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वीर बालक हरु सिंह हीत - कुमाऊँनी लोकगाथा (भाग-०२)

कुमाऊँ की लोकप्रिय लोकगाथा हरु सिंह हीत पर आधारित खंडकाव्य Famous folk tale of Kumaon "Haru Singh Heet"

वीर बालक हरु सिंह हीत

(भाग-०२)
कुमाऊँ की लोकप्रिय लोकगाथा पर आधारित खंडकाव्य
रचियता: खीमानंद
वीरगाथा को फ्लिपबुक फॉर्मेट में भी पढ़ सकते हैं

उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ अंचल में समय समय पर कई वीर-वीरांगनाओं ने जन्म लिया है जिनके सम्बन्ध में कई लोकगाथाएँ प्रचलित हैं।  कुमाऊँ की प्रमुख लोकगाथाओं में कत्यूरी जिया राणि, राजुला मालूशाही तथा हरु सिंह हीत आदि शामिल हैं।  यहां हम सल्ट परगने के एक शूरवीर राजा हरु सिंह हीत की वीरगाथा के बारे में जानेंगे, जिनका जीवन काल आज से लगभग २०० वर्ष पूर्व १७९० ई० से १८२० ई० के आसपास का माना जाता है।  यह उन दिनों का समय है जब अल्मोड़ा के सल्ट परगने में राजा समर सिंह (शायद वह कुमाऊँ के राजा के स्थानीय प्रतिनिधि होंगे, जिन्हें स्थानीय प्रजा राजा ही मानती है) का राज था।

राजा समर सिंह के सात पुत्र थे और सातों एक से बढ़कर एक बलशाली शूरवीर थे। कहा जाता है तब सल्ट बहुत संम्पन्न राज्य था जिस कारण उनको मन में अहंकार आ गया था और वह भी आक्रमणकारी गोरखो की राह पर चल पड़े और प्रजा पर अत्याचार करने लगे।  प्रजा उनके अत्याचार से त्रस्त होकर हाहाकार करने लगी और तभी क्षेत्र में अचानक एक महामारी ने दस्तक दे दी। इस भयंकर महामारी के प्रकोप से राजा समर सिंह के के सातो पुत्रो का क्रमबद्ध सात दिन में निधन हो गया और आठवे दिन राजा समर सिंह भी चल बसा।

सात शूरवीर भाइयो और पिता समर सिंह की मृत्यु के समय बालक हरु सिंह हीत माता के गर्भ में था।  जब उस वीर बालक का जन्म हुआ तो उसकी माँ सात विधवा भाभियाँ ही उसके परिवार में जीवित थी।   कवि द्वारा लोकगाथा में हरू सिंह  हीत के माता व भाभियों द्वारा लालन पालन किये जाने, उसकी किशोरावस्था के वीरता के किस्सों और पिता के राज्य को स्थापित किये जाने से लेकर युवक हरू सिंह हीत के प्रति भाभियों की ईर्ष्या, उसके तिब्बत (भोट देश) की राजकुमारी मालू के सौंदर्य से प्रभावित होने पर वहां जाकर तिब्बत से राजकुमारी मालू को जीतकर उसके साथ वापस सल्ट आने, भाभियों द्वारा मालू की धोखे से हत्या करने, उसके बाद विरह में हरू सिंह हीत द्वारा माता के प्राण त्याग देने पर स्वयं की भी जीवन लीला समाप्त कर देने का किस्सा कुमाऊँनी भाषा में काव्य रूप में दिया गया है।

पुस्तक पीडीऍफ़ फॉर्मेट में Kumauni Archives पोर्टल पर उपलब्ध है, रचियता का नाम खीमानंद दिया गया है, पुस्तक में लिखे गए शब्द कई जगह स्पष्ट नहीं हैं फिर भी हमने पुस्तक के आधार पर उसका लिपीकरण करने की कोशिश की है।

