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छोटा कैलाश शिव मन्दिर, पिनरौ, भीमताल

छोटा कैलाश, शिव मंदिर, पिनरौ, भीमताल, कुमाऊँ अंचल में स्थित है- Chhota Kailash, Shiva temple, Pinrau village, Bhimtal in Kumaon

छोटा कैलाश शिव मन्दिर, पिनरौ, भीमताल

(छोटा कैलाश, शिव मंदिर, कुमाऊँ अंचल में भीमताल के पिनरौ गाँव की पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है।
Chhota Kailash, Shiva temple, is situated in Pinrau village of Bhimtal in Kumaon)

हमारे पौराणिक ग्रंथों में भगवान शिव को आदि देव के रूप में प्रमुख देवता माना  गया है तथा देश  विभिन्न भागों में कई प्राचीन शिव मंदिर स्थित हैं।  शिव एक आकार है जो इस संपदा व प्राकृति के व हर जीव के आत्मा स्वरूपी ब्रह्म है क्योंकि हम अभी तक यही ही जानते है।  हिन्दू धर्मशा्स्त्रों में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का घर कहा गया है।  ऐसा माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर बर्फ ही बर्फ में भोलेनाथ शंभू अंजान (ब्रह्म) में लीन शालीनता से, शांत, निष्चल, अघोर धारण किये हुऐ एकंत तप में लीन है।

भौगोलिक रूप से वर्तमान में कैलाश पर्वत के तिब्बत (चीन) में स्थित होने बावजूद प्रतिवर्ष हमारे देश से हजारों शिव भक्त कैलाश पर्वत की यात्रा को जाते हैं।  लेकिन सभी शिव भक्त विभिन्न कारणों से इस कठिन यात्रा के नहीं कर पाते वो हिमालय में स्थित अन्य शिखरों जो कैलाश का ही रूप माने जाते हैं पर जाकर भगवान् शिव के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। ऐसे ही शिखरों में भीमताल के पिनरौ गाँव के पास स्थित छोटा कैलाश पहाड़ी पर स्थित शिव मंदिर प्रमुख है।  यह इसलिए भी ज्यादा लोकप्रिय है क्योंकि यहां तक पहुंचना बहुत ही आसान है।  जब से पिनरौ गाँव सड़क मार्ग से जुड़ गया है तब से यहां तक पहुंचना बहुत ही सुगम हो गया है।

छोटा कैलाश शिव मन्दिर, नैनीताल जिले के भीमताल से लगभग 12 किमी की दूरी पर स्थित पिनरौ गाँव की कैलाश पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है।   छोटा कैलाश, शिव मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको या तो भीमताल की तरफ से जंगलिया गांव की तरफ से या हल्द्वानी से सड़क मार्ग पर अमृतपुर, भौर्सा होते हुए पिनरों गाँव तक पहुंचना होता है।  पिनरों गाँव से लगभग 3-4 किमी की खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद आप कैलाश पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित भगवान शिव के इस प्राचीन मंदिर तक पहुँच जाते हैं।

छोटा कैलाश, शिव मंदिर, पिनरौ, भीमताल, कुमाऊँ अंचल में स्थित है- Chhota Kailash, Shiva temple, Pinrau village, Bhimtal in Kumaon

पिनरों गाँव की पहाड़ी चोटी पर बना मंदिर काफी पुराना है तथा इसके निर्माण काल के बारे में कोई ज्ञात तथ्य नहीं है।  शिव मंदिर के कारण ही पूरी पहाड़ी का नाम छोटा कैलाश पड़ा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव द्वारा यहां पर प्रवास किये जाने का प्रसंग बताया जाता है और यह भी कहा जाता है कि  भोलेनाथ शिव ने यहां पर ध्यान लगाया था।  

मंदिर के अंदर पूजा और जलाभिषेक पुजारी द्वारा ही किया जाता है तथा भक्तजन बाहर दूर से ही पूजा आदि करते हैं।  इस मंदिर के अंदर जाने की इजाजत किसी भक्त को नहीं हैं।  सावन और माघ का महीना शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है जिस कारण माघ माह में महाशिवरात्रि तथा सावन महीने में इस मंदिर में भी शिव भक्तों की संख्या काफी बढ़ जाती है।  सावन महीने में यहां बड़ी तादाद में श्रद्धालु भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं जिसमें देश के कोने-कोने से शिव भक्त शामिल होते हैं।

छोटा कैलाश शिव मंदिर से सम्बंधित कथा व मान्यताएँ:

