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वरिष्ठ साहित्यकार, कुमाऊँ कोकिला, श्रीमती देवकी महरा ज्यू

कुमाउनी भाषा में साक्षात्कार - वरिष्ठ साहित्यकार "कुमाऊँ कोकिला" श्रीमती देवकी महरा ज्यू  Kumaoni  Interview with Kumauni Litterateur Smt. Devki Mehra

वरिष्ठ साहित्यकार "कुमाऊँ कोकिला" श्रीमती देवकी महरा ज्यू
कुमाउनी इंटरव्यू © हमार कुमाउनी रचनाकार【12】
प्रस्तुति: राजेन्द्र ढैला

मित्रो, जसकि मैं आपूं सब लोगना सामणी उ लोगनक् संक्षिप्त परिचय करूंण लाग रयूँ जो आपणि लेखनील कुमाउनी बोलि-भाषा,साहित्याक विकास में आपुण महत्वपूर्ण योगदान दिण लाग रयी।

यै क्रम में, आज मैं उनर परिचय करूंण लाग रयूँ। जननधैं 'कुमाऊँ की महादेवी वर्मा' और 'कुमाऊँ कोकिला' लै कई जाँ। 83 सालाक् श्रीमती देवकी महरा ज्यूक। उ जमान में जब संभ्रान्त ठुल परिवारों बे कुछ महिला साहित्यकारौल कुमाउनी परिवेश कैं आधार बणै बेर हिन्दी साहित्य में एक मुकाम बणैं हाछी, मगर देवकी महरा यास पैल कवयित्री छन जनूल कुमाउनी साहित्य अघिल बढूनक काम करौ। पहाड़ैकि महिलाओं पीड़ एक महिला कलम'ल पैल बखत महसूस करौ और कुमाउनी कविता रूप में सामणी आ। हालाकि कुमाउनी साहित्य में आज तक ले य बात कें अघिल करण में परहेज छू।

इनर जनम 26 मई सन 1937 हूँ ईजा बसंती देवी व बौज्यू श्री शिवदत्त त्रिपाठी ज्यू'क वाँ भौ। इनरी जनमभूमि ग्राम-कठौली, पोस्ट- जलना, लमगाड़ (अल्माड़), इनार माकोट छ और इनर पैतृक गौं गरुड़ विकास खंड'क डौन नौघर (डानफाट) छ। इनरी शिक्षा अल्माड़ में भै। उबाद 17 सालै उमर में इनर सलेक्शन एचटीसी'क लिजी भौ। यो परीक्षा पास करिबेर इनरि नौकरी प्राईमरी पाठशाला कौसानी में लागै। फिर इनर विवाह 19 सालै उमर में कौसानी निवासी श्री यशपाल महरा ज्यू दगड़ी भौ। इनार तीन च्याल छन भुपेन्द्र महरा, राजेंद्र महरा और महेंद्र महरा। देवकी महरा ज्यू एक शिक्षिका रहते हुए 37 साल शिक्षा विभाग में सेवा दिबेर पूर्व माध्यमिक विद्यालय गौजाजाली हल्द्वाणी बै प्रधानाध्यापिका पद बटी सेवा निवृति'क द्वी साल पैलियै स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ल्हीबेर आपण गौं'कि प्रधान चुनी गई। इनर वर्तमान निवास गायत्री भवन, छड़ायल सुयाल पोस्ट ऑफिस मानपुर पश्चिम हल्द्वाणी में छ।
प्रस्तुत छन इनन दगै हैई बातचीताक थ्वाड़ अंश...

सवाल01◆ उ तीन मन्खीनौ नाम बताओ जनूल आपूं कें प्रभावित करौ?
जवाब● महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, म्यार पति स्व.श्री यशपाल सिंह महरा और यमुना दत्त वैष्णव 'अशोक'।

सवाल02◆ रचना धर्मिंता कब बटी और कसिक शुरू भै?आपूं हिंदी लै लिखछा लेकिन कुमाउनी लिखणेकि प्रेरणा काँ बटी मिलै?
जवाब● नानछना 6-7 साल बटिकै जब ग्वाव या घा हूँ जांछियां तो वाँ जोड़ हालछियां फिर खुद लै जोड़ बणैबेर गैंछियाँ।

सवाल03◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन या छी? क्वे एक नाम बताओ।
जवाब● लेखिका शिवानी और बालम सिंह जनौटी।

