
--:तु के कांमौक न्हैतै भाग-२:--
(तू किसी काम का नहीं है)
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
देवकी लिजि कैसी कां और कब बै पढूंण लेखूण शुरू करी जावौ योजना बणन लागि। देवकिक आम् और इजैल आपुण बोलाण चुलाण बाब चेलि थैं लगभग बंद कर दे। गोवर्धनज्यूक चारा चार च्याल स्कूल जानेर भाय जमै सबन है नान चतुर्भुज नामौक चतुर्भुज भौय। उसी वीक मन पढन लेखण है ज्यादे घराक काम में भौय रिश्या में जब उकं टैम मिलौल ऐ जानेर भौय। "के पाकणौ आमा, के पकूंणैछै इजा" घरौक खाणौक लूण चाखण और सबनौक बची खाण उ भलीकै खै ल्हिनेर भौय। पाणि सारण, गोठ पात करण में उकं भल लागनेर भौय।
उकं देख बेर वीक आम कुनेर ह भै कि --"चतुरा तुकों तौ घरैक ब्वारि हुण चैंछी, तु घरौक निकांस्सै (सबसे छोटा) च्योल भयै, चा धैं देवकि कं तकं चेलि है बेर लै कस टक्क (लगन)छु पढ़ाइक,और क्वे चेलि हुनी और दुसार घर में पैदा हुनीतो ऐल जालैं आपण सौरासौक कारोबार करैनि पर तौ और त्यार बाबू पत्त नै के सोच बेर बैठ ठैंयीं ,कैकी शुणनै न्हातन,पुठ पछिन पुर गौं त्यार बाबुक काट (आलोचना) करनी पर त्यार बाबुक "हाथिक कानाक माख" भाय।
आब भोल बै देवकि स्कूल जानेर छु। "तो आमा तुकं के परेशानी जांण दे पढ़ि लेख ल्हेली तो ठुल मैस बणि जालि,मकं तो पढ़न में मन नि लागन पर बाबुक डरैल मुनौव(सर) टेक राखनू किताबन में।" ठुल द्वियाद्वी दाज्यू लै खूब मन लगै बेर पढ़ते रुनि पर देवकि दिद तो गजबै छु,रत्तै उठ जैऔर लैम्फू जगै बेर पढ़न बैठ जैं। दिन रात एक करणै।
मकं तो बाबू कुनी "तु के कामौक न्हांतै", सांच्चि कुणयूं मकं तो रिश्यार (रसोइया) बणन छू। घरौक कारोबार करुंल, खाण पकूंल और आरामैल यो घरै में रूंल सबनैक सेवा करुंल। "पोथा पै तु च्योल भयै तु कसिकै लै रौलै तो तुकं क्वे नाम नि धरौल पर तेरि दिदिक उद्धार तो ब्या करबेरै होल पर त्यार बाबू और देवकि यो समाजैक बात समझनै न्हांतिन। तबै गोवर्धनज्यूल यो बात शुण ल्हे, "के भौ? को के नि समझन।" बस, तब सब चणी (चुप) ग्याय।
दुसार दिन बै देवकि लै स्कूल जाण लागी कक्षा सात में वीक नाम लेखि गोय, उ दिन बै उकं पढ़ाय में ऐस मन लाग कि आपण ठुल भाई है बेर लै ज्यादे अंकैल हमेशा पास भै और फिर एक दिन गोवर्धनज्यूल आपण द्विठुल च्याल और चेलि कं अल्माड़ पढ़न हुं भेज दें उनार दगाड़ आफि रूण लागि। आब घर में सास ब्वारी और चतुर्भुज रै ग्याय। उनार गौं बै अल्माड़ जाण में तीन घंट लागनेर भाय। पुर तपस्सी (तपस्या) करी गोवर्धनज्यूल आपण नानतिनन कं पढ़ूणाक लिजिए जमें उं भरपूर सफल लै भयी।
उनौर नान च्योल जै ज्यादे नि पढ़ सक पर ठुल तीनातीन नानतिन उच्च शिक्षा प्राप्त कर भले ही गौं हैभ्यार रैयीं, नान चतुर गौं में रौ वील आपण कारोबार संभालौऔर कुछ साल नौकरी कर बेर देवकि लै गौं में ऐं गे और वील पुर गौंक मैसन कं शिक्षाक महत्व खासकर चेलियानैक शिक्षा लिजी प्रोत्साहित करौ। आजन्म बिण बेवैयी रैबेर आपण गौं और आपण इज बाबूनैक सेवा करी,अनेक पुस्तक लेखीऔर आपण गौं और इज बाबुक नाम उज्याव करौ।
मौलिक
अरुण प्रभा पंत

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