पिछले (भाग-०१) से आगे

सात व भौजिया हरु करीगी चौपट।
धोंस्यला गैबेर अब लागी गया बट।।
मिजातों में जानी तब मतवाली चाल।
अब सूणि लियो आघिलाका हाल।।
चानीखेत मज हैला द्वी भाई भैसिया।
हम धम नाम छिया बड़े पैक छिया।।
घर बटी धम गयो भैसों की खबर।
लालू ठाट फर तैले अड़ई कमर।।
तब तक आई गई सात यों भौजिया।
धमै लै खबर पुछी कतीक जणीया।।
घंमा को तुमरौ सौरासी छा कां तुमरौ मैत।
कबुघता उना जंछा घमीला छ चैत।।
बौराणी का यतु बात सुणी बौराणियां कनी।
गुजडू कोट हीतों बान सातै हैगौं रानी।।
और सब मरी गयी एक छ देवर।
घागरी का खोज जानू तला ओ भावर।।
हमारा लै दिन अब निकटना येती।
तलाओ भावर जौला सब सुख जती।।
धमा'का यतु बात सुणी बेर तब कोंछा धम।
तिरिया अबल हई निरनी सजम।।
न जाओ भावर तुम चैता का महोना।
घाम लागो बेर ओती ऐ जालौ अदीन।।
जहां जंछा भावर वो हिटो मेरा घर।
भाबर जैबेर तुमू लागी चैला जर।।
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बौराणियों का साताओ बौराणी कनी सुणी लिया बात।
देवर छ काल हरू हीत जैकी जात।।
सुसी बेर हरूवै लै करणी चौपट।
सबों की मुनई मज भुटी जलौ भट।।
धमा का यतु बात सुणी बेर तब कोंछ धम।
कसी क भुटल भट हम जै छौ कम।।
हरुवा ज येती आलौ निभुगुतौ जान।
बादुला गिनुवा जस फैकुला असमान।।
सातों का जाना यतु बात सुणी बेर सातै लौटि गया।
धम का दगड़ा अब चानी खेत गया।।
चानी खेत मज खानी दै दुध पराई।
हम कोंछ धम हैंती सुण मेरा भाई।।
तीन सैणी तेरा बांट तीन मेरा हनी।
एक सुवा बांकी रैगे उमेरो जेठुनी।।
द्वी भाइयों बाट तब चानी खैत हया।
आघिन की हरुवै की बात सुणी लिया।।
जिमीदार घर गया हरू गुज्डू कोट।
खनखनाट घ्वण पड़ जब चाय गोठ।।
घास पात के निदेख न्है गया भतेरा।
भौजिया कां गई इजा है गेछ अबेर।।
कती गई मेरी इजा भौजिया ओ सात।
धौ काटणो हैगे हरू फिकर की रात।।
पूरब उज्याई मज हरू हो तैयार।
एक हाथ ढाल थामो एक तलवार।।
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मेंत जाने मेरो इजा भौजियों खोजण।
क्या बात है गेछ आज जो रहैगी वण।।
यात खाया स्यू बागै लै यात टूट पड़ा।
स्यू बाग बदल ल्यूला टुट हूणा ढाड़ा।।
हरूवा ओ हीत न्हैगो जगलों जगल।
बांसुई खानम देखि भौजि घस्यरों दंगल।।
हाथ जोडि हरू कौंछ सुणौ मेरी बात।
उन्हा उमां जानी देखी भौजि मेरा सात।।
सैणी कनी सुणि लियो रज ज्यू हमरा।
पत हम बतै द्यूला लौटि जामो घर।।
सात ओ भौजिया न्हैगो भैसियों का घरा।
चानी खेत मज हैला उनरा ले ड्यरा।।
हम धम नाम हल पैक छ ज भारी।
झन जया चानी खेत तुम दिला मारी।।
यतु बात सुणी हरू टूटी गे कमर।
के बतोंला इजा कणि कसी जानू घर।।
धिकार छा मैंहणी लै लोटौं डरीक।
आपु हणि झांस रय उमरा भरी।।
डरपोक च्यलै लै आब कब लै बचणों।
यात नाम ममें जांणो या भल मरणों।।
जस हलौ भुगुतुला भौजियो कारण।
या ल्यौंल भौजियों कणी या झूला प्राण।।
मार मार कने हरू चानों खेत गय।
मोवा का थुपुड़ मज बैठी लक गय।।------------------------------------------------------------------