सवाल04◆ आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब● पढ़न और लेखन।
सवाल05◆ आपूंल कुमाउनी साहित्याक को-को विधा'न में आपणि कलम चलै राखै और आपुण लिखणेकि मन पसंद विधा कि छ?
जवाब● मैंन कविता,गीत,कहाणि, खंड काव्य और उपन्यास लिखी। मेरि लिखणेकि मन पसंद विधा गेय काव्य छ उमें लै कुमाउनी गीत।

सवाल06◆ अछा आपुण हिंदी और कुमाउनी में किताब लै छप रयी उ किताबों नाम के-के छ?
जवाब● प्रेमांजलि (हिंदी काव्य संग्रह), निशास (कुमाउनी काव्य संग्रह), अशोक वाटिका में सीता( हिंदी खंडकाव्य),स्वाति (हिंदी काव्य संग्रह), सपनों की राधा (हिंदी उपन्यास), नवजागृति (हिंदी राष्ट्रीय कविता संग्रह), पराण पुन्तुर (कुमाउनी काव्य संग्रह), आखिरी पड़ाव (हिंदी उपन्यास)।
★सामुहिक प्रकाशित किताब● पछ्याण, किरमोई तराण,उड़ घुघुती उड़, दुदबोलि, डांडा कांठा, स्वर, धाद, नयी गजलें, नये गीत आदि। होय आई कतू रचना अप्रकाशितै छन।

सवाल07◆ लेखन कार्य करते हुए आपूं कें के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी?
जवाब● उसिक तौ भौत सारै मंच और संस्थाओं'ल सम्मानित करि राखौ लेकिन कुछ सम्मान यौ प्रकार'ल छन--
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान'क 'सुमित्रानंदन पंत पुरस्कार' 1984, 'कुमाऊं गौरव' पर्वतीय साहित्य संस्थान दिल्ली 1986, आचार्य नरेंद्र देव निधि 'शिक्षा सम्मान' उ०प्र० 1987, 'उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान' राज्य संसाधन प्रौढ़ शिक्षा देहरादून द्वारा 2001, उत्तराखंड 'वरिष्ठ साहित्यकार सम्मान' 2006, 'प्रतिभा एवार्ड' विद्या वारिधि शिखर साहित्कार सम्मेलन 2007, कुमाउनी साहित्य सेवी सम्मान पहरू 2009, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का साहित्य सम्मान 'वसुंधरा' 2009, 'मौलाराम लोकभाषा सम्मान' उत्तराखंड भाषा संस्थान देहरादून 2011-12, मोहन उप्रेती लोककला शोध समिति द्वारा 'लोक संस्कृति सम्मान' एवं 'तीलू रौतेली सम्मान' उत्तराखंड सरकार द्वारा 2011-12, तथा 'शेरसिंह बिष्ट अनपढ़ कुमाउनी कविता पुरस्कार' पहरू द्वारा 2016 में आदि।

सवाल08◆ अन्य उपलब्धि पर बात करनौ त कि-कि होलि?
जवाब● आकाशवाणी केंद्र लखनऊ, नजीवाबाद, अल्माड़, दूरदर्शनलखनऊ, अखिल भारतीय कवि सम्मेलना'क दगाड़-दगाड़ै कुमाऊं-गढवाल और देशाक् भौत सारै मंचों में कविता पाठक मौक मिलौ।

सवाल09◆ आपुण जिंदगी'क मूल मंत्र कि छ?
जवाब● अगर मन में दृढ़ इच्छाशक्ति हो त के लै काम असंभव न हुन भगवान लै हमरि मदद करनी।

सवाल10◆ आपूं धैं 'कुमाऊं की महादेवी वर्मा' और 'कुमाऊं कोकिला' लै कई जाँ वी पछिल के कहाणि छ?
जवाब● म्यर कविता पाठ सुणिबेर लोगन कें मेरि कविता व गायन भाल लागण पर यौ उपाधि मैंकें मंचों बटी मिली। पैली-पैली 'शेरदा अनपढ़' कूंछी फिर सब कूंण लागी।

सवाल11◆ आपूं कें टीवी में के देखण भल लागौं?
जवाब● समाचार और धार्मिक कथा सुणन।

सवाल12◆ नवोदित रचनाकारों हूँ कि कूंण चाला आपूं?
जवाब● मैं सब लोगन धैं यैई कूँण चाँ कि थ्वाड़ भौत कला अगर आपुण अंदर छ त उकें तुम साधना द्वारा और जागृत करि सकछा। यै लिजी तुम आपणि कला कें पछ्याणो और उकें साधौ फिर आपणि कला भ्यार निकाओ। हमार अंदर तीन मिनट तक आर्ट पैद हुंछ उकें तुरंत लिखि ल्हिण चैं नतरि उ गायब हैजांछ।

