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वीर बालक हरु सिंह हीत - कुमाऊँनी लोकगाथा (भाग-०४)

कुमाऊँ की लोकप्रिय लोकगाथा हरु सिंह हीत पर आधारित खंडकाव्य Famous folk tale of Kumaon "Haru Singh Heet"

वीर बालक हरु सिंह हीत


(भाग-०४)
कुमाऊँ की लोकप्रिय लोकगाथा पर आधारित खंडकाव्य
रचियता: खीमानंद

वीरगाथा को फ्लिपबुक फॉर्मेट में भी पढ़ सकते हैं

उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ अंचल में समय समय पर कई वीर-वीरांगनाओं ने जन्म लिया है जिनके सम्बन्ध में कई लोकगाथाएँ प्रचलित हैं।  कुमाऊँ की प्रमुख लोकगाथाओं में कत्यूरी जिया राणि, राजुला मालूशाही तथा हरु सिंह हीत आदि शामिल हैं।  यहां हम सल्ट परगने के एक शूरवीर राजा हरु सिंह हीत की वीरगाथा के बारे में जानेंगे, जिनका जीवन काल आज से लगभग २०० वर्ष पूर्व १७९० ई० से १८२० ई० के आसपास का माना जाता है।  यह उन दिनों का समय है जब अल्मोड़ा के सल्ट परगने में राजा समर सिंह (शायद वह कुमाऊँ के राजा के स्थानीय प्रतिनिधि होंगे, जिन्हें स्थानीय प्रजा राजा ही मानती है) का राज था।

राजा समर सिंह के सात पुत्र थे और सातों एक से बढ़कर एक बलशाली शूरवीर थे। कहा जाता है तब सल्ट बहुत संम्पन्न राज्य था जिस कारण उनको मन में अहंकार आ गया था और वह भी आक्रमणकारी गोरखो की राह पर चल पड़े और प्रजा पर अत्याचार करने लगे।  प्रजा उनके अत्याचार से त्रस्त होकर हाहाकार करने लगी और तभी क्षेत्र में अचानक एक महामारी ने दस्तक दे दी। इस भयंकर महामारी के प्रकोप से राजा समर सिंह के के सातो पुत्रो का क्रमबद्ध सात दिन में निधन हो गया और आठवे दिन राजा समर सिंह भी चल बसा।

सात शूरवीर भाइयो और पिता समर सिंह की मृत्यु के समय बालक हरु सिंह हीत माता के गर्भ में था।  जब उस वीर बालक का जन्म हुआ तो उसकी माँ सात विधवा भाभियाँ ही उसके परिवार में जीवित थी।   कवि द्वारा लोकगाथा में हरू सिंह  हीत के माता व भाभियों द्वारा लालन पालन किये जाने, उसकी किशोरावस्था के वीरता के किस्सों और पिता के राज्य को स्थापित किये जाने से लेकर युवक हरू सिंह हीत के प्रति भाभियों की ईर्ष्या, उसके तिब्बत (भोट देश) की राजकुमारी मालू के सौंदर्य से प्रभावित होने पर वहां जाकर तिब्बत से राजकुमारी मालू को जीतकर उसके साथ वापस सल्ट आने, भाभियों द्वारा मालू की धोखे से हत्या करने, उसके बाद विरह में हरू सिंह हीत द्वारा माता के प्राण त्याग देने पर स्वयं की भी जीवन लीला समाप्त कर देने का किस्सा कुमाऊँनी भाषा में काव्य रूप में दिया गया है।

पुस्तक पीडीऍफ़ फॉर्मेट में Kumauni Archives पोर्टल पर उपलब्ध है, रचियता का नाम खीमानंद दिया गया है, पुस्तक में लिखे गए शब्द कई जगह स्पष्ट नहीं हैं फिर भी हमने पुस्तक के आधार पर उसका लिपीकरण करने की कोशिश की है।

पहला अध्याय-कवि का वर्णन

पंचनाम देव तुम है जया दयाल।
मूरखा का दिल मज करिया उज्वल।।
ईश्वर कौ ध्यान धरि उठानू कलम।
सब जग वीकी माया जलम थलम।।
धन धन हरि तुम, विष्णु भगवान्।
आघिनौ कौ लेखणौ कौ दिया वरदान।।
हृदय में बैठि जये सरस्वती माई।
गणेश ज्यु विघ्न हरि करिया सहाई।।
धन धन हरि तुम धन तेरी माया।
कसा कसा ज्यला हया सदा क्वे निरया।।
सत्तर सौ नब्बे का मैं सुणानू यो हाल।
गोरखा लै जित जब अल्मोड़ा गढ़वाल।।
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समर सिंह के सात बेटों का हाल

