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नाशपाती (Pears)

नाशपाती, उत्तराखण्ड सहित हिमाचल प्रदेश, जम्मू-काश्मीर, पंजाब में 700-2600 मी तक पाई जाती है। Pyrus communis Linn or Pears is commonly grown in Kumaun

नाशपाती (Pears)
लेखक: शम्भू नौटियाल

नाशपाती, वानास्पतिक नाम: पाइरस कम्यूनिस (Pyrus communis Linn.) है। नाशपाती रोजेसी Rosaceae कुल से सम्बंधित है। नाशपाती को अंग्रेजी में पियर (Pear) तथा संस्कृत में इसे अमृतफल या टङक कहते हैं। नाशपाती की बागवानी गर्म आर्द्र उपोष्ण मैदानी क्षेत्रों से लेकर शुष्क शीतोष्ण क्षेत्रों में सफलता से किया जा सकता है। भारत में यह उत्तराखण्ड सहित उत्तर-पश्चिमी हिमालय, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-काश्मीर, पंजाब में 700-2600 मी की ऊँचाई तक पाई जाती है।

जिन स्थानों में अधिक वर्षा होती है वे स्थान नाशपाती के लिए उपयुक्त नहीं होते। गर्मीयों में 27 से 33 डिग्री से0 तक तापमान वाले स्थानों पर नाशपाती खूब होती है। ऊँचाई के क्षेत्रों में जहां हवा का ज्यादा प्रकोप हो वहां पर भी नाशपाती नहीं लगानी चाहिए क्योंकि वहां पर मधुमक्खियां अपना काम नहीं कर सकती है। बसन्त ऋतु में अधिक पाले कोहरे और ठण्ड वाले स्थानों पर इसके फूल मर जाते है। सेब की तुलना में नाशपाती के पौधों को पानी लगने से कम क्षति होती है इसीलिए नाशपाती के पौधे निकनी व अधिक पानी वाली भूमि पर भी उगाए जा सकते है परन्तु जड़ों की अच्छी बढोतरी के लिए निचली सतह पर कंकर या पथरीली भूमि नहीं होनी चाहिए।

इसका सिमित क्षेंत्रों तक होने का मुख्य कारण अच्छी किस्मों का न होना कम भण्डारण क्षमता तथा यातायात की अच्छी सुविधांए न होना था परन्तु अब रंगदार व अच्छी किस्में व यातायात की अच्छी सुविधाएं होने पर लोग नाशपाती की बागवानी की तरफ ध्यान दे रहे हैं। नाशपाती की तरफ अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है इसलिए भी है क्योंकि इससे डिब्बा बंद फल संरक्षित पदार्थ भी बनाए जा सकते हैं और इसके रख रखाव की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। निचले व कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों में गोला नाशपाती उगाई जा सकती है जिसमें अधिक उत्पादन के साथ-साथ बोरीयों में भरकर दूर मण्डियों मे भी भेजा जा सकता है।

नाशपाती मूल रूप से उत्तरी अफ्रीका का फल है। इसका पेड़ मध्यम ऊंचाई का प्रायः ऊपर ऊंचा, संकरा किरीट आकार होता है। यह मोटे छिलके वाला और खाने में मीठा फल है। कच्चा में यह एकदम हरा दिखता है, जबकि पकने पर इसका रंग हल्का पीला हो जाता है। नाशपाती में शर्करा अधिक तथा अम्ल कम पाया जाता है। 100 ग्राम नाशपाती में जल- 86 ग्राम, प्रोटीन-0.6 ग्राम, वसा- 0.2 ग्राम, रेशा- 1ग्राम, कार्बोज- 11.9 मि.ग्रा., कैल्शियम- 8 मि.ग्रा., फॉस्फोरस- 15 मि.ग्रा. लौह तत्व- 0.5 मि.ग्रा., कैरोटिन- 28 मि.ग्रा., थायेमीन- 0.06 मि.ग्रा., रिबोफ्लेबिन- 0.03 मि.ग्रा., निसासिन- 0.2 मि.ग्रा., ऊर्जा- 52 कैलोरी पाये जाते हैं। नाशपाती पौष्टिक गुणों से भरपूर फल है। यह पौष्टिक, रसीला और औषधीय गुणों से भरपूर फल है।

