'

अडूसा, वासा या मालाबार नट (Malabar Nut)


 अडूसा, वासा या मालाबार नट (Malabar Nut)
लेखक: शम्भू नौटियाल

अडूसा को संस्कृत में वासा या वसाका और अग्रेंजी में मालाबार नट (Malabar Nut) कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम: Adhatoda zeylanica Medik. (एढैटोडा जेलनिका) Syn- Adhatoda vasica Nees; (अधाटोडा वासिका) Justicia adhatoda Linn. (जस्टिसिया एढैटोडा) है। अडूसा या वासा का कुल Acanthaceae (ऐकेन्थेसी) है। वासा को अंग्रेजी में Malabar nut (मालाबार नट) कहते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों में वाचा को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। आयुर्वेद संहिताओं में प्राचीन समय से ही अडूसा के उपयोग का वर्णन मिलता है। अड़ूसा भारत के प्राय: सभी क्षेत्रों में पाया जाता है । यह परम उपयोगी वन औषधि है, यह सभी जगहों, नदियों-तालाबों के किनारे स्वयं ही उग आता है।  हिमालय में 4000 से 5000 फीट तक की ऊंचाई में आसानी से देखी जा सकने वाली वनस्पति है।

गाँवो में आज भी लोग इसका उपयोग अस्थमा (दमे), खांसी, अपच, जुकाम, सुजन, त्वचा संक्रमण का इलाज करने, गले के दर्द का उपचार करने, मसूड़ों की समस्याओं एवं बुखार आदि के उपचार के लिए करते है। आयुर्वेद में इसे श्वास, कास एवं टीबी की उत्तम औषधि माना जाता है। यह शरीर में कुपित कफ को दूर करने में कारगर औषधि है।अपने पोषक तत्‍वों के कारण अडूसा का उपयोग आयुर्वेद चिकित्‍सा के अलावा होम्‍योपैथी और यूनानी उपचार में व्‍यापक रूप से किया जाता है। #आचार्य #चरक ने वासा को रक्तपित्त की चिकित्सा में श्रेष्ठ माना है। #सुश्रुत-संहिता में क्षारक्रिया में इसकी गणना की गई है। इसकी तीन जातियाँ पाई जाती है, जो निम्न प्रकार हैं।

श्वेत वासा (Adhatoda zeylanicaMedik.)-अडूसा का पौधा झाड़ीदार होता है। इसके सफेद रंग के होते हैं। इसकी मंजरियाँ फरवरी से मार्च में आती हैं। इसकी फली 18-22 मिमी लम्बी, 8 मिमी चौड़ी, रोम वाली होती है तथा प्रत्येक फली में चार बीज होते हैं।
रक्त वासा (Graptophyllum pictum (Linn.) Grjiff. (ग्रैप्टोफायलम् पिक्टम्) Syn-Graptophyllum hortenseNees, Justicia pictaLinn.) इसके फूल गहरे लाल रंग के होते हैं।
कृष्णवासा (Gendarussa vulgaris Nees (जेन्डारुसा वल्गैरिस) Syn-Justicia gendarussa Burm.) इस पौधे का पूरा भाग बैंगनी रंग का होता है। कई स्थानों पर इसका प्रयोग कटसरैया में मिलावट के लिए किया जाता है।

ऊपर वर्णित वासा की प्रजातियों के अतिरिक्त निम्नलिखित प्रजाति का प्रयोग भी चिकित्सा में किया जाता है।
Adhatoda beddomei B.Clarke(क्षुद्रवासा)- यह लगभग 3-4 मी ऊँचा शाखा-प्रशाखायुक्त क्षुप या झाड़ी होता है। फूल सफेद रंग के होते हैं। कई जगहों पर वासा के स्थान पर इसका प्रयोग किया जाता है। इसके पत्ते, जड़ तथा फूल का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है। पत्ते वमनरोधी तथा रक्तस्तम्भक होते है। इसका पौधा कफ करने वाला तथा बलकारक होता है। फूलों का प्रयोग आँखों की बीमारियों की चिकित्सा में किया जाता है।

