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वरिष्ठ सहित्यकार श्री गोविंद बल्लभ बहुगुणा ज्यू

कुमाउनी इंटरव्यू- वरिष्ठ सहित्यकार श्री गोविंद बल्लभ बहुगुणा ज्यू Interview with Kumauni Litterateur Govind Ballabh Bahuguna

वरिष्ठ सहित्यकार श्री गोविंद बल्लभ बहुगुणा ज्यू
कुमाउनी इंटरव्यू©हमार कुमाउनी रचनाकार【01】
प्रस्तुति: राजेन्द्र ढैला

मित्रो मैं आपूं सब लोगना सामणी कुमाउनी रचनाकारों क संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करण लाग रयूँ जमें उ लोगनकि बात होलि जो आपणि लेखनील कुमाउनी बोली-भाषा साहित्य-संस्कृतीकि सेवा करण लाग् रयी।

★मैं आज आपूं लोगनक् परिचय करूंण लाग रयूँ हमार वरिष्ठ सहित्यकार श्री गोविंद बल्लभ बहुगुणा ज्यू दगड़ी। जनर जनम 8 फरवरी सन् 1951 में ग्राम-बुघाण (मल्ला सालम) जनपद अल्माड़ में इजा स्व.श्रीमती जयंती बहुगुणा व बौज्यू स्व. श्री पं.टीकाराम बहुगुणा ज्यू वां भौ। इनैरी शुरुआती शिक्षा नैनीताल में संपन्न भै। यैं कुमाऊं विश्वविद्यालय बटी इनून स्नातक लै करौ। गोविंद बल्लभ बहुगुणा ज्यू शिक्षा विभाग में 41 सालैकि राजकीय सेवा करते हुए ज्येष्ठ लेखा परीक्षक पद बटी 28 फरवरी सन् 2011 में रिटायर (सेवा निवृत) भयी। प्रस्तुत छन इनन् दगै बातचीताक कुछ अंश... जनर हाल निवास छ चीनपुर,ऊँचापुल हल्द्वाणी (नैनीताल)

सवाल01◆महोदय आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब●म्यार खास शौक छन पढन-लिखण, हिंदी और कुमाउनी भाषा कें बढावा दिणा लिजी साहित्य सृजन,कवि सम्मेलन व गोष्ठियों में प्रतिभाग करण।

सवाल02◆ उ तीन मन्खीनौ नाम बताओ जनूल आपूं कें प्रभावित करौ?
जवाब● शिक्षा क्षेत्र में स्व० जनार्दन जोशी, भू०पू० उप शिक्षा निदेशक कुमाऊ मंडल, नैनीताल। लेखन कें बढ़ावा दिणाक लिजी बाल प्रहरी पत्रिका संपादक, उदय किरौला ज्यू और कुमाउनी साहित्य में लेखनाक लिजी डा० हयात सिंह रावत ज्यूल प्रेरित करौ ।

सवाल03◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन?
जवाब● माननीय श्री नरेन्द्र मोदी ज्यू।

सवाल04◆ कुमाउनी लोकभाषा बचूण किलै जरूरी छ?
जवाब● कुमाउनी भाषा हमरि पछ्याण छ। हमरि मातृ-भाषा छू। यकें बुलाण में यस लागूं जाणि मैं आपणि इज दगड़ि बुलानयूँ।  मैं कें कुमाउनी लेखते-लेखते यैक बिना पढ़ी-गुणी यतुक अभ्यास हैगो कि जब में हिंदी में लेखों तो कतु बखत आफी-आफी कुमाउनी शब्द बीच में लेखी जानी। यो महानता छू हमेरि दुदबोलि में।