भीमताल क्षेत्र में स्थित छोटा कैलाश शिव मंदिर के बारे में मान्यता है कि सतयुग में भगवान शिव कैलाश प्रवास में जाते हुए एक बार विश्राम के लिए यहाँ रुके थे।  हिमालय भ्रमण में अपने कैलाश गमन के दौरान भगवान शिव तथा देवी पार्वती ने इस पहाड़ी पर रात्रि विश्राम किया था।  ऐसा कहा जाता है की महादेव शिव के यहाँ पर धूनी रमायी थी जो अखण्ड धूनी तभी से यहाँ पर जलायी जा रही है।  भक्तों की ऐसी मान्यता है कि यहाँ पर स्थित शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों की वांछित मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।  विभिन्न श्रद्धालु शिव भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर यहाँ पर घंटी और चांदी का छत्र आदि चढ़ाते है।

छोटा कैलाश, शिव मंदिर, पिनरौ, भीमताल, कुमाऊँ अंचल में स्थित है- Chhota Kailash, Shiva temple, Pinrau village, Bhimtal in Kumaon

छोटा कैलाश शिव मंदिर परिसर में लगभग दो दशकों से कर्नाटक कैलाशी बाबा तपस्यारत प्रवास पर हैं जो एक तरह से इस परिसर के सेवक और संरक्षक भी हैं।  बाबा इस मंदिर के बारे में बताते हैं कि जब महादेव शिव और माता पारवती ने इस स्थान पर प्रवास किया।  प्रवास के दौरान जब उनको जल की आवश्यकता पड़ी तो यहां पर जल की उपलब्ध्ता ना होने के कारण उन्होंने अपनी दिव्य शक्तियों से यहाँ पर एक जलकुंड का निर्माण किया।  जिसे बाद में भक्तों द्वारा माता पार्वती के नाम से पार्वती कुंड के नाम से जाना जाने लगा।

बताया जाता है कि बाद के समय में कभी किसी भक्त द्वारा पार्वती कुंड को अपवित्र कर देने के कारण उसका जल सूख गया।  क्योंकि पार्वती कुंड तक पहुँचने वाली तीन सतत जलधाराएँ विभक्त होकर पहाड़ी के तीन छोरों पर ही थम गयीं।  स्थानीय नागरिकों तथा सरकार मनरेगा परियोजना के द्वारा पार्वती कुंड को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है जिसके अंतर्गत 8 लाख रुपये की लागत से यहाँ पर पार्वती कुंड का निर्माण किया जा रहा है।  पार्वती कुंड के निर्माण का कार्य अब लगभग पूरा हो चुका है और भविष्य में आने वाले  समय में शिव पार्वती कुंड के दर्शन कर सकेंगे।


छोटा कैलाश का शिवरात्रि मेला:

महाशिवरात्रि पर्व के दिन मंदिर परिसर में विशाल मेला लगता है, जिसमें आस पास के क्षेत्रों के लोग तो बढ़चढ़ कर भाग लेते  ही हैं, दूर-दूर से भी हजारों भक्त यहाँ आकर पूजा-अर्चना करते हैं।  महाशिवरात्रि को यहां एक बड़ा धार्मिक आयोजन होता है और मेला लगता है। यहा का मेला काफी विख्यात है। हजारों की संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु मंदिर के पुजारी के अनुसार इस प्राचीन मंदिर में तपस्या करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना कर भगवान शिव का दर्शन करते हैं।

छोटा कैलाश, शिव मंदिर, पिनरौ, भीमताल, कुमाऊँ अंचल में स्थित है- Chhota Kailash, Shiva temple, Pinrau village, Bhimtal in Kumaon

विभिन्न स्थानों से पहुंचे हजारों शिवभक्त महाशिवरात्रि की रात यहाँ पर रात भर जागरण और विभिन्न अनुष्ठान करते हैं।  शिवरात्रि के दिन कुछ भक्त अपने हाथ बंधवाकर रात भर धूनी के आगे खड़े होकर मन्नत मांगते हैं।  इनमें से अगर किसी भक्त का हाथ स्वयं खुल जाये तो उसे अशुभ धूनी के आगे से हटा दिया जाता है।  वैसे शिव भक्तों के कुछ दल यहाँ हर महीने आते रहते हैं जो रात भर पूजा अनुष्ठान करके सुबह अपने गंतव्यों को वापसी करते हैं।

छोटा कैलाश मन्दिर की यात्रा के लिए सबसे पहले पिनरौ गाँव तक पहुंचना होता है जहाँ तक सड़क मार्ग से तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।  भीमताल की तरफ़ से यहां जंगलियागाँव और बानना गाँव होते हुए सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।  मैदानी क्षेत्र से आने वाले यात्रियों को हल्द्वानी से सड़क मार्ग पर रानीबाग, अमृतपुर, भौर्सा होते हुये पिनरों गाँव तक पहुंचना होता है।  पिनरों गाँव से लगभग 3-4 किमी. की खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद यात्री कैलाश पहाड़ी के शीर्ष पर पहुँच जाते हैं जहाँ भगवान शिव का यह पुरातन मंदिर स्थित है।