तै बखतर समर सिंह गुजडू कोट मज।
सात च्यला सात ब्वारी चार पट्टी राज।।
तला पट्टी साल्ट मज समरू छी हीत।
कस छी बखत भया किसी छी ओ रीत।।
गुजडू कोट मज छिय तैक वसनाम।
चार दिन दुनिया में चले गया नाम।।
सात च्यला सात ब्वारी खूब झर पर।
चार पट्टी मालिक छ कैकी निहै डर।।
कुणखेत बारैडा में कमैं खणी स्यरा।
गुजडू कोट मज हैरे अन धनै ढेरा।
भारी सुख चैन हैरी भारी छी सम्पत्ति।
जब आनी बुरा दिन बैठी जैं कुमति।।
सात च्यला-समरू का भारी शूरवीर।
आई गय अभिमान निल्यना खातिर।।
सात बेटों का-आन जना लोगों की ओ लूटना रेशाला।
भलीभाली बाकरी कौ आई जांछा काला॥
अण ब्याह चेलियों को ठाकुर चारौ खानी।
वाट घट जैक भालै लै उघानी।।
दुखियों का-अणियाँ जणियां लोग है गई हारन।
बटा घटा बन्द हैगी सुणौ, भगवान।।
हमारी पुकार न्हैजो ईश्वरा दरवार।
गुजडू कोट मज हैरौं कस अत्याचार ।।
सातै च्यला मरीजै ओ ब्वारी हैजों रानी।
बिन वातै दुख दिनी यसा अभिमानीं।। 
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जग जग सब लोग दौब जन गाई।
टोटली है जाली कनी नाजै कसी नाई।।
तैबखता जर आया मुलुक तमान।
इलाका में फैली गया जादू की समान।।
कुछ दिन मज सब भला हुई गया।
आखरी में जर जब गुजडू कोट गया।।
जर है कुंजर हैगी गुजुडू का कोट।
कैमजी क्य दोष बाबू अपणौ छी खोट।।
जैकणी ओ जर आनी निऊठना ठाड़ा।
गुज्डू कोट मज लेगे दुखियों की डाड़ा ॥
लीई गय अभिमान लींगय गरूर।
दुनिया की गाई बाबू लागीगे जरूर॥
सात च्यला समरू का पड़िया रेगया।
बारी बारी पर भया हंसी दूँग गया॥
सातै दिन मज तब सातै च्यला मरा।
सातै व्वारी रानी हैगी यस अया जरा ।।
साते च्यला मरीं गया एक ले निरय।
हाय करी समरू क कंठ रूकौ गया।।
आठों दिन समरुवा स्वर्गवास हया।
छै मैहैंन हरू हीत पेट मुया रया।।
एक छौ मेहड़ी हरूसात छै भौजिया।
देखण चहण मज मन का रौजिना॥
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भल मैसों च्यलीं छिया खानी दानी घर।
कसी जानी यथा उथा सरमें की डर।।
हरुवा का नाम पर उमर काटनी।
अन धन के निरय गैठी क्योला खानी।।
खानदानी घर छिय हई गई सेक।
शूर वीर मरी गई हरू रय एक।।
खीमानन्द कहणं छ घर लिया ध्यान।
द्वी दिन वचण हय निकय गुमान॥
जति शान्ति हलो ओती ईश्वरौ का वास।
अभिमा करि गया बड़ौ बड़ौ नास।।
हमरी क्य गिनती हई देवों को निरई।
गुज्डू कोट गरम लै कसी दसा भई॥
द्वीये स्यरा बजा हया बन्द है रकम।
निरहैगे डर कैकी नै कैक हुक्म॥
डर है निडर हैगो खुशी हया लोग।
सात च्यला मरी गया उड़ी गय भोग॥
महेणी भौजिया हरू करनी पालन।
जो पूछल दुशमन बताया लैं झन।।
हरूका-चार पांच बरस क हरूवा है गय।
पड़ण लिजायाँ तब स्कूल गय।।
दिन मरि इसकूल व्याल कौछ खेल।।
ननतिनों मज भयो पैली बटो मेल।
जस जैक काम हौछा उसै उं करनी।
मछा रनी पाणी जज बच्चा लै तैरनी।।
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क्वे होंछ दिवान वीक क्वे हैछा सन्तरी।
अफु होछ रज हरू ठाड़रों सन्तरी।।
एक दिन एक नान बनै हैल चोर।
हरूव हुक्म लैगो हात बांधों डोर॥
कान लै पकड़ी बेर मारनी द्वी लात।
आज बटि छोड़ी दिये चोरी की लै लत।।
चोर जो बनाय बाबू तैंक नाम मोती।
ऐसी बोली मारी बेले बात अण होती।।
चोर-गरभै लै खाय कोछा सात भाई त्यरा।
कार बार बन्द हय बांज हया स्यरा।।
चार पट्टी जिमीदार निदिना रकम।
डर है निडर  हैगो न कैक हुक्म।।
तब कौला च्यलौ छै तु उधालै रकम।
स्यर लै आबाद कलै दिद्यलैं हुक्म।।
चौद सालैं उमर छी हरुबैं की तब।
बदन में आग लैंगे बोली मारी जब।।
हरु का...एक दिन न्हैगो हरू महेड़ी का पास।
हाथ जोड़ी कोछ इजा अरज छ खास।।
खेती ममै कती खछी सात भाई म्यरा।
कती लै इलाक म्योर कती मेरा स्यरा।।
भेद झन छिपये तू सांची कये बात ।
भेद जै छिपाली इजा कौला जीव घात ।।
माता का-यतु बात सुणी मां कौ हिय भरि आय।
को हनल दुश्मर भेद जो बताय।।
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निबतानू  मैं जब य बड़ौ हटिल। 
बजरै की छाती करी समझाया।।
तिकणी कराय च्यला नौरमल पास।
काला दिनो याद करी मैं लागू निसास।।
कुणखेत बौरणा में कमै खणी स्यरा।
घार पट्टी मज च्यला जिमीदार त्यरा।।
जै महेनौ छिय च्यला सातै भाई मरा।
बाझ्यू तेरा मरी गया छुट कारबार।।
उदिन बै खेती बांजी बन्द है रकम।
निरहैगे डर कैकी न कैको हुक्म।।
हरू का-इन बातों सुणि हरु उठिगो जहर।
गुस में भरिगो हरु बाल झर झर।। 
आज तक निबताय इजा त्वीले बात।
ऐसो बात सुणी मेरो जली गोछ गात।।
मैंत जानू मेरी इजा चारौ पट्टी मज।
किलक रकम रुकी क्यछ मन मज।। 
एक हाथ ढाल थाम एक तलवार।
जीन थरी घोड़ी मज है गयो सवार।।
हरुवे की घोड़ी न्हैगे क्वस्यां नबा मज।
जिमीदारो कणि हरु धाद मारी तब।। 
चौद सालैं रकम व सब नत मारी जानू।
यति करौ जम सब नत मारी जानू।।
स्यर म्यर, बांज रय रकम लैं बन्द।
चाहे वेचो घर कुड़ी चाहे करौ चन्द।
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रकम लै जम कवो स्यर लैं आबाद।
जगा जगा क्वास्यरा  मज लगे हैछ धाद।।
दूसरी ओ धाद मारी सल्ड तल्ला पट्टी।
आज तक चुपै रेय लगतावैं  वटी।।
मालकनौ समेत औ रकम लै ल्यावो।
वौरड़ौ को स्यर म्यरौ वाद कै जावो।।
हरुवा ओ हीत न्हैगो बसनाई फाट।
या मानो हुकम मेरो न पूजानू घाट।।
हरूवै की धाद सुणी हैगी भयभीत।
कती वटी आछ कनी दुश्मन हीत।। 
जमीदारों का-कुदार के छील भया आय कती बटी।
इनुलै निखान दिब लगताबैं बटी।।
गौनू गौनू मज सब जम हई गया।
सबैं एक मत करी सुणौ म्यर भया।। 
रकम लै मालकामू हत दैकी ठेकी।
सैणी बल्द साथ जैंला  इमजी छ नेकी।।
घर घर मज सब बने हैला रब्ट।
सबासैं बेकार लागौ रातैं लागौ बट।। . 
क्वस्तां का ओ जिमीदार कुणखेत अया।
सल्टीयों की बात सुणी लिया भया।। 
पैली बटी नामी हया सल्ट का सल्डिया।
झड़डालू बड़ हया ठुला लै बल्दिया।। 
हलियो लै हल थामा सैंणियों लै बरा।
ठुलाओ बब्दौ का बाबू बाजिया नेवरा।।
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वोरड़ा का स्यरा मज रातै नसी गया।
दैकी ठेकी जम करी कार लागी गया।।
हलिये ले हल बाय जेलणियां साथ।
द्वीय स्तरा मज हैंरौ भारो सोमनाथ।।
उज्याव हणम हरू टुटि गेछ नीन।
हाथ जोड़ी माता हणी हैंरछ आधीन।।
