
पत्थरचट्टा (Air Plant)
लेखक: शम्भू नौटियालपत्थरचट्टा वानस्पतिक नाम ब्रायोफिलम पिनाटा (Bryophyllum pinnatum) है। पादपकुल केर्सुलेसी (Crassulaceae) से संबंधित है। इसे मिरेकल लीफ (Miracle Leaf), एयर प्लांट (air plant), कैथेड्रल वेल (cathedral bells), लीफ आफ लाइफ (leaf of life) और गोएथे पौधे (Goethe plant) के रूप मे जाना जाता है। यह एक लोकप्रिय घरेलू पौधा है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से होता है। यह सीधा, तना हुआ, लंबा और 12 महीने उगने वाला पौधा होता है। यह पौधा 3 से 4 फिट लंबा होता है।
इसके पत्ते विभिन्न प्रकार की औषधि के लिए जाने जाते है। इसका तना अंदर तक खोखला होता है जिसका रंग पूरी तरह से हरा या फिर लाल होता है। इस पौधे की छाल मोटी और रसदार होती है। इस विशेष प्रकार के पौधे में 6 से 7 प्रकार के पत्तों की शाखाएं होती है। अगर इसके फूलों के उगने की बात करें तो यह सर्दियों और बंसत के मौसम में ही पैदा होते है। इसके फल झिल्लीदार आवरण से ढके रहते हैं, जिनमें चार भाग होते हैं, ये बीज आकार में छोटे होते हैं जो फूल के आंतरिक भाग में लगे होते हैं।

इस पौधे का प्रजनन पत्तियों या बीज से होता है। इसे पर्णबीज भी कहते हैं क्योंकि इसके पत्ते को मिट्टी में गाड़ देने से ही यह उस स्थान पर उग जाता है। तासीर में सामान्य होने की वजह से इसका प्रयोग किसी भी मौसम में कर सकते हैं। मुख्यतः पत्थरचट्टे के पौधे को किडनी स्टोन और प्रोस्टेट ग्रंथि से जुड़े रोगों के इलाज में उपयोगी माना गया है।
- पत्थरचट्टे के पत्ते को तोड़कर इन्हें हल्का गर्म करने के बाद फोड़े और सूजन वाली जगह पर रखकर बांधने से सूजन को कम करने के साथ ही फोड़ों का उपचार करने में मदद करता है।
- गुर्दे के पत्थरों के मामले में पत्थरचट्टा के पूरे पौधे को उबालकर 40-50 मिली लीटर काढ़ा तैयार करके दिन में दो बार सेवन करें। 5 ग्राम शिलाजीत के साथ 2 ग्राम पथरचटा के काढ़ें को भी पी सकते हैं। स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें शहद भी मिला सकते हैं। ऐसा करने से पथरी की समस्या से छुटकारा मिल सकता हैं।
- *पत्थरचट्टा की पत्तियों से आप अपने सिरदर्द का उपचार कर सकते हैं। इस पौधे की पत्तियों को तोड़ें और उन्हें माथे पर चिपकाएं। यह आपके लिए किसी दवा से कम नहीं है। ऐसा करने से आपको सिरदर्द से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
- इसकी पत्तियों को तोड़कर इन्हें पीस लें और हल्की आंच में गर्म करें। फिर इस मिश्रण को फोड़ों के ऊपर लगाएं। यह जड़ी बूटी घावों को ठीक करने के साथ साथ उनके निशानों को भी दूर करने में आपकी मदद करेगी।
- खूनी दस्त में पत्थरचट्टा का पेड़ की पत्तियों के 3-6 ग्राम जूस के साथ जीरा और घी मिलाकर रोगी को रोजाना दो बार पिलाएं। यह दस्त के साथ आने वाले खून को रोकने में मदद करता है।
- इसकी की पत्तियों का उपयोग कर आप मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं। मधुमेह रोगी को प्रतिदिन दो बार पत्थरचट्टा के पत्तों के काढ़े का सेवन करना चाहिए। यह शरीर में रक्तशर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है।
- कब्ज को दूर करने के लिए पत्थरचट्टा के पत्तों का उपयोग बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके लिए पत्थरचट्टा के सूखे पत्तों की चाय का सेवन कर सकते हैं। कब्ज से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा।
- इस जड़ी बूटी में खून को साफ करने वाले गुण भी होते हैं, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है। खून मे अशुद्धियां होने के कारण त्वचा संबंधी बहुत सी परेशानियां हो सकती है।



नोट: इसके चिकित्सकीय उपयोग हेतु आयुर्वेद डाक्टर की सलाह को प्राथमिकता जरूर देनी चाहिए।

श्री शम्भू नौटियाल जी के फेसबुक पोस्ट से साभार
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