हल्द्वानी की तरफ़ से मैदानी क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों के लिए इस मन्दिर तक पहुँचने का रास्ता भी बेहद शांत और सुन्दर है।  रानीबाग में पुष्पभद्रा और गार्गी (गौला) नदी के संगम पर बने पुल को पार करते ही रास्ता पहड़ियों के साथ-साथ चलने लगता हैं।  रानीबाग से थोड़ा आगे चलने पर अमृतपुर से एक सड़क भीमताल की ओर चली जाती है जिस पर अत्यधिक वाहनों का आवागमन रहता है।  अमृतपुर से दूसरी सड़क भौर्सा, पिनरौ आदि गाँवों से होते आगे बानना, जंगलियागाँव (भीमताल) तक जाती है।

अमृतपुर से जंगलियागाँव (भीमताल) को जोड़ने वाली सड़क कुछ दूर तक गार्गी (गौला) नदी के साथ-साथ चलती है।  यह संकरा पहाड़ी मार्ग प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है। यहाँ जंगल की नीरवता में पक्षियों का कलरव सुनना बेहद ही रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।  इस रास्ते में पड़ने वाले छोटे-छोटे गाँव ठेठ पहाड़ के परिवेश को रच देते हैं।  पहाड़ी ढलानों पर बहुत मेहनत के साथ तैयार किये गए सीढ़ीदार खेत यहाँ के वातावरण को और रमणीक बना देते हैं।  जैसे-जैसे यात्री सड़क के पहाड़ी घुमावों पर चलते हुए ऊँचाई की तरफ बढ़ते हैं, वैसे-वैसे दिखाई देने वाली पर्वत श्रृंखलाओं का दृश्य विस्तृत होता चला जाता है।

पिनरों से आगे छोटा कैलाश पहाड़ी की सीधी चढ़ाई वाली पगडण्डी छोटा कैलाश चोटी पर स्थित मन्दिर के लिए ले जाती है।  पिनरों एक सुन्दर पहाड़ी गाँव है जहाँ अभी भी पहाड़ी वास्तुशिल्प वाले कुछ घरों को देखा जा सकता है।  यहाँ पर स्थित दुकान से आगे के पैदल सफर के लिए खाने-पीने का सामान लिया जा सकता है।  दुकान में चाय-जलपान की भी व्यवस्था है।   यहां से आगे कोई आबादी नहीं है और इसके बाद पीने का पानी भी रास्ते के बीचों-बीच सिर्फ एक जगह पर मिला है।  पैदल रास्ता भी खड़ी चढ़ाई वाला होने के कारण फेफड़ों की अच्छी परीक्षा लेने वाला है।  मंदिर परिसर में भी पेयजल की व्यवस्था हेतु जल को बाहर दूर से लाकर संग्रहित किया जाता है।

छोटा कैलाश पहाड़ चोटी आस-पास की पहाड़ियों में सबसे ऊंची चोटी है जिस कारण पिनरों गाँव से पहाड़ी पर चढने के साथ ही कुछ देर बाद ही पहाड़ी रास्ते से आस पास की पर्वत श्रृंखलाओं का विहंगम दृश्य दिखाई देने लगता है।  नीचे बहती कलसा और गार्गी नदी की सुन्दर घाटियाँ भी लगातार दिखाई देने लगती हैं।  रास्ता इतना मनमोहक है कि आप तीखी चढ़ाई की थकान को बिल्कुल भूल जाते हैं।

छोटा कैलाश शिव मन्दिर अपने प्राचीन धार्मिक महत्व के कारण भीमताल, हल्द्वानी तथा आस-पास के क्षेत्रों में पूर्व से ही एक धार्मिक स्थल के रूप में लोकप्रिय रहा है।  अब पिछ्ले दशक से पिनरौ गाँव के सड़क मार्ग से जुड़ जाने के कारण यह एक पर्यटक स्थल के रूप में भी अपनी पहचान बना सकता है।  यहां के सुन्दर पहाड़ी दृश्य और हल्द्वानी से बहुत नजदीक होने के कारण यह एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित हो रहा है।  साहसिक पर्यटन जैसे ट्रेकिंग और कैम्पिंग के लिए भी यह एक उपयुक्त पसन्द बन सकता है।


वीडियो CKTECK यूट्यूब चैनल के सौजन्य से

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