वैसे तो नाशपाती मधुर, एसिडिक या अम्लीय गुणों वाली, ठंडे तासिर की, छोटी, वात को कम करने वाली, पित्त को भी कम करने में मदद करने वाली तथा धातु को बढ़ाने वाला होती है। इसका फल दस्त या अतिसार में फायदेमंद होता है। नाशपाती पहाड़ी, बागी, जंगली तथा चीनी भेद से 4 प्रकार की होती है। इनमें से पहाड़ी एवं बागी नाशपाती विशेष रुप से कोमल, मधुर व रसीली होती है। नाशपाती आकृति में सुराही जैसी होती है। इन्हें ही नाख या नाक कहते हैं। बाकी प्रकार की नाशपाती खट्टी या खट्टीमिठी होती है। नाशपाती से एक प्रकार की शराब भी बनाई जाती है। यह सेव की शराब की अपेक्षा कम मधुर एवं कम गुणवाली होती है। इसका प्रयोग अतिसार या दस्त आदि रोगों में लाभकारी होता है।

नाशपाती बारिश के मौसम का फल है। नाशपाती में प्रचुर मात्रा में आवश्यक सभी प्राकृतिक विटामिन्स, खनिज, किण्वक और द्रव्य में घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं जो शरीर के लिए अतिआवश्यक होते हैं। एक नाशपाती में इतना फाइबर होता है कि आप दिनभर के लिए जरूरी फाइबर की 24 फीसदी तक पूर्ति कर सकते हैं। नाशपाती पाचन क्रिया को सुचारू बनाने में मदद करती है। इस संबंध में एक अध्ययन से सामने आया कि नाशपाती में कोलेस्ट्रोल का लेवल कम होता है, जो दिल की बीमारियों, टाइप-2 डायबिटीज एवं पेट संबन्धित समस्याओं को दूर करने में कारगर होती है। नाशपाती को आयरन के लिए भी अच्छा माना जाता है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करने का काम करता है। ऐसे में एनीमिया से पीडि़त लोगों को नाशपाती का सेवन करना चाहिए।

रोजाना एक से दो नाशपाती का सेवन करने से आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर रोगों की आशंका कम करता है। वजन कम करने हेतु भी नाशपाती का सेवन करना लाभकारी होता है। इसके सेवन से बार-बार भूख लगने की समस्या को खत्म कर सकते हैं। दरअसल, नाशपाती फाइबर का खजाना है, जो वजन को तेजी से कम करने में मददगार है। रोजाना दो नाशपाती का सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलेगी। नाशपाती स्किन हेल्थ के लिए भी बहुत अच्छी होती है। इसमें विटामिन ए, सी, फ्लेवनॉइड और एंटी ऑक्सीडेंट्स कंपाउंड्स मौजूद होते हैं। यह त्वचा को लंबे समय तक जवां रखने के साथ ही फ्री रेडिकल्स को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इस तरह नाशपाती के नियमित सेवन से त्वचा संबंधी रोगों की आशंका कम हो जाती है।

चरक-संहिता और सुश्रुत-संहिता में टङक नाम से इसके बारे में थोड़ा उल्लेख मिलता है। आज के समस्याभरे व आगे बढ़ने के दौड़ में लोग हमेशा तनाव में रहते हैं और जिस वजह अक्सर सिरदर्द की संभावना बनी रहती है। नाशपाती का सेवन सिरदर्द से निजात हेतु लाभकारी है। 10-20 मिलीग्राम नाशपाती के फल के रस में चीनी, बेलगिरि चूर्ण, बेर चूर्ण, सेंधा नमक, काली मिर्च और भुना हुआ जीरा डालकर इस मिश्रण को पीने से सिर दर्द, मूत्र करते वक्त जलन या दर्द, रक्त की उल्टी तथा खाने में अरुचि जैसे बीमारियों में लाभ होता है।