ढया मज़ा जाई बेर देखि आनू स्यरा।
आई कि निअया इजा जिमीदार म्यरा।।
हरुका-ढया मज जाई बेर लागीगे नजर।
द्वीय स्यरो सेणी मैस लागी रई कार।।
खुशी हई गय हरू आई घर घर।
घ्वड़ मजि जीन धरी वादी ओ नेवर।।
रेशमी कपड़ा पैरा पुतलिया पाग ।
घ्वड़ मज सवार हैगो बांसरी में राग।। 
कुणखेत स्जर न्हैगे हरुवैं की घोड़ी।
सब झड़ स्यो लगानी हाथ जोड़ी जोड़ी।।
खुशी हबैं न्हैगो बोरड़ा स्यरम।
सल्टा क सल्टिया सब हई गया जंब।।
जमीयारों का सब झड़ स्यो लगानी हरुवा अणस।
घोड़ी बे उतरी हरु बैंटठिगो बीचम।।
छोटा ठुला मैंस सैंणी जम हई गया।
द्वी स्यरों लोग सब वैठि गया।।
हरुका- खानदानी च्यला छिय कसों कोंछ बात।
हाथ जोड़ा अरज छ नानी ठुला बात।।
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वहैं गछा दुणे जया बुतो जया धान। 
भलौ है जो तुमरौ लै धरी गछा मान।।
जतुक ऐरछा येती मेरों भाई बैणी।
मैस जैला देर मजि बैरे जाओ सैणी।। 
क्वे हनला यकलाओ कैका नना तिना।
उनर शराप भाई लागलौ आघिना।।
सबै मैंसों हणी हरु हाथ लै जोड़िया।
अरज छ मेरी भाई मैं झन छोड़िया।।
अपण दिल की तुमू सुणानू फिकर।
कथ बटि करी हालों ब्याऊ की जिगर।।
सीदी सादी नानी हवौ घर खान दान।
सात लै भौजिया घर महेणी समान।।
आठवां छ इजा मेरी बुढ़िया पराण।
सबौ की जो सेवा करो ऐसी हो बौराण।।
ऐसी बात चीत हैरै बौराण स्यरमा।
दुशमन नसी गय हरुवा घरम।।
हरुवा भौजिया हैती कसी कौछ बात।
मेरी बात सुणौ कौंछ रानिओ ओ सात।। 
देवरा कारण काटा दिन रात।
जिमोदारों हैतो हरु ऐसी कौछी बात।।
भल खान दान चेली जैक भल नाम।
उरली बैठिया कौछा भौजि कैला काम।। 
जो मेरी वौराण हली रली सब शीर।
सात जो भौजिया मेरा करीला खातीर।।
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ऊहली बौराण अब तुम ले नौकर।
तुमर रहणौ येती बड़ौ छ बिकार।।
भाभियों का-भौजियों ले सुणी जब दुश्मन बात।
गुस्सा मजि भरि बेर घालनी यो घात।।
जै बौराण-भती ल्यायै बेरै हैजो रान।
झन खाण पये हरू द्वी स्यरों धान।। 
हिटौ दिदि भुली अब हम नसी जोंला।
हरुवा जै ब्याऊ कौंछा क्लक  रहोंला।।
कमर बरति बांदी हत पर दाती।
सातै भौजि बट लागी बेठि गे कुमति।।
बौराड़ा कुणखेत बटि सड़क में गया। 
सड़क में जाई बेरा धोंस्यला लै गाया।।
धोंस्यला 
बकर की कानी धम्मा धोंस्यला। 
जै बौराण भली ल्यालै धोंस्यला।।
बैरै हैजो रानि धम्मा धोंस्यला।१।
पक्ये हैलौ मान धम्मा धोंस्यला॥ 
झन खाण पये हरू धोंस्यला।२। 
हे सेरी का धान धम्मा धोंस्यला॥ 
लट पटी लोड़ी धम्मा धोंस्यला। 
येती बटी खाली न्हैजो धोंस्यला। 
हरुवै की घोड़ी धम्मा धोंस्यला।३। 
हरुवै की घोड़ी धम्मा धोंस्यला।।
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सात व भौजिया हरु करीगी चौपट।
धोंस्यला गैबेर अब लागी गया बट।। 
मिजातों में जानी तब मतवाली चाल।
अब सूणि लियो आघिलाका हाल।।
चानीखेत मज हैला द्वी भाई भैसिया।
हम धम नाम छिया बड़े पैक छिया।।
 घर बटी धम गयो भैसों की खबर।
लालू ठाट फर तैले अड़ई कमर।। 
तब तक आई गई सात यों भौजिया।
धमै लै खबर पुछी कतीक जणीया।।
घंमा को तुमरौ सौरासी छा कां तुमरौ मैत।
कबुघता उना जंछा घमीला छ चैत।।
बौराणी का यतु बात सुणी बौराणियां कनी। .
गुजडू कोट हीतों बान सातै हैगौं रानी।।
और सब मरी गयी एक छ देवर।
घागरी का खोज जानू तला ओ भावर।।
हमारा लै दिन अब निकटना येती।
तलाओ भावर जौला सब सुख जती।। 
धमा'का यतु बात सुणी बेर तब कोंछा धम।
तिरिया अबल हई निरनी सजम।।
न जाओ भावर तुम चैता का महोना।
घाम लागो बेर ओती ऐ जालौ अदीन।।
जहां जंछा भावर वो हिटो मेरा घर।
भाबर जैबेर तुमू लागी चैला जर।।
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बौराणियों का साताओ बौराणी कनी सुणी लिया बात।
देवर छ काल हरू हीत जैकी जात।।
सुसी बेर हरूवै लै करणी चौपट।
सबों की मुनई मज भुटी जलौ भट।। 
धमा का यतु बात सुणी बेर तब कोंछ धम।
कसी क भुटल भट हम जै छौ कम।। 
हरुवा ज येती आलौ निभुगुतौ जान।
बादुला गिनुवा जस फैकुला असमान।।
सातों का जाना यतु बात सुणी बेर सातै लौटि गया।
धम का दगड़ा अब चानी खेत गया।। 
चानी खेत मज खानी दै दुध पराई।
हम कोंछ धम हैंती सुण मेरा भाई।।
तीन सैणी तेरा बांट तीन मेरा हनी।
एक सुवा बांकी रैगे उमेरो जेठुनी।।
 द्वी भाइयों बाट तब चानी खैत हया। 
आघिन की हरुवै की बात सुणी लिया।।
 जिमीदार घर गया हरू गुज्डू कोट।
खनखनाट घ्वण पड़ जब चाय गोठ ।।
घास पात के निदेख न्है गया भतेरा।
भौजिया कां गई इजा है गेछ अबेर।।
कती गई मेरी इजा भौजिया ओ सात।
धौ काटणो हैगे हरू फिकर की रात।। 
पूरब उज्याई मज हरू हो तैयार।
एक हाथ ढाल थामो एक तलवार।।
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मेंत जाने मेरो इजा भौजियों खोजण।
क्या बात है गेछ आज जो रहैगी वण।।
यात खाया स्यू बागै लै यात टूट पड़ा।
स्यू बाग बदल ल्यूला टुट हूणा ढाड़ा।।
हरूवा ओ हीत न्हैगो जगलों जगल।
बांसुई खानम देखि भौजि घस्यरों दंगल।।
हाथ जोडि हरू कौंछ सुणौ मेरी बात।
उन्हा उमां जानी देखी भौजि मेरा सात।।
सैणी कनी सुणि लियो रज ज्यू हमरा।
पत हम बतै द्यूला लौटि जामो घर।।
सात ओ भौजिया न्हैगो भैसियों का घरा।
चानी खेत मज हैला उनरा ले ड्यरा।।
हम धम नाम हल पैक छ ज भारी।
झन जया चानी खेत तुम दिला मारी।।
यतु बात सुणी हरू टूटी गे कमर।
के बतोंला इजा कणि कसी जानू घर।।
धिकार छा मैंहणी लै लोटौं डरीक।
आपु हणि झांस रय उमरा भरी।।
डरपोक च्यलै लै आब कब लै बचणों।
यात नाम ममें जांणो या भल मरणों।। 
जस हलौ भुगुतुला भौजियो कारण।
या ल्यौंल भौजियों कणी या झूला प्राण।।
मार मार कने हरू चानों खेत गय।
मोवा का थुपुड़ मज बैठी लक गय।।
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हथियार भी में धरा बात सुणी रय।
थोड़ी देर मज तब हरूवै लै कय।। 
हरू का सुणि लियो मेरा भाई मैं माफ कै दिया।
मेरो लै भौजियों कणि में कणि दिदियो।। 
यतु बात पड़ी गैंछ हमा का लै कान।
को ऐ रौछा भौजि वाव फट लेगे दान।।
हमा का भौजि वाव म्यर भुला को ऐरछ भ्यार।
कान कें पकड़ी बेर फैंको कोसी पार।
यतु बात सुणी हरू उठिगो जहर।
गुस्सा भज भरी बेर बाल झर झर।। 