हथियार भी में धरा बात सुणी रय।
थोड़ी देर मज तब हरूवै लै कय।।
हरू का सुणि लियो मेरा भाई मैं माफ कै दिया।
मेरो लै भौजियों कणि में कणि दिदियो।।
यतु बात पड़ी गैंछ हमा का लै कान।
को ऐ रौछा भौजि वाव फट लेगे दान।।
हमा का भौजि वाव म्यर भुला को ऐरछ भ्यार।
कान कें पकड़ी बेर फैंको कोसी पार।
यतु बात सुणी हरू उठिगो जहर।
गुस्सा भज भरी बेर बाल झर झर।।
हरू का भ्यार क्यलै निअना ओ निगुरा कुजाति।
ठाड़ो हई रयो मैंले खोलि रैछ छाति।।
यतु बात सुणी बेर धम आई गया।
द्वीयों का आपस मज अंग भिड़ गया।
धमा हरू का लड़ना हरुवा हीतक हय नौणियां बदन।
धम पैक लड़ि गया भालू कस कना।।
द्वीनूक है गया तब मल युद्ध भारी।
गुस्सा मजा भरि बेर हरुवै लै मारी।।
हरुवा मारण मज गिरि गोय धम।
झट पट हरु तब बैठिगो छातिम।।
हरुवै तागत देखी घबड़ाय धम।।
तिरियों कारण ददा मरी गय हम।।
धमा का म्यार माग पार निछैं तिरिया लहणी।
मेरी ले तरफ बटी सातै छै तेहणि।।
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यतु बात सुणी बेर हम हैगो भ्यार।
एक दम लड़ि गयो कठैं कसि चार।।
हम हरू लड़ि गया धम हों तैयार।
हरु पर करि हैछ लटु स्वटों मार।।
तीन दिन तक रगो भारी घमसान।
द्वीयों का दगड़ा लड़ि गिरी गो निदान।।
हरू को मार देना बेहोश · हैगोय हरु पड़िरौ जमीन।
हम धम द्वीय भाई पड़ी गेछ नीन।।
लाश पड़ी रेछ हरु हँस उड़ि गोय।
महेड़ी क पास जाय स्वीणा मजी कोय।।
स्वप्न में माता से चानीखेत मरी गय भौजिया कारण।
लाश पड़ी रैछ ओती उड़िगो पराण।।
हमा धमा साथ इजा तीन दिन लड़ो।
भूख कारण इजा जमीन में पड़ौ।।
एक दिन मरण छा एक दिन काल।
अपण त दुख गोय त्यर जनजाल।।
आठ च्यला सैंती देर है गई अनाथ।
कसो रौली गुज्डू कोट क्वे निरय साथ।।
स्वीण मजी कैछ तब सतवन्ती माई।
क्यले गय चानीखेत क्य कुमति आई।।
कसी भूख लागी च्यला जो हय निराश।
वैश धारी दूध च्यला ते पिलौला खास।।
गोदी में बिठाई वेर छाती पै लगाय।
महेड़ी क दूध पिय पेट भरि आय।
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जिन्दा होना स्वपना रणम हरू पेट भरि गोय।
मुणी मुणि कनै भया जागण भैगयो।।
गुज्डू कोट माई जागी हरू जानी खेत।
उजयाव हणम द्वीये है गई सचेत।।
आंख खुला महेड़ी का स्वणि आई याद।
अपणा गौरिया कणी मारी हली धाद।।
माता का-सांच जै गोरिया हल हरु बौड़े ल्यये।
च्यलौ म्यर मरी जालौ तू माट बुकाये।।
रुनै'ब उड़ानै न्हैगे गोरिया थानम।
दुखिये आवाज न्हैगे गौरिया कानम।।
महेणी लै धर जब गोरिया का ध्यान।
आँख खुला हरुवा का हृदया में ज्ञान।।
हरू का आपण मनम हरू करछ विचार।
क्या कुमति पाई कोछ जो छोड़ी हत्यार।।
गुस्स मज हरुवा का अखि हैगो लाल।
कस केरौ आज कौछं बेमौत वे काल।।
जै लाग हरुवा तब उठाई तलवार।
कतु लुका चोर जार आई जावो भ्यार।।
हरुवै की धाद सुणी सबै चौकि गया।
मरियौको ज्योन हैगो सुण भ्यर भया।।
दोनों भाइयों का हिट म्यर ददा अब द्विय भाई जौंला।
मारी बेर मोवा सेत हरूवा दबौला।।
द्विय भाई मत्त करि आई गय भ्यार।
हरुवा लै थाम हैला ढाल लै तलवार।।
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हम धम हरू हैंती देखनी तलवार।
हरू पर करी तब लट्ठ बल्टो मार।।