नाशपाती पोटेशियम का एक बहुत ही बढ़िया उदाहरण है, जिसका मतलब है कि नाशपाती का हृदय स्वास्थ्य पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि पोटेशियम एक प्रसिद्ध वेदोडिलेटर (छोटी रक्‍तवाहिकाओं को बड़ा करने वाली औषधि) है। इसका मतलब यह है कि यह रक्तचाप को कम करता है, जिससे पूरे कार्डियोवस्कुलर सिस्टम में तनाव कम हो जाता है।
नाशपाती को पीसकर नेत्र के बाहर चारों तरफ लगाने से नेत्ररोगों में लाभ होता है।
नाशपाती के फलों का सेवन करने से यकृत व प्लीहा यानि स्पलीन संबंधी रोगों के अलावा, पाचनतंत्र संबंधी रोगों में लाभ होता है। इसके अलावा ये लंग्स या फेफड़े के बीमारी में भी फायदेमंद होता है। इसलिए रोज नाशपाती खाना अच्छा होता है। यह गैस्ट्रिक और पाचन के रस के स्राव को उत्तेजित करती है ताकि खाद्य पदार्थ अधिक चिकना हो और अधिक जल्दी पच जाएँ। यह आँतों के कार्यों को नियंत्रित करती है जिससे कब्ज की संभावना कम हो जाती है। इसमें मौजूद पेक्टिन दस्त और कब्ज को ठीक कर सकता है।

नाशपाती में आयोडीन की प्रचुर मात्रा होती है जो मरीजों को घेंघा बीमारी को कम करने में मदद करता है। बूढ़े लोगों को आंतरिक अंगों को फिल्टर करने के लिए नियमित रूप से नाशपाती को सेवन को बढ़ावा देना चाहिए। यह कैल्शियम को स्टोर करने और रक्त वाहिकाओं को नरम करने में भी मदद करता है। नाशपाती की उचित खपत से अपच, गाउट, एनीमिया, कब्ज और कुपोषण जैसे विभिन्न रोगों को छुटकारा पाने में प्रभावी ढंग से मदद मिल सकती है।

नाशपाती के मुरब्बे में 250 मिग्रा नागकेशर चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है। इसके सेवन से दर्द और खून का निकलना कम होता है।
फाइबर से भरपूर नाशपाती मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए एक बहुत ही अच्छा फल है। इसलिए जिन शुगर पेशेंट को मीठा खाने की इच्छा होती है यह उनके लिए बहुत गुणकारी होता है। इसमें मौजूद नेचुरल शुगर को रक्त धीरे अवशोषित कर लेता है। नाशपाती में लेवुलोज (Levulose) होता है जो एक प्राकृतिक शुगर का एक रूप है। इससे रक्त शर्करा का स्तर नहीं बढ़ता है।

आजकल खान-पान के कारण किडनी में स्टोन हो जाता है। नाशपाती का सेवन इस तरह से करने पर पथरी निकलने में मदद मिलती है। 10-15 मिली नाशपाती फल के रस को सुबह शाम भोजन के पहले सेवन करने से वृक्काश्मरी व पित्ताश्मरी या किडनी का स्टोन टूट-टूट कर निकल जाती है।
प्रदूषण के कारण आजकल त्वचा संबंधी बहुत तरह के रोग होने लगे हैं। नाशपाती के पत्तों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याओं में लाभ होता है तथा घाव में लगाने से घाव जल्दी भरता है।
नाशपाती सबसे कम कैलोरी फलों में से एक हैं। एक औसत नाशपाती में 100 से अधिक कैलोरी हैं, जो एक स्वस्थ आहार की दैनिक कैलोरी का 5% है। हालांकि इसमें मौजूद फाइबर से आपको अपना पेट भरा हुआ महसूस होता है। इसलिए जो लोग अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं उनके लिए नाशपाती बहुत ही अच्छा फल।