हरू का भ्यार क्यलै निअना ओ निगुरा कुजाति ।
ठाड़ो हई रयो मैंले खोलि रैछ छाति।। 
यतु बात सुणी बेर धम आई गया।
द्वीयों का आपस मज अंग भिड़ गया।
धमा हरू का लड़ना हरुवा हीतक हय नौणियां बदन।
धम पैक लड़ि गया भालू कस कना।। 
द्वीनूक है गया तब मल युद्ध भारी।
गुस्सा मजा भरि बेर हरुवै लै मारी।। .
हरुवा मारण मज गिरि गोय धम।
झट पट हरु तब बैठिगो छातिम।। 
हरुवै तागत देखी घबड़ाय धम।।
तिरियों कारण ददा मरी गय हम।।
धमा का म्यार माग पार निछैं तिरिया लहणी।
मेरी ले तरफ बटी सातै छै तेहणि।।
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यतु बात सुणी बेर हम हैगो भ्यार।
एक दम लड़ि गयो कठैं कसि चार।।
हम हरू लड़ि गया धम हों तैयार।
हरु पर करि हैछ लटु स्वटों मार।।
तीन दिन तक रगो भारी घमसान।
द्वीयों का दगड़ा लड़ि गिरी गो निदान।।
हरू को मार देना बेहोश · हैगोय हरु पड़िरौ जमीन।
हम धम द्वीय भाई पड़ी गेछ नीन।।
लाश पड़ी रेछ हरु हँस उड़ि गोय।
महेड़ी क पास जाय स्वीणा मजी कोय।।
स्वप्न में माता से चानीखेत मरी गय भौजिया कारण।
लाश पड़ी रैछ ओती उड़िगो पराण।।
हमा धमा साथ इजा तीन दिन लड़ो।
भूख कारण इजा जमीन में पड़ौ।।
एक दिन मरण छा एक दिन काल ।
अपण त दुख गोय त्यर जनजाल।।
आठ च्यला सैंती देर है गई अनाथ।
कसो रौली गुज्डू कोट क्वे निरय साथ।।
स्वीण मजी कैछ तब सतवन्ती माई।
क्यले गय चानीखेत क्य कुमति आई।।
कसी भूख लागी च्यला जो हय निराश।
वैश धारी दूध च्यला ते पिलौला खास।।
 गोदी में बिठाई वेर छाती पै लगाय।
महेड़ी क दूध पिय पेट भरि आय।
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जिन्दा होना स्वपना रणम हरू पेट भरि गोय।
मुणी मुणि कनै भया जागण भैगयो।।
गुज्डू कोट माई जागी हरू जानी खेत।
उजयाव हणम द्वीये है गई सचेत।।
आंख खुला महेड़ी का स्वणि आई याद।
अपणा गौरिया कणी मारी हली धाद।।
माता का-सांच जै गोरिया हल हरु बौड़े ल्यये।
च्यलौ म्यर मरी जालौ तू माट बुकाये।।
रुनै'ब उड़ानै न्हैगे गोरिया थानम।
दुखिये आवाज न्हैगे गौरिया कानम।।
महेणी लै धर जब गोरिया का ध्यान।
आँख खुला हरुवा का हृदया में ज्ञान।।
हरू का आपण मनम हरू करछ विचार।
क्या कुमति पाई कोछ जो छोड़ी हत्यार।।
गुस्स मज हरुवा का अखि हैगो लाल।
कस केरौ आज कौछं बेमौत वे काल।।
जै लाग हरुवा तब उठाई तलवार।
कतु लुका चोर जार आई जावो भ्यार।।
हरुवै की धाद सुणी सबै चौकि गया।
मरियौको ज्योन हैगो सुण भ्यर भया।।
दोनों भाइयों का हिट म्यर ददा अब द्विय भाई जौंला।
मारी बेर मोवा सेत हरूवा दबौला।।
द्विय भाई मत्त करि आई गय भ्यार।
हरुवा लै थाम हैला ढाल लै तलवार।।
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हम धम हरू हैंती देखनी तलवार।
हरू पर करी तब लट्ठ बल्टो मार।। 
हरू को मार देना ढाल पर रोकी हरू लट्ठ बल्टो मार।
दूसरा हाथ लै हरू चलै तलवार।। 
हम धम द्वी भाइयों का सिर काटी गया।
लाश पड़ी जमीन में हँस उड़ि गया। 
जै लाग हरूवा तब खरक भितेर।
सातौ का धम्यलौ थामौ गुस्स भरि बेर।।
घर बड़ा लगै बेर सातौ ल्याय भ्यार।
सात ओ भौजिया तब है गई लाचार।।
भाभियों का धमेली लै छोडि दियो हिठी बेर ओला।
आपणी दिल को तुमू बात लैं बतोला।।
सैंती पाई में तुम बनाया जवान।
आज ओ खोजण बैठा हम् हैबे बान।।
तुमर कारण न्हैगे जवानी हमरी।
हमूहबे बान सब को हली दूसरी।।
सबों है बे बान दयोरा भोट में बतानी।
मालू ओ रौतेली हली दुनिया गाहिनी।।
हना जबा च्यला तुम मालू ब्यवे ल्यना।
मल भोट मज तुम नाम को आन।।
च्यला हला मालू ल्यला नतर सियार।
कतु भुकि जानी यसा कुकुरै की चार।।
तिरियों वचन सुणी हरू कलेजी भै गयो।
गोली का समान लागौ टुकड़ा कै गयो।
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भौजियो लीबेर हरू प्राय गुज्डू कोट।
कलेजी में लागी रैछ बचनौ की चोट।।
हरू का हाथ जोड़ी माता हणी सिर लै झुकाय।
तेरी लै टहल हणि भौजिया लि आय।।
तू रहये इजा मेरो येती गुजड़ुकोट। 
बचनो कारण आज जानू भला भोट।।
ब्यवे बेर ल्योंला ईजा ओ मालु रौतेली।
दुनियां गाहिनो हैरै मालु सौके चेली।।
माता का हरूवै की बात सुणी हिय भरी आया।
महेड़ी का आंख मजि सौण झुलि गया।।
क्यलै मल भोट क्यछ यस काम।
कैल बहकाय च्यला केछ वीक नाम।।
हरू का-हरु कौंछा तब सुण इजा बात लै बतानू।
भौजियों लौ बोली मारी कसिक रहनू।।
माता का माई कैछ सुण च्यला निबादन हठ।
तु'त जालै भोट हणि कोट रल पट।। 
नजा नजा म्यर च्यला भोटान्ता का देश।
भौटियौ, दगड़ च्यल निपंड़नी मेश।। 
जादू का पड़िया रनी विपक भरिया।
ज्यौंन जि या क्वे निलौटा बोंता छै मरिया ।। 
निमाननै जब तु'त मेरी कै जा मेरी गत।
तु'त गये भोट हणि मेरी है कुगति ।। 
जब सुंणि हरुवै लै महेड़ी की बात।
मैं निज़ान भोट हणि बहकाई बात।।
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हरु का हरूवै लै मन मज मत्त लै उपाय।
वामण के पास जाई सुदिन कराय।
घर आई बेर हरू महेड़ी नवाई।
मुनई कटोरी बेर पलंग स्यवाई।।
बुढ़िया पराण हय पड़ि गई नीन।
हरूवा ओ हीत अब क्य करू आघीन।
हरूवा ओ हीत तब करुछा विचार।
जण का लिजिया हरु है गोछ त्यार।।
घ्वड़ा पास न्हैं गेय हरुवा लै हीत।
सजाण भै गोछ घोडी सूणो लिया झीत।। 
सुनहरी जीन धरि चांदी की रकाब।
सिर में कलंगी माजी घोड़ी क्या नवाब।।
मोती चूर लगाम ओ घोड़ी पै लगाय ।
घोड़ी सजी बेर हरू भीतर ऐगय।।
रेशमी कपड़ पैरा पुतलिया पाग।
हिय भरी आय हरू मन में बैराग।।
एक हाथ ढाल थामी एक तलवार।
विरोधी बांसुरी धरि मन में विचार।।
इजा कणि हरुवै की पड़ी रैछा नीन।
हरूवा लै हीत तब क्य करु आघिन ।। 
माता से मेरी इजा गुज्डूकोट तू रया निचना।
म्यर ले लिजिय इजा तु रोये लै झन।।
सात भाई मरी गया तब इजा छोड़ी।
मैं पापी निकलौ इजा मैंले ज्योने छोड़ी।।
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मल भोट जान इजा मालूक परण।
गुज्डूकोट छोड़ इजा बचनू कारण।।
हरूवा का आंखों मज सौण झुली रया।
मन मने मज हरू महेड़ी हैं कया।।
सांच च्यल त्यर हौंला लौटि घर ओला ।
झुठौ जै हनल इजा मल भोट रौंला।।
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तीसरा अध्याय
हरू का मालु के लिए भोट जाना 

