
-:तु के कामौक न्हैतै भाग-१:-
(तू किसी काम का नहीं)
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
गोबरधनाक बड़बाज्यूल उ पुराण जमान में आपण च्यालनाक पढ़ै लिखै में के कसर (कमी) नि करि। उं तो आपण समय है बीस साल बादैक सोच बेर चलणी मैंस भाय। उनूल आपण चेलि कं लै पढ़ूनैक सोचि, पर गौं वाल 'के कौल' कै बेर उनरि घरवाय और इजैल 'देवकि'कं पढ़न नि दी।
तो उनूल वीक ब्या ठैरीण तक उकं संस्कृत और पुर पुजपाठ करूण और हिन्दीक अनेक पुस्तक पढ़ने हुं दिं। जनन कं देवकिल (देवकी ने) भौत भली कै पढ़ौ और उ आपण बाबू तैं प्रश्न पुछबेर और लै भौत जानकारी जो उ जमानाक चेलियांन कं (उस जमाने की लड़कियों को) नि हुंछी उकं सब पत्त करीं। वीक मन और लै किताब पढ़नौक गणित सिखणौक भौय।
अतः गोबरधन ज्यू जब अल्माड़ एक ब्या काज में गेयीं तो आपण चेलिक वास्ते उ जामानैक ख्याति प्राप्त गणितैक पुस्तक "चकवृर्त्ती अंकगणित" खरिद लैंयी। देवकि आब दिन रात वी किताब कं पढ़ पढ़ बेर वीक उदाहरण देख समझ बेर सवाल करनेर भैगे। कुछ दिनन में वील लगभग एक चौथाई किताब समझ बेर लगै ल्हि तो गोबरधनज्यू समझ ग्याय कि उनरि चेलि देवकि क्वे साधारण गृहणी बढ़नी लैकैक नि है बेर और लै ठुल काम करण हुं उनार घर पैद हैरै। अतः मनैमन उं वीक लिजि सोच-विचार करण लाग।
इथकै उनेरि इज और घरवाय उनार पछिल पड़ ग्याय कि देवकिक ब्याक तजवीज (कोशिश) करौ। आसपासाक गौन में पत्त करौ, कब तक चेलि कं घर बैठै बेर धरला (रखेंगे)। उनार सामुणि 'होय होय'कै बेर गोबरधनज्यूल कैं स्वाम्य (कुंडली मिलान )नि हुणौक नियौर (बहाना) कर बेर थ्वाड़ दिन थिरथाम (रोकदिया) कर दे पर कब तक! एक दिन उनैरि घरवाइक मैत्तिनाक रिस्तदारी बै एक रिस्त आय तो गोबरधनज्यूक इज आफि दुहर (दुसरे) गौंक पंडित थैं पूछगज कर स्वाम्य लैकरै लै और कूण लागि घर-बार देखिशुणी छु आब ढील (देर) नि करौ यो बैसाख(वैशाख) में ब्या कर दिण चैं, सब इष्टमित्र लै ऐ जाल और एक मौत ठुल काम लै है जाल। पुर सोल बर्सैक ज्वान चेलि छु,क्वे नानितिन(बच्ची)न्हैं।देवकिक दगाड़ाक सब चेलिनौक ब्या है गो।
भौत बाद में के मांटौट डेकार (मिट्टी की मूरत) बणांलै देवकिक लिजि। इथकै ब्याक नाम पर देवकिल डाढ मारबेर घर में अणकस्सै करदे। देवकि कुनेर भै कि मैल पढ़न छु, मकं लै म्यार भाइनाक न्यांथ (की तरह से) स्कूल जाण छु। ओ बाबू मकं बचाऔ, म्योर ब्या नि करौ ,मकं एक्कै रोट दिया मैं घरौक लै काम करुंल पर म्योर ब्या नि करौ,पछा पढ़लेखबेर कर दिया पर ऐल मकं पढ़न छु।
यो सब बात गोबरधनज्यूक कल्ज में बैठ गे और जब उनरि इजैल उनन थैं ब्या पक्क करणाक लिजि कौ (कहा) तो उ औतरि ग्याय और उनूल कै दि कि मेरि देवकि पढ़ लेख बेर जब ब्या हुं मंशालि (इच्छा करेगी) तबै मैं वीक ब्या करुल। अगर मेरि संतान इंग्लैंड जै बेर लै पढ़न चाली तो उकं मैं आपाण गाढ़ भिड़ बेच बेर लै पढ़ूंनेर छुं,जकं जे नाम धरण छु धरौ।
वीक बाद के भौ---अघिल भाग में
मौलिक
अरुण प्रभा पंत

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