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मुहावरे और लोकोक्तियाँ - कुमाऊँनी भाषा में (भाग-२६)

कुमाऊँनी भाषा के कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों के अर्थ Idioms and phrases of Kumauni language , Kumauni Muhavare aur Lokoktiyan

कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ

यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-

म्यर जस माम कैक लै नै, सांक माम एक लै नै
अर्थात
लम्बी चौड़ी जान-पहचान, कुटुम्ब और परिजन होते हुये भी गुणी परिजनों का अभाव

मडु खौ, तणतण रौ
अर्थात
मडुवा खाओ और हृष्ट-पुष्ट रहो

मडुवा राजा, जब सेको तब ताजा
अर्थात
मडुवा एक रेडिमेड उपयोगी अनाज है

मन करूं गाणि-माणि, करम करुं निखाणि
अर्थात
मन तो हमेशा ज्यादा सोचता है पर मिलता कर्म के अनुसार ही है

मन कौं दूद-भात खूल, भाग कौं दगड़ै रूल
अर्थात
भाग्य हमारे मन के अनुसार नहीं होने देता

मरण बखत बाकर, गुसैं'क मुख चाँछ
अर्थात
संकट के समय व्यक्ति अपने परिवार और निकट सम्बन्धियों से अपेक्षा करता है

मरि च्यला'क दिन गिणन
अर्थात
बीती बातों पर पछताना या याद करना

मरि स्यापाक आँख खचोरण
अर्थात
अक्षम व्यक्ति पर वीरता दिखाना

माण बरकै दिण, धाग सरकै दिण
अर्थात
कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लेना

मादिर कौंछ यौ धमाधम कैक मलि
अर्थात
असाधारण सहनशीलता होना

मारणि दिल्ली, हगण है चुल्ली
अर्थात
अत्यधिक गप्पी व्यक्ति

मारि तलवार, नाम गुलदार
अर्थात
आतंकपूर्ण कार्य से नाम होना

माल की चड़ि, येतणि भई, उतणि भई, उताणि भई
अर्थात
गलत मार्ग से प्रगति करने वाले का उदय और अंत शीघ्र होता है

माल जानूँ, माल जानूँ, सबूँल कै, उकाव-हुलार कै लै नि देख
अर्थात
किसी लक्ष्य की ठोस योजना ना बनाना

मांगण गै छै छकि, मिलि पड़ नौ छकि
अर्थात
विपत्ति से बचने के फ़ेर और मुसीबत में पड़ना

मांस में कीड़ पड़नि हाड़न में नैं
अर्थात
किसी की हैसियत से ही उसे सम्मान मिलता है

मुखड़ी देखि टुकड़ी दिण
अर्थात
किसी की हैसियत के अनुसार व्यवहार करना

मुखौक बुलाण छोड़िये झन, पेटौक गांठ खोलिये झन
अर्थात
बुद्धिमान व्यक्ति अपने मन के द्वेश को छुपाकर अपना काम करता है

मुलुक आपण तो कै हूणि कांपण
अर्थात
अपने इलाके में किसी से क्या डर

मुष्टि में धन, दृष्टी में ज्वे
अर्थात
धन को मुट्ठी के अंदर और पत्नी को निगरानी में रखना चाहिए

मुलूक में गौं नै, दफ्तर में नौं नै
अर्थात
बिना धन-सम्पति वाला होना

मूसै कि घानि लगै दूल फैट, कावा कि घानि लगै देश फिर
अर्थात
किसी बाहरी व्यक्ति की मदद करने पर वह ज्यादा कृतज्ञ होता है

मूंसा बटि हौव जुतौंण
अर्थात
किसी अक्षम व्यक्ति से किसी महत्वपूर्ण कार्य को करवाना

मैं जौं वाँ, कर्म लीजौ काँ
अर्थात
हमारी प्रबल इच्छा के बावजूद भाग्य अधिक बलवान होता है

मोलौ'क लिंण, सूखै'ल सींण
अर्थात
नकद खरीदने वाला सुख की नींद सोता है

मृदङ्गौ'क मुख लीपणेल भली आवाज ऐंछ
अर्थात
किसी को रिश्वत देने से कार्य सिद्धि हो सकती है

उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।

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