अडूसा वातकारक, कफपित्त कम करने वाला, स्वर के लिए उत्तम, हृदय की बीमारी, रक्त संबंधी बीमारी, तृष्णा या प्यास, श्वास या सांस संबंधी, कास, ज्वर, वमन, प्रमेह, कोढ़ तथा क्षय रोग में लाभप्रद है। श्वसन संस्थान पर इसकी मुख्य क्रिया होती है। यह कफ को पतला कर बाहर निकालता है तथा सांस-नलिकाओं का कम, परन्तु स्थायी प्रसार करता है। श्वास नलिकाओं के फैल जाने से दमे के रोगी का सांस फूलना कम हो जाता है। कफ के साथ यदि रक्त भी आता हो तो वह भी बंद हो जाता है। इस प्रकार यह श्लेष्म् या , कास, कंठ्य एवं श्वासहर है। यह रक्तशोधक एवं रक्तस्तम्भक है, क्योंकि यह छोटी रक्तवाहनियों को संकुचित करता है। यह प्राणदानाड़ी को अवसादित कर रक्त भार को कुछ कम करता है। इसकी पत्त्तियां सूजन कम करने वाला, वेदना कम करने वाला, जंतु को काटने पर तथा कुष्ठ से राहत दिलाने में मदद करता है। यह मूत्र जनन, स्वेदजनन तथा कुष्ठघ्न है। नवीन कफ रोगों की अपेक्षा इसका प्रयोग पूराने कफ रोगों में अधिक लाभकारी होता है।

कृष्णवासा-काला वासा रस में कड़वा, तीखा तथा गर्म, वामक व रेचक होता है एवं बुखार, बलगम बीमारी से राहत दिलाने तथा अर्दित (Facial paralysis) आदि रोगों में लाभकारी होता है।
रक्त वासा-इसकी पत्तियाँ मृदुकारी तथा सूजन कम करने में मदद करता है। यह ग्राम धनात्मक (Gram +ve) एवं ग्राम ऋणात्मक (Gram -ve) जीवाणुओं के प्रति सूक्ष्मजीवीनाशक क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है। यह एंटीकोलीनेस्टेरेज (Anticholinesterase) क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है।

अडूसा या वसाका का पेड़ बारहमासी व सदाबहार बहुत घनी झाड़ीयों बाला पेड़ है जो लगभग 3- से 7 फिट तक ऊंचा हो सकता है। यह अधिकतर छायादार या अर्ध छायादार पेड़ की श्रेणी में आता है। यह पेड़ शुष्‍क, नमी और उष्‍णकटिबंधीय जंगलों में पाया जाता है। इस पेड़ की पत्तियां 10 से 16 सेंटीमीटर लंबी और 5 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं। इसके तने की लकड़ी नरम होती है जो गनपाउडर के लिए उपयोग की जाती है। इस पेड़ से बहुत ही मनमोहक फूल आते हैं जिनकी पंखुडियां सफेद रंग की होती हैं। वासिका की फलियाँ पौन इंच लम्बी एवं 1 से 3 इंच चौड़ी होती है , इनमे से छोटे आकार के 4 बीज निकलते है। पौधे के पतों से विशेष प्रकार का पीला रंग निकलता है।

अडूसे के पोषक तत्‍व–
इस औषधीय पेड़ के सभी हिस्‍सों का उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है। इसकी पत्तियों में अलकोलाइड (alkaloids), टैनिन (tannins), सैपोनिन (saponins), फ्लैवोनोइड्स और फिनोलिक्‍स (flavonoids and phenolics) जैसे फाइटो-रसायनों की अच्‍छी मात्रा होती है। इसके अलावा इस पौधे की पत्तियों में वासिसिन (Vasicine), क्विनाज़ोलिन अल्कालोइड (quinazoline alkaloid) और आवश्यक तेल भी मौजूद रहते हैं। इनके अलावा इनमें अन्‍य बहुत से पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ भी मौजूद रहते हैं जो हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होते हैं।

अपने औषधीय गुणों के कारण इस जड़ी बूटी का उपयोग कई गंभीर और सामान्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए उपयोग की जाती है। अडूसे (मालबार नट्स) से प्राप्‍त होने वाले स्‍वास्‍थ्‍य लाभों की जानकारी:

अडूसा के फायदे अस्‍थमा के उपचार में–
अडूसे या वसाका में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद अन्‍य औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग अस्‍थमा का उपचार में किया जाता है। यह वायुमार्ग और फेफड़ों की सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा अडूसा फल में पाए जाने वाले वाइसिसिन यौगिक ब्रोंकोडाइलेटर हैं जो सांस फूलने की प्रक्रिया को कम करने में मदद करते हैं। अपने इन्‍हीं विशेष गुणों के कारण अस्‍थमा उपचार के विभिन्‍न औषधीयों में इसका उपयोग किया जाता है। अस्थमा में अडूसा के फायदे लेने के लिए 5-5 मिली अडूसा के पत्तों का रस शहद के साथ 2.5 मिली अदरक का रस मिलाकर सेवन करें। अस्‍थमा जैसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए आप भी अडूसा के लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।