हाथ जोड़ी माता हणि हरु हो तैयार।
रकाबों में खुट धरी है गयो सवार।। 
घ्वड़ मज बैठ हरू बट लागि गयो।
वचन कारण हरू मरण हैं गोय।। 
महेड़ी का ध्यान धरि आघिन न्है गया। 
जीव जन्तु गुज्डूकोट झुरण लै गया।।  
हरू की घोड़ी न्हैगे हरण का बट।
निगलागों वटि न्हैगो गभिणी का घट।।  
तब आई गोछ हरु पितरोंक ध्यान। 
भेट करी जानु कोंछ आपण तिथाण।।
घ्वड़ लौटे बेर गय जाँ छिया तिथाण।
हंसी -ढुंगा मज कय अरघ धुपाण।। 
हात जोड़ी हरुवै लै करी अराधना। 
सांच जै पितर हला मैं छोडिया झन।। 
भौजियों कहण पर मर हण जानु।
तुम छा पितर म्यरा पुकार कै जानु।।
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मरूला भोट जब बंश मिटि जालो। 
गुज्डकोट रोजै हणि बांज हई जालो।। 
तीथाण मैं ढाढ मारी याद आनी भाई।
ज्योंन हना म्यर ददा करना सहाई।।
फुटिया करम म्यरा आड़ नै आधार।
भोट में आफत आली सुणिया पुकार।।
सांच जै तिथाण हलौ पितरों क येती।
मैं मरूला भोट ज़ब क्यैल ऐजै येती।।
सवौ कौले नाम जपी जतु छी मरीया।
बटलागी गय हरू विरोध भरिया।।
दुड़ बुड़ी चाल लैरे मालूक छ ध्यान।
व्याल क बखत न्हैगौ भगौती दुकान।। 
बजारा ढांकरी ऐरे घर का ले आया।
सब वो ढाँकरों औती जम हैई गया।। 
हरुवा वो हीत कोंछ सुणों सब झण।
जणी लोग रट दिया अणी गुण चण।।
गूड़ चण खाया सब खाई हैली रौट।
उज्याव हणम हरू लागी गोय बट।। 
आखरी खवै छ मेरी नक झन माना।
बिखिलौ मुलुक जान ज्येकौला भगवाना।।
घ्वड़म सवार हय गाड़ी है मुरुली।
विरोधी बांसुई हरु कलेजी कोरली।।
हरुवे वांशुई बाजी डौणिया का आम।
बगड़ा में चारों गौका सैणी लैरै काम।।
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विरोधी बांशुई बाजी कानों पड़ी रैण।
सब सैणो धोक लैमी राड़ छोडी देंण।। 
औरत का धन-२ बिचरा तू धन माई बाब।
कलेजी विरोध लैंगौ कसी रनु आब।।
हरुवा यो हीत कौंछ सुणौ मेरी बात।
बिख की भरिया रैछ तिरिय की जात।।
हरू का दोहा तिरिया ऐसी मोहनी,अवगुण हैं ये तीन।
पर मन पर धन हरन को तिरिया बड़ी प्रवीन।।
यतु कई बेर हरु ध्वड़ लै दौड़ायो।
कढोई का तला पना हरूवा ऐ गयो।।
कवि का भिकुवा मंच्याड़ी छीय भिक्यासैण मज।
चार पट्टी मालिक छा भिक्यासैंण मज।।
घट तक बोंया हल कुकुर खात्खुली।
सात छैं बैशुवा तैंक जतिया मारखुली।।
हरुवै की घोंडी न्हैगे कढोई तल पन।
खल बली मची रैछ भिक्यासैंण पन।। 
दौड़नै एगय तब जतिया मारखूली।
भुकण भी गय तब कुकर खात्कूली।।
हरुवै की घोड़ी ऐगे भिक्यासैण पार।
तब तक द्वीये ऐगी गगासा किनारा।।
हरुवे नजीक तब द्वीये आई गया।
घोड़ी में वे तब हरु समजण मैं गया।।
हरू का निकय कसूर मैंले निकय अनाण ।
निओं तेरा भिकयासैण नितरु में गाण।।
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कतुक समझाय हरु निमानना बात।
जै लागौ जतिया तब असुरै की जात।। 
गुस्स मज हरूवै लै उठाई तलवार।
मारौछा जतिया तब टुकड़ा लै चार।। 
चारौ दिशा हंणो फैका टुकड़ा ले चार।
कुत्ता मारी बेर फेकौ भेकुवा का द्वार।।
आघिन ले जाई बेर घट जो तिड़छा।
हरु कणि देख बेर वैलै तिडफिड़ कौछा।।
जै लागौ हरुवा तब घट पाट फोड़ौ।
टोड़ी टोड़ी बेर वैलै बगाय फितड़ौ।।
भिकुवा भंच्याडि कणि पुजिगे खबर।
मार मार कनै न्हैगौ बैसुओं का घर।।
भिकुवा मंच्याडि कौछ सात वेस्यों हैती।
कसा बैठी रजा तुम क्य बिगड़ी मति ।।
शतुरै लै येती अब करि है चौपट।
जतिया कुकुरै मारी फोड़ि हैछ घट।।
यतु बात सुणी सात न्है गई बटम।
बाटौ रोकी बात कनी अटम सटम ।। 
भिकुवा भिकुवा ले धाद मारी चारों पट्टी मज।
येती आई रौछ आज गुज्डकोट रज।। 
बजा गजा लिई वेर लठ बल्टा ल्यायो।
ऐतो पाई हरुवै की बुति करि जावो।
भिकुवै की बात सुणी सब जिमीदार।
बड़ा गजा लीई बेर है गया तैयार।।
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हरु का कहना आपण मनम हरु करुछा विचार।
वार पार सब आज क्या है रै तयार।।
भिक्यासैण मज अाज के कौतिक हल।
हल चल मचो रैछ पड़ी रैछ रौल।।
वार पार लोग सब जम हई गया।
हरू कणि मारो कनो चिलाण भ गया।।
सब लोग देखी जब आवाज लै सुणी।
मन मज हरू कौछ आई गेछ हुणि।।
ऐसी सोची मन मज कस हय हाल।
कसि जान भोट हणि ऐती ऐगो काल।। 
अपण मनम हरू सोचण भै गया।
यों ऐ रयीं निरा निरी चुपाण के हय।।
देवी क सुमिरण करि गोरियक ध्यान।
मेरी लै मदद कय मांगनू वरदान।। 
दुधारी तलवार थामी गैड वाली ढाल।
गुस्सा मजि हरुवे की आंख हैगी लाल।। 
सातै वेसु मारी हैलो घुसि गो बाजार।
खटा खट हरुवै लै चलै दी तलवार।। 
लड़ना चौतरफा घोड़ी नाची हैगो हाहाकार।
लाशों की त ढेर लागे खून की लै धार।। 
आधा जिमीदार मरा आधा भाजि गया।
मंच्वाड़ि का वंश मज एक लै निरया।। 
भिकुवा मंच्वाड़ि छोड़ी चौपट है सब।
करिये आखर गोछा लौटि योला जब।।
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सब को मारना घोड़ी का सिरम पड़ै महांकाली जाप।
गगासा का बट हरु नसी गय साफ।।
मार मार कनै हरु लुत लेख गया।
हाथ जोडि हरुवे लै गौरिये हैं कया।।
हरू को भोट जिति वेर जब मालु ब्यवे ल्योंला।
द्वी जोंवा हिनोला तब ते कणि चड़ोला।।
हरुवै की घोडी न्हैगे वागेश्वर जब।
हाथ जोड़ि अराधना हरु कोंछ तब।।
मालु जिति राजी खुशी लौटि बेर ओला।
सुन क कलश स्वामी जरूरै चड़ोंला।। 
आराधना करी हरू बट लागी गयो।
दान पुर जुहार बटि तक्लाकोट गयो।।
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हरूवा तल्लाकोट में 
तक्लाकोट बटी लैगी विदेशी मुलुक।
अब छुटी गोछ घोड़ी आपण मुलुक।।
तुई मैरौ इजा, बबा तेरा छा भरोसौ।
जती जाली मेरी घोडी विख न बरसौ।।
एतु वात कण मज घ्वड़  ठि गय।
घ्वड़ कै बैठण मज भारी दुख हय।।
किस्मत के बिगड़ी जो तू है बीमार।