मानव शरीर में सबसे बहुमुखी विटामिन में से एक है विटामिन ए। नाशपाती विटामिन ए में उच्च होती है। नाशपाती त्वचा पर उम्र बढ़ने के प्रभाव को कम कर सकती हैं जैसे झुर्रियाँ और उम्र के धब्बे। इस शक्तिशाली फल से बालों के झड़ने, मैकुलर डिजनरेशन (धब्बेदार अध: पतन), मोतियाबिंद और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से जुड़े अन्य कंडीशंस को भी कम किया जा सकता है।
नाशपाती के पत्तों को पीसकर पिलाने से सांप ने जिस जगह पर काटा है उस जगह का विषाक्त प्रभाव कम होता है।
परंपरागत रूप से, नाशपाती जैसे फलों को सामान्य सर्दी, फ्लू या अन्य कई हल्के बीमारियों जैसे सामान्य स्थिति में खाने की सलाह दी जाती है। इससे एक त्वरित प्रतिरक्षा तंत्र को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
इसी तरह इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन-सी की गतिविधियों से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी को बढ़ाया जाता है।

संक्षिप्तकी:
दस से बीस मिली नाशपाती फल के रस में शक्कर डालकर पीने से सिर के दर्द में लाभ होता है।
नाशपाती के फलों का सेवन करने से फेफड़ों के विकारों में लाभ होता है।
नाशपाती का सेवन करने से पाचनतंत्र से सम्बंधित बीमारियों में लाभ होता है।
दस से बीस मिली नाशपाती रस में एक से दो ग्राम बेलगिरी चूर्ण मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्त में लाभ होता है।
पंद्रह से बीस नाशपाती फल स्वरस में सेंधानमक, काली मिर्च तथा भुना हुआ जीरा मिलाकर पिलाने से अरुचि में लाभ होता है।
नाशपाती के मुरब्बे में 250 ग्राम नागकेशर चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
नाशपाती के पत्रों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा विकारों में लाभ होता है तथा घाव में लगाने से घाव जल्दी भरता है।
नाशपाती में एंटी कैसरोजेनिक गुण होते हैं और यह कई विभिन्न प्रकार के कैंसर की रोकथाम से जुडी हुई है जिनमें कोलन, मलाशय, स्तन, प्रोस्टेट और फेफड़े के कैंसर शामिल हैं। कई अन्य फलों की तुलना में नाशपाती में बहुत अधिक एंटीऑक्सिडेंट पाएं जाते हैं।
नाशपाती में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है। अगर कोई एनीमिया से पीड़ित हो तो उसे प्रचुर मात्रा में नाशपाती का सेवन करना चाहिए।
नाशपाती में कुछ ऐसे यौगिक पाए जाते हैं जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम करते हैं।
नाशपाती में एंटी ऑक्सीडेंट और विटामिन सी की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिसकी वजह से रोग प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर बनती है और शरीर को विभिन्न रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है।
हड्डिरयों से जुड़ी समस्या में नाशपाती का सेवन फायदेमंद होता है। इसमें बोरॉन नामक रासायनिक तत्व पाया जाता है जो कैल्शियम लेवल को बनाए रखने में कारगर होता है।
नाशपाती का सेवन करने से त्वचा पर चमक आती है और साथ ही इससे शरीर को एनर्जी भी मिलती है।
नाशपाती धूम्रपान करने वाले लोगों के लिए बहुत मददगार हो सकती हैं।
नाशपाती के पेड़ के पत्ते चाय के लिए महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इसकी चाय के द्वारा मूत्रमार्ग, सिस्टिटिस और यूथथ्रल कैलकुस जैसी बीमारियों से निपटा जा सकता है।

नाशपाती के नुकसान व ध्यान देने योग्य बातें :-
नाशपाती को छिलके समेत धो कर अच्छे से चबा कर खाना चाहिए। लेकिन इसके छिलके को जल्दबाजी में बिना चबाये खाने से पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ सकता है जिससे कई बार पेट में दर्द हो जाता है। नाशपाती को काट कर अधिक देर तक रख कर नहीं खाना चाहिए। क्योंकि हवा के सम्पर्क में आने पर यह भूरे रंग का हो जाता है जो नुकसानदेह हो सकता है। ठंड में गला बैठने, बुखार, दस्त होने पर रोगी को नाशपाती का सेवन नहीं करना चाहिए। नाशपाती खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए कि नाशपाती न अधिक मुलायम हो और न ही अधिक सख्त। नाशपाती से मीठी खुशबू आनी चाहिए। नाशपाती को खरीदने के दो तीन दिन तक खा लेना चाहिए।

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