सवाल05◆ आपूं साहित्यकि को-को बिधा में लिखछा और आपुणि लिखणैकि मनपसंद बिधा के छ?
जवाब● मैंन सामान्य हिंदी और साहित्यिकि हिंदी द्वीनै बटी ग्रेजुएसन करौ। रस, छंद अलंंकार पढंछी।  कविता पढ़न में आनंद ऊँछी।  यैक वील मेंकें काव्य विधा भलि लागें। मेरि पैल पसंद कविता छ, निबंध' दुसरि छू।कहांणि - उपन्यास काल्पनिक हुनी यैक वील लेखणक् मन नि करन।

सवाल06◆ अगर क्वे नवोदित लेख्वार आबेर आपण लेखन कार्य में सुधार करणाक् लिजी सुझाव मांगलौ कि कौला उधैं?
जवाब● उधें योई कोंन कि पैली भाल विद्वान लेखकोंक किताब पढौ, विद्वत जनोंकि सोबत करौ। आफी जीवनाक हर क्षेत्र में जरूर सुधार आल। आपणि दुदबोलि आपण जनमभूमि-मातृ भाषा दगड़ि लगाव धरौ और आपण ईष्टक हर बखत स्मरण करते रओ। यैल जीवनकि हर क्षेत्र में निश्चित तौर पर सफलता मिलैलि।

सवाल07◆ आपणि जिंदगीक एक यादगार किस्स जो सबन दगड़ी साझा करण चाँछा।
जवाब● मैंन नैनताल बै पढ़ाई करै और सरकारि सेवा शुरूआत लै नैनतालै, सचिवालय बटी सन् 1970 में करै। एकबार में सी०आर०एस०टी कॉलेज बटी छुट्टी बाद पुठ में बस्त ली बेर मली सैनिक स्कूलकि चढाइ चढ़नैछी।  एक करीब 6 सालक बच्च डाड़ मारनै मली हूं बा्ट लागी भै, मैंकें उ गोंपनक जै लागौ। कां रूंछै कयत कूंण लागौ "तिराइ कौ तिराइ" कुनेर भै। भुक जै लै लागी भै ऊकें। मैं उकें आपण दगै घर ली गयूं। र्वाट खवाई। बस्त धर बेर तली हूँ लि गयूं। ऐगो त्यर घर कयत, तिराइ कौ तिराइ कुनेर भै। ली जाते ली जाते सांस हैगे आब के करछीं निधान्हैं उकें थांण में सोंपन्ह्ं थाण में ली गयूं। जसै थाण भतेर पुज्यों त थाण में खुशीक लहर छै गै। पुलिस वालौ कै बच्च भै उ, जो राणिखेत गों बटी कुछै टैम पैली नैनताल आई भै। पुलिस वाल खुशि हैगे। यो सन् 1967-68 की बात हुनेलि। आजकि बात जै हुनी इनाम मिलन अखबार में तबलै छपन।  मेंलै खुशि है बेर घरहें नसि आई।

सवाल08◆ कुमाउनी में प्रकाशित (किताबौं) रचनाओं नाम के-के छन आपुण?
जवाब● 'शिक्षादान' हिंदीकाव्य संग्रह 2008
कुमाउनी काव्य संग्रह 'काव्यांजलि' प्रकाशनाधीन तथा बिभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर लेख व कविताओं क प्रकाशन।

सवाल09◆ लेखन कार्य करते हुए आज तक के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी, सरकारै तरबै लै कभै क्वे मदद मिलै?
जवाब● हिंदी साहित्य सेवाक लिजी "समग्रता" शिक्षा-साहित्य कला परिषद,कटनी म०प्र० की "भारत श्री" मानद उपाधि अलंकरणकाल वर्ष 2008 में सम्मानित। बाल सहित्य पर बाल प्रहरी पत्रिकाक "सृजन श्री" सम्मान। उत्तराखंड भाषा संस्थान देहरादून बटी लोकभाषा साहित्य सृजन प्रमाण पत्र।
कुमाउनी भाषा साहित्य एवं संस्कृति प्रसार समिति कसार देवी अल्मोड़ा द्वारा कुमाउनी भाषा सेवी सम्मान 2014.
राष्ट्रीय सर्व शिक्षा अभियान कें सहित्यिक विधा द्वारा सफल बणोंना लिजी शिक्षा विभाग द्वारा प्रशस्तिपत्र।