भारो साँच पढ़ हरु मन में विचार।।
बाता बातों मज हर पड़ि गेछ रात।
ईश्वर को आघिन यो कसि रचि बात।।
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रात देखि बेर हरू घोडी है तैयार।
ईश्वरौ को नाम लिनै हरूवा सवार।।
पैली रात चीन कूद दूसरी कोचीन।
तिसरी व् रात घोड़ि लख महाचीन।।
येतो बटि लैगो घोड़ि हुणियों को देश।
दिन हुणो छिपी जानी रात परवेश।।
चौथी रात हुणियाँ का पांचों घ्वड़ मुख।
परदेशी जीव छिय भारी मिल दुख।।
छटों रात घोड़ी न्हैगे खास ओ भोटम।
बस्ती छोड़ि बेर भाई जंगल बीचम।।
वोती लक हलो हरू देवीक भवन।
देवीको भवन देखी खुशी हैगों मन।।
हरू का भवन भीतेर हरू लागिगे नजर।
अरघ धूपाण हैरौ फूलों झर फर।।
अरघ धुपाण कय हाथ जोड़ि ध्यान।
परदेशी जीव छौं मैं, मांगनू वरदान।।
मेरो रक्षा करि दिये भोटियों-बीचम।
विलिख मुलुक माता रहिये संगम।। 
अष्टबली देई जोंला वचनो आघीन।
देवी पूजा करि बेर पड़ि गई नीन।।
नेमधारी चेलियों क रोजै छिय नेम।
नाण धुण देवी पूजा रातो पर टेम।।
मालू का पूरव उज्याई मजि मालु है तयार।
नाइ धौई बेर मालू करो बै शृंगार।।
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अरघ धुपाण लिबै मालु नसी गेछ।
देवी का भवन मज अराधना कैंछ।
मैं कौंछिय सांचि हली तू रहैछ झुठि।।
बार वर्ष पूजा केबे तु क्य लक रूठि।। 
आखिरी की पूजा मेरी सुणिये अरज।
मन कसौ बर दिये य तेरौ फरज।।
पाली पछौं रज हवो भारी बलवान।
तीन दिनैं माल हैंछा जाती बै निदान।।
मालुकी लै ध्यान वैरों देवी पूजा मजा।
बचनों आज न्हैगे हरू कानों मजा।।
हरू का खड़ौ हुई गयो हरू वांई यो बुरज।
पूजा करी मालु लौटि जसी उ सूरज।।
मालु का मालु को नजर लैगे हरू पर जब।
चक्कित है गिरि गेछ मन्दिर में तब।।
हरू का मालु की हालत हरू देखीये रैगयो।
मालु पतौल्यूल कौछी ये कणी क्य हयो।।
मालु की सूरत हरू देखिये रैगया।
आंखो में चक्कर आय आफू गिरी गयो। 
थोड़ी देर मज हरू होश आई गई।
इतर सुगन्ध छड़ी मालु होश आई।।
मालु का-हरू कणि देखि मालु बड़े हर्ष हयो।
फिर लै मरद छिय हरूवै लै कयो।। 
हरू का-कोछे त्यर मैंति गीति क्यछ तेरौ नाम।
देवी का भवन मज क्यछ तेरौ काम।।
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मालु का-मालु कैछ सुणि लिया बात लै निदान।
बार वर्ष पूजा करी देवी है बेमान।।
भारी खानदान की छौ कालु सौके चेली।
दुनि मेरौ नाम जाणू ओ मालु रौतेली।।
आपण लै पतौ सब बतै दियो नाम।
के तुमरौ जात हली के करछा काम।।
हरू का- यतु बात सुणी हरू करछ सवाल।
देवी ता निरूठी मालू देवी है दयाल।।
सारै हाल ते सुणानू लग तालै बटि।
जिला अलमोड़ा मेरो सल्ट तल्ला पट्टी।।
चार पट्टी मालिक छों गुज्डूकोट थात ।।
हरूसिंह नाम हयो हीत मेरी जात।।
बौरड़ा लें कुणखेत गगन मण्डल।
कमें और धरी जानी जमीदार भल।।
त्यर लै कारण मालु कस ध्वक पाय।
देवी ले दयाल हैछ जैले यां मिलाय।।
मालु का-हाथ जोड़ी मालू कैछ बात सुणौ म्यरा।
द्विय झण नसी जोंला देश ले तुमरा।।
हरू का-हरू कौछ सुण मालु कसी तेरी मति।
सौरासी निदेख मैंले एति त्यरा मैति।।
चोरी बेर ते लिजोला मेहणी धिक्कार।
दुनिया का मैं बतेंला सबै चोर जार।।
मालु का-मालू कैछा निमानना मैं जै आनु घर।
घर जाई मालु ल्येगे विद्या कौ लै भार।।
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पड़ि हलौ जादू मालु चलात मन्तर। 
मखो बने हरू धरौ डिबिया भितेर।।
भवर बनाय घ्वड़ आकाश उड़रय।
स्वामी का डिविया मालु धमेली दबाय॥ 
घर बाई बेर, माबू सचेत बनाय।
आपण ले दुख सुख द्वियै लै लगाय।। 
मालु कैछ सुणौ स्वामी झन करा हट।
कभैं झन जया तुम दक्षिण का बट।।
यतु कबै मालु न्हेगे घुमण बाजार।
दक्षिण झरोकि खोलि मन में विचार।। 
हरू का-झरौकी लै झन खोला माल क्यले कैंछ।
अजमैंस करी आनु जालौ मालु ऐछ।।
दक्षिण झरोकी बट है गोयो बाजार।
सात बैंणी गगला कैं विद्यानों का भार।। 
गंगला संगला सात बैणी अलबेली।
जादू का पढ़िया हैंला मालू कैकी चेली।। 
गंगला का-सातों लै बैठाय हरू सुतारी पलंग।
कसी बात कनी तब हरूवा का संग।।
गंगला कौ नाम भुला मालू घर गया।
मालु  घर क्यलै गया कैल बहकाय।।
तुमरा कारण न्हैगे जवानी हामरी।
मैं हबेर बान अब को हली दूसरी।।
हरू का- गंगला हैं हरू कौंच सुणौ मेरी बात।
मकणि तू क्य छलली तिरिया की जात।।
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मेरी लै सामणी तेरी निचली अकल।
मालु हैबै और कैकी निदेखु सकल।।
गंगला का-गुस्स मजि भरि बेर गंगला नसीगे भितेर।
बंगालौ को चेड़ा लिवै मन्त्र पढ़ि बेर।।
नंग छड़ जादू हरू नसीगो सिराण ।
लाश पड़ि रगे हरू उड़ि गौ पराण।।
बगस में बन्द करौ लिन्है गेछ लाश।
खड्डु खोदी खड़े दिय बगीच में खास।।
सात बैंणी खुशी हैरै हैगे झर फर।
बाजार घुमण वटि मालु ऐगे घर।।
मालु का-भितेर चहाय हरू निदेखौ मालिक।
क्यलै  गया स्वामी मेरा के बिगड़ी लीक।।
दक्षिण झरौखी पर लागि गे नजर।
खुलिया झरोखी देखी हैई गे फिकर।।
मैं जाणनू गंगा हात मरिगे बेकाल।
रून-२ मालु तब फोड़ि छा कपाल ।। 
रून-२ मालु कणि तीन दिन हैगी।
उज्याव हणम तब स्वामी स्वेणा ऐगी।। 
हरु का-कां जौंला आपण देश रैगो तेरा भोट।
सतुरों का घर गग झन होयो चोट।।
 तेरा लै बगीच मज खड़े रयू खाड़।
अन्न खये पाणि पिये झन मारे डाड़।।
तेरो मेरो आपस में द्वि दिनो क योग।
मरै हँणि भोटा आयौ झन कये सोग।।
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मालु का-झट स्वीण मज मालु एक दम जागी।
फावड़ कुटव लिबै बगीचा जैलागी।।
खड्ड खनी बेर मालु खौलछा बगश।
घोई कसि फाट तब देखि हैछ लाश।। 
लाश लैं पकड़ि मालु लिन्है गेछ घर।
जादू पढ़ि बेर मालु उतार जहर।।
