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मुहावरे और लोकोक्तियाँ - कुमाऊँनी भाषा में (भाग-२४)

कुमाऊँनी भाषा के कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों के अर्थ Idioms and phrases of Kumauni language , Kumauni Muhavare aur Lokoktiyan

कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ

यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-

ब्याज रात में ले बाट लागि रौं
अर्थात
ब्याज लगातार बढ़ता रहता है

बण सुंगरै'ल उज्याड़ खै, घर सुंगरौ'क थोव थेच
अर्थात
किसी के अपराध के लिए किसी और को दण्डित करना

बदन पर लंगोट नै, मोतियों का कारोबार
अर्थात
बिना किसी संसाधन के दुर्लभ वस्तुओं की लालसा करना

बयाव'क चलण, बोटौ'क ढलण
अर्थात
दुर्योग से किसी अशुभ घटना का लांछन लगना

बरस भया अस्सी, अकल ग्ये नसी
अर्थात
वृद्ध होने पर शारीरिक और मानसिक कमजोरी भी होने लगती है

बल्द नि लाणो कांगो, आप नि करण कांगो
अर्थात
किसी के गुण-दोष के आधार पर ही उसे जिम्मेदारी देनी चाहिए

बलिया देखि, भूत भाजौ
अर्थात
बलवान को देखकर कोई उससे नहीं टकराता
या विवादित व्यक्ति से सब दूर रहते हैं

बंजारों कैं टांडा सूजंछ
अर्थात
हर किसी को अपने क्षेत्र और लोगों से लगाव होता है
बाग़ गोठ बै बाकौर ली गो फ़िक़र नै, बाग़ गोठ पवुक गो यौ फ़िक़र छू
अर्थात
किसी विपत्ति के नुक्सान के अलावा उसके दूरगामी परिणाम की भी चिंता होती है

बाग़ मार बेर, बागम्बर में भैट
अर्थात
किसी उपलब्धि के बाद अत्यधिक इतराना

बागै'कि कैंज बिराई
अर्थात
आशा से कम या प्रतिष्ठा से कम प्रदर्शन

बागै'ल मारौ तो दौण रीत, भ्योव पड़ौ तो दौण रीत
अर्थात
किसी भी तरह से भी नुक्सान हो वह अपूर्णीय होता है

बाछि कैं बाग़ ली गो, हुलो हलाणो सीखो
अर्थात
नुकसान हो जाने के बाद समाधान के बारे में जानना

बाछि भै, ना लूति लागि
अर्थात
जिसके पास कम होने पर भी संतोष है वही सुखी है

बाटमे कुड़ि, चहा में उड़ी
अर्थात
रास्ते में घर होने पर मेहमान ज्यादा आते हैं
बानरै'की सुख पूछै
अर्थात
किसी की कुशल पूछने में भी विवाद करने वाला

बाबू'क कमाई ना सपूत खावो, ना कपूत खावो
अर्थात
अवांछित धनसंचय व्यर्थ ही जाता है

बार बरस दिलि में रै बेर लै भाड़ झोंकौ
अर्थात
अवसर होने पर भी अवसर का लाभ ना उठा पाना

बाँज ब्यायो, गोबिड़ो भयो
अर्थात
किसी बड़ी चेष्टा का तुच्छ परिणाम (खोदा पहाड़ निकली चुहिया)

बांज् गौं'क कौ पधान
अर्थात
अंधों में काना राजा

बाबा ज्यू'कि जटा, आशीष में ग्ये अर्थात किसी सद्भावी व्यक्ति के सद्कर्म उसके सहचरो को भी लाभान्वित करते हैं

बानरौ'क गाल भरण, गातै'कि कुशल
अर्थात
लालची व्यक्ति को अपना पेट भरने से मतलब होता है

बाला'कि नि मरो मै, बूड़ै'कि नि मरो ज्वे
अर्थात
बचपन में माँ और बुढ़ापे में जीवनसाथी का साथ में होना जरुरी है

बिगड़ि गे नाथै'कि, सुधरि गे सिद्धे'कि
अर्थात
किसी का नुकसान कभी कभी किसी के लिए लाभकारी भी हो जाता है

बिगर भेदै कीड़ नि झड़न
अर्थात
दुष्ट व्यक्ति को दण्डित करने के लिए दुष्टता का सहारा भी लेना पड़ता है

बिगर रौ'कि मौनि
अर्थात
बिना मुखिया या मार्गदर्शक वाला समूह

बिगलिया भै सोरा बराबर
अर्थात
बंटवारे के बाद भाइयों में पारिवारिक सौहार्द काम हो जाता है

बिछि'क मंत्र पत्त्त नै,स्यापा'क दूल में हात
अर्थात
बिना किसी योजना और तैयारी के कोई बड़ा जोखिम उठाना

बिन गुरु बाट नै, बिन कौड़ी हाट नै
अर्थात
बिना मार्गदर्शक के जीवन में और बिना धन के बाजार में महत्त्व नहीं है

बिना दूदै, छै म्हैंण पावो
अर्थात
किसी को सिर्फ आश्वासनों से ही बहलाना

बिराऊ कैं मारौ सबूं'ल देख, दूध खाई कै लै नि देख
अर्थात
विवाद होने पर दोनों पक्ष को जांचे बगैर किसी एक का पक्ष नहीं लेना चाहिए

बिषौ'क कीड़, बिष में रै
अर्थात
जैसा स्वभाव होता है वैसी ही संगत हो जाती है

बिषौ'क मुख चिस
अर्थात
विष कर उपचार तुरंत हो जाना चाहिए

बीर सिंगै'ल खै, शिव सिंग ओसै
अर्थात
किसी के दोष को किसी निर्दोष पर मढ़ना

बुति करिया'क छै माण, गल्लदारि'क नौ माण
अर्थात
मजदूर को उचित मजदूरी ना मिलना

बूड़ बल्द ना आपूँ लागौ, ना कैई कैं लागण दियो अर्थात
बिना बात दूसरे के काम में बाधा डालना

बूड़ मरनी, भाग सरनी
अर्थात
किसी बुजुर्ग के मर जाने पर भी उसके अनुभव और ज्ञान अगली पीड़ी में जाते हैं

बेत भर नाख काटौ तो हात भर बढ़ गो
अर्थात
निर्लज्ज्ज व्यक्ति दंडित किये जाने पर भी निर्लज्जता नहीं छोड़ते

बेलि भरि नौणी, नाली भरि कुमौणि
अर्थात
ऐसा कार्य जिसमें नुक्सान ज्यादा कर लाभ कम
बैगा'क साग, सैणी'क देखि बाग़
अर्थात
पुरुष को हरियाली और महिला को पशुओं का भ्रम होता है

बैरि क्वे ना एक, ऋण क्वे ना शेष
अर्थात
जिसका कोई विरोधी नहीं है और जिसके ऊपर कोई ऋण नहीं है वही सबसे सुखी है

बौज्यूक दगड़ि, गुड़ौ'क कट्ठ
अर्थात
पिता के मित्र भी सम्मानीय होते हैं

बौया गिजौण, पौंण नि गिजौण
अर्थात
लालची प्रवृति के मेहमान को ज्यादा सम्मान नहीं देना चाहिए

उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।



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