अडूसा का काढ़ा है खांसी का इलाज–
आप सामान्‍य खांसी का उपचार करने के लिएअडूसा का उपयोग कर सकते हैं। इस औषधीय पौधे की पत्तियों में खांसी को दूर करने वाले गुण मौजूद रहते हैं। इसका उपयोग खांसी की आयुर्वेदिक दवाओं में प्रमुख घटक के रूप में उपयोग किया जाता है। खांसी आपके व्‍यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर सकती है विशेष रूप से आपकी रात की नींद को। खांसी का उपचार करने के लिए अडूसा की पत्तियों से बने काढ़े को शहद के साथ मिलाकर सेवन कर खांसी से छुटकारा पाया जा सकता है।

अडूसा के लाभ मसूड़ों के रक्‍तस्राव में–
यदि आपके मसूड़ों से खून आ रहा है तो इसका जल्‍द ही उपचार किया जाना चाहिए। यदि समय पर उपचार न किया गया तो आपके मुंह में संक्रमण बढ़ सकता है और अन्‍य दांतों से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में मालबार नट्स की ताजा पत्तियों का उपयोग किया जा सकता है। आप अडूसा की पत्तियां लें और इसे अच्‍छी तरह से पेस्‍ट बना लें। इस पेस्‍ट को धीरे-धीरे मसूड़ों के ऊपर लगाएं। इस पेस्‍ट को नियमित रूप से तब तक इस्‍तेमाल करें जब तक रक्‍तस्राव से राहत मिल जाए। संभवत: 2-3 दिनों में राहत मिल सकती है। यदि आप भी ऐसी समस्‍या से परेशान हैं तो इस औषधीय जड़ी बूटी का उपयोग कर सकते हैं।

अडूसा के पत्तों के फायदे ब्रोंकाइटिस उपचार में–
वसाका अपने औषधीय गुणों के कारण ब्रोंकाइटिस के इलाज में मदद कर सकता है। ब्रोंकाइटिस मे ब्रोंन्कियल ट्यूबें सूजन के कारण अवरूद्ध हो जाती हैं। इसके अलावा वायु मार्ग की अंदरूनी सतह में श्‍लेष्‍म का जमाव भी होने लगता है। लेकिन अडूसा का उपयोग करने पर यह वायु मार्गों में आने वाले अवरोधों को दूर करने में मदद करता है। जिससे खांसी, सीने का दर्द और ब्रोंकाइटिस जैसी अन्‍य स्‍वशन संबंधी समस्‍याओं से छुटकारा मिल सकता है। आप भी अपने स्‍वशन मार्गों को स्‍वस्‍थ्‍य बनाए रखने के लिए अडूसा का उपयोग कर सकते हैं।

अडूसा के गुण दिलाए गले को राहत–
जो लोग गले के दर्द और इससे संबंधित अन्‍य परेशानियों से ग्रसित हैं उनके लिए मालबार नट्स फायदेमंद होते हैं। अडूसा में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल, एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण सामान्‍य संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं। गले में दर्द और इससे संबंधित अन्‍य समस्‍याओं जैसे गले की सूजन आदि के लिए आप अडूसा का उपयोग कर सकते हैं। 1 चम्मच अडूसा के रस को दो चम्मच शहद के साथ लेने से गले की खराश से राहत मिलती है।

अडूसा के औषधीय गुण गठिया का उपचार करे–
आज आवादी का बहुत बड़ा हिस्‍सा गठिया और संयुक्‍त दर्द का सामना कर रहा है। इस समस्‍या का प्रमुख कारण खराब जीवन शैली ही है। इस प्रकार की समस्‍या का प्रमुख कारण शरीर में यूरिक एसिड की उच्च मात्रा भी होती है। लेकिन इस स्थिति का इलाज करने के लिए वसाका जड़ी बूटी का उपयोग किया जा सकता है। अडूसा में मौजूद पोषक तत्‍व शरीर में यूरिक एसिड के स्‍तर को कम करने में मदद कर सकते हैं। जिससे आपको गठिया के दर्द और सूजन से छुटकारा मिल सकता है। क्‍योंकि अडूसा में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण गठिया की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। इस तरह से आप अडूसा के लाभ गठिया उपचार में प्राप्‍त कर सकते हैं। इसके पत्तों का पेस्ट लगाने से सूजन तो कम होती ही है, साथ में जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है।
अडूसा का उपयोग अल्‍सर के उपचार में–
मालाबार नट्स की पत्तियों में नॉन-स्‍टेरॉयड एंटी-इंफ्लामेटरी ड्रग्‍स गुण होते हैं। इस कारण से अडूसा की पत्तियों का उपयोग करने पर यह बिना किसी दुष्‍प्रभाव के अल्‍सर की सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। इसलिए अडूसा का उपयोग पेप्टिक अल्‍सर के उपचार में किया जा सकता है। अल्‍सर का उपचार करने अलावा भी अडूसा का उपयोग आयुर्वेद में रक्‍तस्राव को रोकने के लिए भी उपयोग किया जाता है। इस तरह से अडूसा मानव स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने के लिए विशेष जड़ी बूटीयों के रूप में उपयोग की जा सकती है।