सवाल13◆ आपूं कें पहाड़ि भोजन में के खाण् भल लागों?
जवाब● भटा'क डुबुक।

सवाल14◆ आपुण जिंदगी'क एक यादगार किस्स जो हम सबन दगड़ी साझा करण चाँछा।
जवाब● एक बार म्यार घरवाल दगै हमार घर यमुना दत्त वैष्णव 'अशोक' (जो रचनाकार छी) आई तो उनून मैंधैं आपणि रचना देखूंण और सुणूंन हूं कौ। जब उनूल मेरि रचना सुणि त उनून उबखत कौ तुमार भितेर त भौत प्रतिभा छ तुम भौत ठुलि कवियित्री बणिं सकछा। बाद में उनून म्यार कुछ गीतों'कि रिकॉर्डिंग लै करै।

सवाल15◆ अछा वर्तमान में लै आपूं के रचनौछा या न?
जवाब● जब उमर छी भौत लिखौ उबखत। आ्ब भौत उमर हैगे कम लिखीं। कभतै-कभतै क्वे रचना आफी-आफी बणिंजै गई त लिखि द्यूं उकें।

सवाल16◆ आपूं तैं पुराण जमाना'क छा क्वे पुराणि फाम (याद) बतूना'कन।
जवाब● जब मैं नानी छी त एक साल गर्मिन में द्यो नि हुणा वील सब फसल पाणि सूकण लागिगे। नौव धारों में लै पाणि कम हैगै। चारों तरबै लोग परेशान है गै। एक दिन बुआ, इज, काखियोंन मेरि आ्म धैं कै आमा हम घा हूँ जना तुमरी खुटी सिलाम छन तुम आज द्यो करी दिया।
आ्ब उ लोग घा हूं न्हैं गै त घर में, मैं और आमैं रै गयां। आमल रूई निकाई वीक बा्त बणूंन लागिगे। उबाद दी धूप और एक बाल्टी में पाणि ल्हीबेर आ्म पा्ख में न्हैं गे मैं कें लै बुलै ल्हिगै। आमल पाणि छिणकबेर दी धूप जलै। मैंधैं कै मैं गीत गैंनयूं तू लै मैं दगै गाये न आलो हेव जस लगे। फिर आ्म गीत गैंण में लागिगे त मैं लै आ्म दगै गैंण लागी। आ्म गीत लै गैनै और पाणि लै छिणकनै। गाते-गाते भौत देर हैगे आ्माक आँखन बटी आंसूनै तौहड़ लै बगण फैगै। उबाद यतू बारिश हैगे के बतूं आ्ब। द्वी-तीन महैंण बटी बारिश न हैई भै उदिन खूब जमबेर बारिश हैगे। मैंकें उदिन पत्त चलौ कि साधना में यतू शक्ति हैं कबेर।

सवाल17◆ अछा दीदी उ जो गीत आ्म गैंनैछी आपूं कें याद छन! सुणाला के?
जवाब● न तो के याद न्हैं। यै बस एक घटना याद छ बस। उदिनान में भौत नानि भयी। आ्म कैकें बतैंछी लै न। होय गीत याद न्हैंतीन।

सवाल18◆ कुमाउनी बोलि-भाषा प्रेमीन हूं के संदेश दिण चाँछा?
जवाब● हमरि जो नई पीढी छ उ हमरि बोलि-भाषा, संस्कृति दगड़ी कम लगाव धरनै। उननकें आपणि बोलि-भाषा, संस्कृति तैं उजागर करणैकि जरवत छ नतरि हमरि बोलि-भाषा दगै हमरि पछ्याण लै हरै जालि। हमरि पछ्याण हरै जाली तो फिर हम को छाँ कै कसिक पत्त चलौल। यै लिजी हमन आपणि भाषा आपणि संस्कृति कें जरूड़ बढावा दिण चैं।

भौत धन्यवाद आदरणीया, भौत भल लागौ आपूं दगै बात करिबेर।नमस्कार।।

★प्रस्तुति राजेंद्र ढैला, काठगोदाम।
आपसे अनुरोध है कि कलाकार के रूप में ढैला जी की प्रतिभा को जानने के लिए
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