
कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ
यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-
त्यर ग्युं'क थैल पिसियों नि पिसियों,धर म्यर भाग।
अर्थात
आपका काम हो, ना हो, मुझे अपना हिस्सा लेना है।
त्यर पास छन गेड़ी, सबे कौल मेरी मेरी
त्यर पास न्हैति गेड़ी, सब लगाल टेड़ी टेड़ी
अर्थात
समृद्ध व्यक्ति के सभी मित्र और सम्बन्धी बनना चाहते हैं
त्यर पिसी में म्यर मिसी
अर्थात
हर काम में टांग डालना और व्यर्थ का विवाद करना
त्यर हाथ सरकौ, म्यर हाथ फरकौ
अर्थात
किसी के उपकार का अधिक मान करना
त्याड़ी देखा, जोशि देखा, मरण बखत करड़िया देखा
अर्थात
विपत्ति में जो साथ दे वही महत्वपूर्ण है
त्यौर ब्या करूँलौ, सौ बरस में
अर्थात
असंगत आश्वासन देना
त्वैकैं’ई नि खाण, त्यौर पेटौ’क लै खाण
अर्थात
अत्यधिक दुष्टता दिखाते हुये किसी की मजबूरी का फ़ायदा उठाना
त्वै में रंग नै, मैं में ढंग नै
अर्थात
एक से बढकर एक अक्षम व्यक्ति
तलब न तन्खा, नाम लछुवा हौलदार
अर्थात
नाम के बड़े दर्शन के छोटे
तलि पेटौ’क पाणि नि हलकुण
अर्थात
व्यर्थ की चिंता करते रहना
तलि गाड़ लै मेरो, मलि गाड़ लै मेरो
अर्थात
अकारण हर जगह अपना हक जतलाना
तव में झोल झन लागौ
अर्थात
किसी को अत्यधिक बद्दुआ देना कि इसके घर में रोटि भी ना बने
तातै खूं, जलि मरुं
अर्थात
अत्यधिक अधीरता दिखाना
तितिरा’क मुखै’कि लछमी
अर्थात
अचानक किसी का भाग्योदय हो जाना
तीन मणौ’क आंग हल्कौण, पर जिबड़ नि हल्कौण
अर्थात
किसी भी स्थिति में जुबान नहीं खोलना
तीन मनखियों’क उन्तीस आँख
अर्थात
तीन व्यक्तियों शुक्राचार्य की एक ,ब्रह्मा की आठ और रावण की बीस आँखें
तुस्यारै’कि कड़कड़, घाम ऊण तक
अर्थात
व्यक्ति की पद-प्रतिष्ठा का अभिमान स्थायी नहीं होता
तू जालै जां, त्यर भाग लै जाल वां
अर्थात
भाग्य के होने को मनुस्य रोक नहि सकता
तू ठगणि'क ठग, मैं जाति'क ठग
अर्थात
एक से बढ़कर दूसरा, कोई चालाकी नहीं चलने देना
तू मैं’कैं खा, मैं त्वे’कैं खूं
अर्थात
स्वार्थ के लिए अत्यधिक घनिष्टता होना
तू लै ठग, मैं लै ठग, चल पैलि द्वार तो ढक
अर्थात
दो शातिर धूर्त व्यक्ति पहले एक दूसरे के दोष छुपाते हैं
तेरि पैलाग, मेरि कत्थप
अर्थात
अभिमान में किसी के मान-सम्मान के सम्बोधन को नकार देना
तेरि पैलाग म्यर भैंसा’क सिंग’म
अर्थात
अभिमान में किसी के अभिवादन या सम्मान को नकारन
तेल जै कम, चिड़चिड़ाट जै ज्यादा
अर्थात
क्षमता से अधिक दिखावा करना
तै द्याप्त कैं क्वै नी मिल, जो म्यर आंग आ
अर्थात
किसी भी काम के लिए अपने को आगे करके फिर एहसान दिखान
तौ हुणि चोख्यूण नै, मुजि हुंणि घ्यूं
अर्थात
असंगत या अपूर्णीय मांग करना
उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।
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