हरू को मार देना ढाल पर रोकी हरू लट्ठ बल्टो मार।
दूसरा हाथ लै हरू चलै तलवार।।
हम धम द्वी भाइयों का सिर काटी गया।
लाश पड़ी जमीन में हँस उड़ि गया।
जै लाग हरूवा तब खरक भितेर।
सातौ का धम्यलौ थामौ गुस्स भरि बेर।।
घर बड़ा लगै बेर सातौ ल्याय भ्यार।
सात ओ भौजिया तब है गई लाचार।।
भाभियों का धमेली लै छोडि दियो हिठी बेर ओला।
आपणी दिल को तुमू बात लैं बतोला।।
सैंती पाई में तुम बनाया जवान।
आज ओ खोजण बैठा हम् हैबे बान।।
तुमर कारण न्हैगे जवानी हमरी।
हमूहबे बान सब को हली दूसरी।।
सबों है बे बान दयोरा भोट में बतानी।
मालू ओ रौतेली हली दुनिया गाहिनी।।
हना जबा च्यला तुम मालू ब्यवे ल्यना।
मल भोट मज तुम नाम को आन।।
च्यला हला मालू ल्यला नतर सियार।
कतु भुकि जानी यसा कुकुरै की चार।।
तिरियों वचन सुणी हरू कलेजी भै गयो।
गोली का समान लागौ टुकड़ा कै गयो।
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भौजियो लीबेर हरू प्राय गुज्डू कोट।
कलेजी में लागी रैछ बचनौ की चोट।।
हरू का हाथ जोड़ी माता हणी सिर लै झुकाय।
तेरी लै टहल हणि भौजिया लि आय।।
तू रहये इजा मेरो येती गुजड़ुकोट।
बचनो कारण आज जानू भला भोट।।
ब्यवे बेर ल्योंला ईजा ओ मालु रौतेली।
दुनियां गाहिनो हैरै मालु सौके चेली।।
माता का हरूवै की बात सुणी हिय भरी आया।
महेड़ी का आंख मजि सौण झुलि गया।।
क्यलै मल भोट क्यछ यस काम।
कैल बहकाय च्यला केछ वीक नाम।।
हरू का-हरु कौंछा तब सुण इजा बात लै बतानू।
भौजियों लौ बोली मारी कसिक रहनू।।
माता का माई कैछ सुण च्यला निबादन हठ।
तु'त जालै भोट हणि कोट रल पट।।
नजा नजा म्यर च्यला भोटान्ता का देश।
भौटियौ, दगड़ च्यल निपंड़नी मेश।।
जादू का पड़िया रनी विपक भरिया।
ज्यौंन जि या क्वे निलौटा बोंता छै मरिया।।
निमाननै जब तु'त मेरी कै जा मेरी गत।
तु'त गये भोट हणि मेरी है कुगति ।।
जब सुंणि हरुवै लै महेड़ी की बात।
मैं निज़ान भोट हणि बहकाई बात।।
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हरु का हरूवै लै मन मज मत्त लै उपाय।
वामण के पास जाई सुदिन कराय।
घर आई बेर हरू महेड़ी नवाई।
मुनई कटोरी बेर पलंग स्यवाई।।
बुढ़िया पराण हय पड़ि गई नीन।
हरूवा ओ हीत अब क्य करू आघीन।
हरूवा ओ हीत तब करुछा विचार।
जण का लिजिया हरु है गोछ त्यार।।
घ्वड़ा पास न्हैं गेय हरुवा लै हीत।
सजाण भै गोछ घोडी सूणो लिया झीत।।
सुनहरी जीन धरि चांदी की रकाब।
सिर में कलंगी माजी घोड़ी क्या नवाब।।
मोती चूर लगाम ओ घोड़ी पै लगाय।
घोड़ी सजी बेर हरू भीतर ऐगय।।
रेशमी कपड़ पैरा पुतलिया पाग।
हिय भरी आय हरू मन में बैराग।।
एक हाथ ढाल थामी एक तलवार।
विरोधी बांसुरी धरि मन में विचार।।
इजा कणि हरुवै की पड़ी रैछा नीन।
हरूवा लै हीत तब क्य करु आघिन ।।
माता से मेरी इजा गुज्डूकोट तू रया निचना।
म्यर ले लिजिय इजा तु रोये लै झन।।
सात भाई मरी गया तब इजा छोड़ी।
मैं पापी निकलौ इजा मैंले ज्योने छोड़ी।।
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मल भोट जान इजा मालूक परण।
गुज्डूकोट छोड़ इजा बचनू कारण।।
हरूवा का आंखों मज सौण झुली रया।
मन मने मज हरू महेड़ी हैं कया।।
सांच च्यल त्यर हौंला लौटि घर ओला।
झुठौ जै हनल इजा मल भोट रौंला।।