सवाल10◆ आपुण जिंदगी क मूल मंत्र कि छ?
जवाब● सत्यमेव जयते।

सवाल11◆ पहाड़ी खाणु में आपूं के खा्ण भल मानछा?
जवाब● घौतक रस भात और घ्यूं चुपड़ी बेड़ू र्वाट (रूटौव)।

सवाल12◆ आपुण मनपसंद कुमाउनी लेख्वार को छी और वर्तमान में को छन?
जवाब● पुराणन् में शिक्षाविद प्रधानाचार्य स्वर्गीय चारु चंद्र पांडे ज्यू और वर्तमान में प्रो० शेर सिंह बिष्ट ज्यू सेवा निवृत हिंदी विभागाध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय शोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा।

सवाल13◆ टीवी. में के देखण भल लगौं?
जवाब● रामायण सीरियल पैल पसंद छू। बांकी समाचार भै। काल्पनिक नाटक,सीरियल मारधाड़ भल नि लागन।

सवाल14◆ आपण शब्दों में साहित्यकि परिभाषा बताओ?
जवाब◆ यो त भौत कठिन प्रश्न ऐगो☺️
साहित्य समाजक ऐन हूं। समाजकि भावाभिव्यक्ति कें
लेखबेर या बुलै बेर प्रकट करन साहित्य भै म्यार ख्यालल्।

सवाल15◆ आब् जबकि आपूं सेवा निवृत (रिटायर) है गहा तो आपुणि दिनचर्या कसी बितैं के-के करछा आपूं?
जवाब● मैं अच्यालों कोरोना काल कें छोड़ि बेर रोज रत्तै पांच बाजी उठूं। एक गिलास गरम पाणि पीबेर पांच कि०मी० टहलों। घर ऐ बेर चाड़न कें दांण द्यों। नै-ध्वेबेर पुज में बैठूँ तब हल्की कसरत करों।
फिर नास्ताक बाद अखबार पढूं। यसिक हें दिनकि शुरूआत।
अच्यालों समयानुसार दिनचर्या में एक नई आयाम जुड़िगो। रत्तै मोबाइल में मैसेज चैक करनक। भौत भल लागूँ आपणनकि कुशल बात जाणन और वटसफ में दुहारनकें मैसेज भेजण।
आखिरी सवाल

सवाल16◆ कुमाउनी बोली-भाषा प्रेमीन हूँ के संदेश छ?
जवाब● कुमाउनी बोली-भाषा प्रेमीन धैं योई कूंण चां कि कुमाउनी कें संविधानकि अठूं अनुसूचि में धरणाक लिजी आब जी ज्यानल ठाड़ है जाओ।

सवाल17◆ क्वे यसि बात जो आपण तरबै कूंण चांछा?
जवाब● उ युवा नयी पीढी धैं कूंण चां जो कुमाउनी बुलाण में शरम करनै कि भई आपणि भाषा कुमाउनी में खुलि बेर बात करो झिझक के बातकि? अगर हम कुमाउनी में आपसम बातचीत करुंल तो समझो कि हम आपण पितरों,आपण मैं बाबूंक सम्मान करनयां। तुम ब्या काजों में कुमाउनी गीतों धुुुन में खूब नाच लै करछा पर आपण घर भितेर और दोस्तन दगड़ी कुुमाउनी बुलाण में किलै शरमाछा?

झिझक छोड़ो
कुमाउनी दगै जुड़ो।
धन्यवाद सप्रेम।।
प्रस्तुति◆राजेंद्र ढैला, काठगोदाम।
आपसे अनुरोध है कि कलाकार के रूप में ढैला जी की प्रतिभा को जानने के लिए
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