चेतन हैन हरू राम राम कय।।
हरू कणि देखि बेर मालु हर्ष हय।।
हरु का-हरु कणि ऐगे तब गंगला की याद।
गुस्स मज भरि बेर मन में बिखाद।।
सुणा मेरी मालु कोंछा ल्या मेरी तलवार।
मैंले देखि आनू मालु भोटियों बाजार।।
हरू मालु आपस में बात कनी ज़ब।
चौकीदार बातों कणि सुणि रय सब।। 
चौकीदार का-मार-२ कनै न्हैगो कालु सौके पास।
चोर आई रौंछ, कौंछ त्यर घर खास।। 
कालु सौक का-कालु सौकेले जब एति बात सुणी।
कांक चोर आय कौछ केका ऐरे हुणी।। 
फौज सजै बेर कालु ढाल ली तलवार।
जादू का बटुव लिबै  घोड़ी में सवार।। 
भोटियों पै लागी गेछ मालु की नजर।
तब हैगे मालु कणि स्वामी की फिकर।।
 मालु का-मालु कौंछ मेरौ स्वामी यौ हैगै अन्धेर।
म्यर वाव आई गोछा फौज सजै बेर।।
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तुम थामो तलवार मैं पढ़न जादू।
तब कयो कालु च्येलो जब भोट सादू।। 
घबराया भन तुम धरिया धीरज।
स्वामी की मदद कणी नारी को फरज ।।
हरु का लड़ना-छत्री बंशी च्यलौ छियो पड़िगो रणम।
शेर जसौ, पड़ि जांछा हिरणों बणम।।
रण मज कुदी घोड़ा हैगे हाहाकार।
एक कणी हरू मारों घोड़ी मार चार।।
भोटियों ले हरू पर करी जादू मार।
मालु को मन्तर मज निवासिनी पार।।
रण मज भोटियों का हरूवा जवान।
लड़ण भैगोछ तब चंडी का समान।। 
कालू शौक मारी दियो फौज सब मारी।
लाशौं की तो ढेर लागी खून गंगा भारी।।
भोटियों का-बांकी जो भोटिया छिया करनी अरज।
मालु ब्यवे बैर लिजा भितुरी फरज।।
यतु बात सुणि बेर हरू लौटि गय।
सूर वीर मरी गय पैक क्वे निरय।।
हरु का-मालु हैती हरू कौंछ सुण मेरी बात।
स्वीणा मजि इजा देखि बेलिये की रात।।
हिट मेरी मालु अब द्विय झण जोंला।।
गुज्डूकोट जाई मालू इजा सेवा कोंला।। 
मालु का-मालु कैछ मैंति बिना है गाय अनाथ।
भोटक लै धन माल लादौ सब साथ।।
हरु का-घ्वडों लै बकरौ मज़ करि है लदान।
भोट को लै धन माल लादौछा समान।।
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यात धन भोट मजि या तलि बतानी।
य देश निर्धन भया रंगीलौ बतानी।।
द्विय झण नहै गया देवीक भवन।
हाथ जोड़ि हरूवै लै करी अराधना।।
अष्टबली दिण कैंछौ दिया एक सौ आठ।
घ्वड़ा व बकरा लिबै लागी गया बटा।।
हरू का-मार मार कनै द्वीये ऐगी बागेश्वर।
तीन जिलों मज हरू दि हैछ खबर।। 
नामी नामी जो सुनार बागेश्वर आया।
छतर कलश तुम गड़ी लक जया।।
बागेश्वरा सुनारों की खुलिये दुकान।
स्वरणों की ढेर लैगे देखि बै हैरान।।
बागनाथ को-छतर कलश चढ़ै श्री बागनाथ।
दिये झण सेवा कनी जोड़ी बेर हाथ।।
मार मार कनै अब लुतलेख आया। 
द्वी जोंवा हिनोवा हरू गोरिए जड़या।। 
लुतालेख-डिबरा बकरा न्हैगी बाँसुई का स्यरा।
पदुवा द्वर्याव कणि मिलिगे खबरा।।
पदुवा का पदुवे लै धाद मारि चारों पट्टी मजा।
स्यर म्यर बांज कहै कैकी ऐ जा कजा।।
चारों पट्टी लोग ऐगी पदुवा का संग।
बाँसुई का स्यर तब उठ गयो दंग।।
हरु का-मालू लैंत जादू पड़ हरूली तलवार।
लाशों की तौ ढेर लागे खून की लै धार।।
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आधु मरा आधु भाजा पदुवा रै गयो।
कुला का कुल बान पर पदुवा दबायो।।
मार मार कनै तबा आया भिक्यासैण।
भिकुवा का कानों मंज पड़ि गई रैण।।
भिकु का हाथ जोड़ि कोंछ धन मेरा भाई।
सात राजों मज फिरी य तेरा दुहाई।। 
चैता का मैंहैना गय सौण लौटि आय।
भोट जिती मालु ब्यबै नाम कमै आय।।
बकरा ढिबरा ल्हैंगी घ्वड़ौ कौ लदान।
भिक्यासैण बटी बाबू भगोती दुकान।। 
पछिन दुकान रैगी आघिन गभिणी।
घर कणि माई पर लगीगे हंसिणी।।
माता का-हाय हरु-२ कनै कंठ में पराणा।
कसिक देखनू कैछ उड़नी पराणा।।
तब तक आई गई हरुवै खबरा।
मालू व्यवै ल्यगो ढिबरा बकरा।।
महेड़ी का कंठ मजि प्राण लौटि प्रायः ।
म्यर जै हरुवा ऐगौ देवी है सहाय।।
उठिगे महेड़ी तब हय माया जाल।
भुलि गेछ दुःख सुख भुलि गेछ काल।।
ढिबरा बकरा छोड़ि दिय अया घर ।
च्याला ब्वारी पर आब लागि गे नजर ।। 
च्यला ब्वारी भूकि लिबै मां करीछ प्यार।
दुनिया में नाम रैजो धरती की चार।।
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घ्वड़ौ व बकरा का लै उतरौ लदान।
गुज्डुकोट जम कय भोटो को समान।। 
राजी खुशी भादों न्हैगो असौज लै गयो।
कातिक महैन अब माता हैती कोय।।
मालू झन जाण दिये भौजियों दगड़।
बिख का भरिया छैं यों करील झगड़ ।।
घवड़ लै बकर लिबै भाबर न्है गयो।
सुणि लिया भाई लोगो पाछिन क्य हय।।
कवि का-घर का बकरो खाई मालू हई रई। 
मन मज हरुवा को भौजि जाई रई।।
तिसरा दिन की बात सुणिया जिगर।
जै दिन हरु लै आणौ भावर बै घर।।
कपड़ धुहणि गय बौराणिया सात।
हंसि ढुंग मज तब कसी हनी बात।।
भाभियों का-सातों का आपस में यस मत हयो।
जहां लक हरू आंछ मालू मारो कय।। 
अंबाई का पंख मालु बकरौ की ग्वाई।
सातों लौ लगैछ धाद मालु लै बुलाई।।
भोट की रणिया हई निदेखा ओ मंछा।
कस हनी-मिरगा यां कस हनी मछा।। 
आई जैंछ हुणि जब बैठि जें कुमति।
अंबाई का पंख बटि माल ऐगै वोति।। 
मछ जै चहौंल कछी सातों लै पकड़ी।
मन मनै मालु कैँछ ऐगे मेरी घड़ी।।
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मैं माफी मांगनु कैछ सुणौ मेरी दिदी।
छोड़ो कनै रामा मालु पर विति।।
भाभियों का-निरद्ई भौजियों लै रौउ डुबै हैछा।
हंस उड़ि गयो मालु लाश पड़ी रैछ।।
भाबर बै घ्वड़ा मज हरू हो सवार।
मार मार कनैं हरू आयो कोसी पार।।
हरु का-हरुवै लै गाड़ी तब विरोधी बांसुई।
खट खट खट खट लागि गे भांदुई।। 
भादुई लागण मज माल ऐगे याद।
बांयी आँख फड़िक गे मन में बिखाद।।
माम-२ कनै हरू प्राय गोय घर।
हाथ जोडि माता हणि पूछुछ खबर।।
भौजी सातै आगी इजा मालु कती गई।
दिन यो आखरी ऐगो मालु लै निअई।।