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तीसरा अध्याय

हरू का मालु के लिए भोट जाना

हाथ जोड़ी माता हणि हरु हो तैयार।
रकाबों में खुट धरी है गयो सवार।।
घ्वड़ मज बैठ हरू बट लागि गयो।
वचन कारण हरू मरण हैं गोय।।
महेड़ी का ध्यान धरि आघिन न्है गया।
जीव जन्तु गुज्डूकोट झुरण लै गया।।
हरू की घोड़ी न्हैगे हरण का बट।
निगलागों वटि न्हैगो गभिणी का घट।।
तब आई गोछ हरु पितरोंक ध्यान।
भेट करी जानु कोंछ आपण तिथाण।।
घ्वड़ लौटे बेर गय जाँ छिया तिथाण।
हंसी -ढुंगा मज कय अरघ धुपाण।।
हात जोड़ी हरुवै लै करी अराधना।
सांच जै पितर हला मैं छोडिया झन।।
भौजियों कहण पर मर हण जानु।
तुम छा पितर म्यरा पुकार कै जानु।।
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कृमशः अगले (भाग-०३) में

ऊपर दिए गए आलेख में कई टंकण की त्रुटिया हो सकती हैं, हमारा प्रयास है की जैसे ही संज्ञान में आये तो हम सुधार करते रहेंगे। आवश्यक सुधार हेतु कृपया कमैंट्स के माध्यम से अपने सुझाव अवश्य देते रहें।


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फोटो (काल्पनिक) सोर्स: गूगल

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