अडूसा का इस्‍तेमाल अपच को ठीक करे–
मालाबार नट्स का उपयोग पाचन संबंधी विभिन्‍न समस्‍याओं का इलाज कर सकता है। विशेष रूप से यह अपच, पेट की गैस और पेट फूलना जैसी समस्‍याओं का प्रभावी उपचार माना जाता है। पेट से संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए आप अडूसा की पत्तियों का पेस्‍ट तैयार कर थोडे़ से गर्म पानी में मिलाएं। इस घोल की 2 चम्‍मच मात्रा में ताजा अदरक के रस की ½ चम्‍मच मात्रा मिला कर सेवन करें। इस मिश्रण का दिन में दो बार सेवन करने पर यह अपच और इससे संबंधित सभी परेशानियों को दूर करने में मदद कर सकता है साथ ही भूख बढ़ाने में भी सहायक होता है।

अडूसा का प्रयोग त्‍वचा समस्‍याओं में–
विभिन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य लाभ दिलाने के साथ ही अडूसा के फायदे त्‍वचा समस्‍याओं के लिए भी जाने जाते हैं। आप त्‍वचा से संबंधित विभिन्‍न समस्‍याओं के इलाज के लिए अडूसा पौधे के विभिन्‍न भागों का उपयोग कर सकते हैं। अडूसा प्रकृति में ठंडा होता है इसलिए यह त्‍वचा की जलन और संक्रमण आदि को दूर करने में अहम योगदान दे सकता है। आप इसकी पत्तियों के रस का उपयोग त्‍वचा संक्रमण पर कर सकते हैं। एंटी-इंफ्लामेटरी गुण त्‍वचा की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। साथ ही इसके एंटी-बैक्‍टीरियल गुणों के कारण संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है। इसके अलावा आप इसकी पत्तियों का पेस्‍ट बनाकर भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

अडूसा अर्क के लाभ मासिक धर्म में–
महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्‍याएं बहुत ही कष्‍टदायक होती हैं। इस दौरान होने वाली समस्‍याओं में दर्द, ऐंठन और अत्‍यधिक रक्‍तस्राव शामिल हैं। लेकिन इस प्रकार की समस्‍याओं का उपचार करने के लिए अडूसा की पत्तियों का उपयोग किया जा सकता है। इस समस्‍या का इलाज करने के लिए इसकी 6-8 पत्तियों का पेस्‍ट तैयार करें। इस पेस्‍ट को दिन में दो बार गुड़ के साथ सेवन करने से मासिक धर्म की समस्‍याओं से छुटकारा मिल सकता है। विशेष रूप से मासिक धर्म के दौरान होने वाले अत्‍यधिक रक्‍तस्राव को रोकने का प्रभावी इलाज माना जाता है।

अडूसा से संभावित नुकसान–
चूंकि अडूसा एक आयुर्वेदिक औषधी है जिसका उपयोग स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओ से राहत पाने के लिए किया जाता है। लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से कुछ दुष्‍प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए जहां तक संभव हो किसी अनुभवी व्‍यक्ति की सलाह और देख रेख में ही जड़ी बूटीयों का सेवन किया जाना चाहिए।

अडूसा से होने वाले कुछ दुष्‍प्रभाव इस प्रकार हैं-
मधुमेह रोगीयों को बहुत ही संभल कर इस औषधी का सेवन करना चाहिए। क्‍योंकि यह रक्‍त शर्करा के स्‍तर को कम करने में मदद करता है। लेकिन यदि अधिक मात्रा में इसका सेवन किया जाता है तो यह शरीर में रक्‍त शर्करा के स्‍तर को बहुत ही निम्‍न स्‍तर में ले जा सकता है।
1 वर्ष से कम उर्म के बच्‍चों को अडूसा का सेवन करने से बचना चाहिए।
गर्भावस्‍था के समय महिलाओं को इसका सेवन करने से बचना चाहिए। इसके साथ ही स्‍तनपान कराने वाली माताओं को डॉक्‍टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करना उचित है।
अधिक मात्रा में मालाबार नट्स का सेवन करने पर यह उल्टी और दस्‍त जैसी समस्‍याओं को बढ़ा सकता है।

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