मालु की खोज घोड़ोम बैठुछ हरू न्हैगो खोजण।
बार बांट बकरौ का हइ रइ वण।।
हरुवै मन मज लगायं विचार।
मालु मन नियाय कि म्यर घर वार।। 
मालु न्है गेछ जाणी आपण लै मैत।
लौटै बैर ल्यौल कौंछ यौं घड़ी सैत।।
मार-२ कनै न्हैगो भगोती दुकान।
रात पड़ि गेछ तब धरि लिया ध्यान।। 
हरू कणि नीन पड़ि उज्याव हणम।
सिराण में मालू बैठि स्वपना रथमा।।
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मालु का स्वप्न में हरू हति मालु कैछा हाथ जोड़ि बेर।
कती जोंला भोट हणि मैत मरी बेर।।
मैति गोति मारी बेर है गोयु अनाथ। .
अब छुटि गौछ स्वामी तुमरौ लै साथ।।
 निगय मैं मैत हणि निछै मैति गोति।
रोका तवा डुबै हैलू तिथाण छ जति।।
सातौ लै ओ मत करो मैं डुबाय गाड़।
झन कया म्यर शोक झन मारा डाड़।। 
उड़ि गय म्यर भोग मरी गया खैर।
म्यर लै कारण स्वामी झन करा बैर।।
ब्या करिया म्यर स्वामी करि लिया ऐस।
म्यर शोक झन कनय नौ धरीला मैस।।
हरु का जागना यतु बात सुणि हरु टुटि गेछ नीन।।
हरूवा व हीत अब क्य करु आघिन।। 
हाय मालु-२ कनै घ्वड़ा  लै लौटाय।
मार-२ कनै अब हंसि ढुंग आय।। 
हरुवै नजर लैगे रौका तला हना।
मुखड़ी क तप मालू पुन्यों कसी जून।
हरू का हरुवै डुब मारी मालू गाड़ी भ्यार।
हरु कीछा हाय मालू बिन मौतै मरी।। 
विलाप यो म्यर लिजिया मालु त्वीले कसी करी।
तु म्यर कारण माल बिन मौत मरी ।।
मारी बेर गङ्गला लें में खड़यै दो खाड़।
मारिया कौ ज्यौन कय मारी भारी डाड़।।
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जादू पड़ि बेर मालु भोटियों बीचम।
म्यर लै कारण त्वीलै मैति कै खतम।।
मै मरनौ जब मालु तू बचानी आज।
तू मरीगे गुजडुकोट करी गेछै बांजि।। 
एक ओ घागरी मिजि दूसरो छी कोरी।
मिजिया घागरी खोली छाती पीटी खोरी।।
हंसी ढुंगा मज हरू धरीछ सुकाण।
घागरी का छाप ओति आजि ले पछाड़।।
हरुवा बदन मजि लागि गेछ आग।
सबों मारी बैर गिनाय सानण।।
जंगल में जाई बेर गिनाय सानण।
जम करी आय हरु जां छिय तिथाण।।
 मार-२ कनै, हरू गुजडुकोट आय।
कलेजी में लागी रैछ बिरह की चोट।। 
सातों धम्योंली धामी खींची ल्याय घाट।
ज्योंन धरि चित्त मजि पड़ीगो चिचाट।।
सातै कैं भसम कै लै घर कणि आय।
हाथ जोड़ि माता हति हरुवै लै कोय।। 
हरु का-सांची जै महेड़ी हली छोड़िये पराण।
तेरी गत मैं  कें जोला जां मेरी तिथाण।।
मालु मरी गेछ इजा मैंले जानु सात।
पछिन मरली जब है जाली कुगत।।
सतवन्ती हाई कै बे छोड़िछ पराण।
माता कणि सिर धरी लोगयो तिथाण।।
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माता का-महेड़ी का चित्त साल लगें हैछ आग।
तिलाजली दिई वेर बने हैछ खाग।।
हरु का दक्षिण घवड़ो को चित्त आपण पूरब। .
अपण हातलै हरु भस्मा के सब।।
सब का भस्म होना मालू गोदी थामी हरु हैगोछ भसम।
हाय राम हाय शिव सब है गय खतम।।
कवि का-मालू का कारण भया मरी मैं इगार।
गुज्डुकोट बांज हैगो लैगई दुहार।।
 कैक झन हवौ भया यस निर भाग।
नारी लै पुरुष सब हैई गई खाग।।
नाम लै अमर हैजो धरती की चार।
महेड़ी वचन छियो करिया विचार।।
ज्योंन छियौ हरुवौ को बड़ नाम हय।
मरी बेर धन हरु कस नाम रय।।
जयोंन जिया हरु हय गुजडुकोट रजा।
मरी बेर हय हरु कोटनिकौ रजा।।
आपण इलाक मजे भिरुछ तमान।
फौज ओ फरहर संग सबै लै समान।।
जग-२ मन्दिर छैं घाट घाट पूजा।
न्याय को निसाप कौंछ काम निछ दूजा।।
सब जग बटि जब है जानि निरास।
अरज लिबेर तब आनी त्यर पास।।
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माता का-महेड़ी का चित्त साल लगें हैछ आग।
तिलाजली दिई वेर बने हैछ खाग।।
हरु का दक्षिण घवड़ो को चित्त आपण पूरब। .
अपण हातलै हरु भस्मा के सब।।
सब का भस्म होना मालू गोदी थामी हरु हैगोछ भसम।
हाय राम हाय शिव सब है गय खतम।।
कवि का-मालू का कारण भया मरी मैं इगार।
गुज्डुकोट बांज हैगो लैगई दुहार।।
 कैक झन हवौ भया यस निर भाग।
नारी लै पुरुष सब हैई गई खाग।।
नाम लै अमर हैजो धरती की चार।
महेड़ी वचन छियो करिया विचार।।
ज्योंन छियौ हरुवौ को बड़ नाम हय।
मरी बेर धन हरु कस नाम रय।।
जयोंन जिया हरु हय गुजडुकोट रजा।
मरी बेर हय हरु कोटनिकौ रजा।।
आपण इलाक मजे भिरुछ तमान।
फौज ओ फरहर संग सबै लै समान।।
 जग-२ मन्दिर छैं घाट घाट पूजा।
न्याय को निसाप कौंछ काम निछ दूजा।।
 सब जग बटि जब है जानि निरास।
अरज लिबेर तब आनी त्यर पास।।
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जैक लै कसूस देख जांछ तैका घर।
य त्वीले कसूर कौच दि द्य ला खबर।।
चौरी लै साबित कोंछ घर जाई बेर।
माल लै वापिस कोंछ धमकांई बैर।।
रिपोट करनी जब त्यर दरबार।
निशाप करछ रजा नाम छा संसार।।
धन-२ रजा तुम धन तेरी माया।
कसा कसा च्यला हया यसा क्बे निहया।।
अपण इलाक मजि फिरूछा निडर।
मेरो बाटो झन रोका दि द्यु छा खबर।।
कोटिन कौन गस्त त्यर भोट तक जांछ।
लौटि वेर कोस्यां नबा भावर लै आछ।।
आपण इलाक मजि हैरौ छ मशहूर।
निलागू कैपर कोंछे बिगर कसूर।।
कंतुकों ले जाई बेर अजमेस करी।
तेरी अजमत देखि लोग गया डरि।।
धन ओ महेड़ी जैलै दो दिया वचन।
दुनिया में नाम तेरो रैगो सनातन।। 
हरूवै किताब सब पुरि हैगे भाई।
आघिना ओ सरस्वती है जये सहाई।।
म्यरा ओ बनाई तौन किताब तयार।
भारत क हरु हीत सतवंती बार।।
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खंड काव्य समापन

ऊपर दिए गए आलेख में कई टंकण की त्रुटिया हो सकती हैं, हमारा प्रयास है की जैसे ही संज्ञान में आये तो हम सुधार करते रहेंगे। आवश्यक सुधार हेतु कृपया कमैंट्स के माध्यम से अपने सुझाव अवश्य देते रहें।

फोटो  (काल्पनिक) सोर्स: गूगल

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