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मै-चेली और बौल बुति (भाग-०७)

कुमाऊँनी धारावाहिक कहानी, मै-चेली और बौल बुति, long kumaoni story about struggle of as single mother and her daughter, Kumaoni Bhsha ki Kahani

-:मै-चेली और बौल बुति:-

प्रस्तुति - अरुण प्रभा पंत
->गतांक भाग-०६ है अघिल->>

गोदा खाप ताण बेर चाइचाइय्यै रैगे। गोदा - "बोज्यू पै गौंक सब मैंस के कौल चंफा (चंपा) लै कुनकी छु तैक लै स्कूल जाणि उमर जे केछु, तैकौ अब ब्या हुण चैंन भौय, म्यार जेड़ज कूण भै गे कि बस चार पास कर ले फिर अघिल मंगशीर जांलै मेरे लै ढमाढमा (ब्या) है जालि, महुं तो गवौ हार, हाथाक पौंची लै बणैं राखी म्यार बाबुल।"

जीबुलि - "भल भौय पै लली, तुमन कं भल सौरास और मैंस जौ दुल्हौ मिलौ।"

त जालैं द्वियै स्कूलाक भितेर पुज ग्याय। जिबुलिल आब गौंक मैसनाक बोलीताना लै शुण भाय, वील सोच जेलै होल पै देखुंल। गोदाल जब यो सब आपण घर में बता तो जैसी डानन-कानन लागि आगैकि खबर सब जाग पत्त चल जैं उसिकै जिबुलिक और चंपाक स्कूल जांणैकि खबर पधान ज्यूक पास पुज गे और गौक सबै मैंस रेबति बुब, धनुलि आम और किसन बड़बाज्यू कं छाड़बेर (तौं आपण घर बै निकयी नि सक अत्ती बुढ़ भाय बज्यूण) सबै एकबटि ग्याय पधान ज्यूक आंगण में।

सब बात पत्त हुण पर पधानज्यूल तो सरकारौक आदेश दिखै दे कि "सबन कं साक्षर बणूणाक लिजि तो सरकारि औडर ऐरौ, मैंल तो तनन कं शाबाशी दिण चैंन भै।
पंडितज्यू - "पर तौ तो शास्त्रसम्मत बात नि भै हो।
पधानज्यू - "के जांणी जस बाज सरकार बजालि उमें सबन कं नाचण भौय।"
नरोत्तम दा - "पर जो हमरि बन्नामी होलि, उताणि भराण जै चेलि कं ल्हिबेर स्कूल पुजगे। मैंल तो चंपाक ब्याक तजवीज आपण सौरास्सीन मद्दे कृष्नान ज्यूक ठुल च्योल रमेश दगै कर राखछी।"
परुलि काखि - "अरे उ रमेश जैक चेलिक ब्या हमार दयाधर दगै भौ,वीका तौ ठुल ठुल नाति नातिणी छन,यो माघाक म्हैण उनार घरवाय बायगोल में खत्म हैरै।"
तुलारामज्यु - "रमेश तो मि स्वानिक भौय,चंपा तो आय नानतिनी भै।

नरोत्तम - "पै उ पगलाक चेलिक ब्या कैं सही मेल वाल बर दगै होलौ!हद्द हैगे भल करण चाय मैलै।"
खैर फिर सबै घर वापस ऐग्याय जब पधानज्यूलै हाथ ठाड़ कर दीं तो। सबै कूणाय - घोर कलजुग एगो, हम बिबस है गेयां। दुसार दिन बै जब जिबुलि और चंपा स्कूल हुं जाण लाग सबै आपण आपण ढंगैल उनरि हंसि खिसै लगूण लाग, ताना बोली मारण लाग।

घनु कूण लाग - "अब तौं मै चेली इंग्लैंड जांनेर छन,सु--ई--ई हवाईजहाज में। "जिबुलिक मन में भौत बेर आ कि छाड़ौ हो, पर फिर वील आपण भितेरैकि आवाज शुंणी और चुप्प आपण मिहनत करण में लागि रै। जो मिहनत में ध्यान दीं वीक कभै न कभै जीत हुनेरै भै।

एक बार जिबुलिक स्कूल जैयी में घनुऐल वीक बाड़न में गोर चरै दे एक बार जिबुलिक गोर कं पधानज्यूक ख्यातन उज्याड़ हाल दे। पधानज्यू समझ ग्याय यो गौंक मैसनैकि करतूत छु उनूल गौंक सब सयाण मैंसनैक सभा बुलै और बतै दे कि "अगर जिबुलिल रिपोट कर दी तो पुर गौं पर जुरवान लागौल किलै कि जिबुलि उ बखत स्कूल पढ़न हुं जै रैछी। तुम सब पकड़ि जाला मैं फिर के नि कर सकुल।"--

क्रमशः अघिल भाग-०८
मौलिक
अरुण प्रभा पंत

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