

शेरदा की लोकप्रिय कुमाउँनी कविता "तीन चेलि"


शेरदा की एक बहुत ही लोकप्रिय कुमाउँनी हास्य रचना है, "तीन चेलियांक किस्स आपुण सौरासाक बार में"।  इसमें एक ही गाँव की ससुराल से अपने मायके को जाती तीन बहु-बेटियों का वार्तालाप है जो अपने ससुराल के बारे में एक दुसरे को बता रही हैं।  कुमाउँनी भाषा की यह बहुत ही उत्तम रचना है जिसमें तीन महिलाओं के वार्तालाप को शेरदा ने बड़े रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है:-

ब्वारि आपुण सौरॉक बार में
               
दूसरी महिला अपने ससुर के बारे बताती है

दीदी कि सुनु सौराक बार में
सौर जै कि भै एक ज्युने खबीस भै
और पुर चार सौ बीस भै

जन्म भर सांच कुनै में रै गयिं
और मीहे नथ बणुनै में रै गयिं
काना कनफूल ल्यूं कूना छि
ल्यूनै में  रै गयिं
और जो म्यर मैताक डबल छी
ऊ चुलपन बूरकूनै में रै गयिं

दीदी, सौर ज्यूक दाढ़ि फुल बेर गाव ऐरै
औ बाज्यू, जुंग फुल बेर घूगुतैकि माव हैरै

दांत सब खुकाव है रयिं
पर वे आय लै मारनि खूब ग्वाज़
ओ बाज्यू मडुवाक चैनि दस रवाट
द्वि पतेली भात खै जानि
नानतिन चाइए रै जानि
पै दिन भर बागै चार डुडाट करनि
ओ ईजा रात भर भैंसे चार औड़ाट करनि

दीदी यस छन वे म्यर सौर

धैं कबहु इनर लै होलि खालि ठौर


सुनिये शेरदा का कुमाऊँनी किस्सा  "शेरदाक किस्स - ब्वारि आपुण सासूक बार में....." शेरदा के स्वर में:-


( पिछला भाग-९) ..............................................................................................................(कृमश: भाग-११)


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