
-:मै-चेली और बौल बुति:-
प्रस्तुति - अरुण प्रभा पंत"सबनैकि शुणि करि आपणि"लै वी कर सकूं जैल गौं है भैरौक संसार देखि भौय और स्वयं लै शिक्षा नामक शस्त्र वीक पास हौ साथै-साथ उसमें इतु आत्मविश्वास और उद्भट साहस हौ कि उ, उ कर सकौ जो वीक मन में हौ। ऐसे सोच विचार में जिबुलि रोजै रुनेर भै।एक दिन वील सोच कि कैनै मैं आपण चेलि चंपा दगै स्कूल पढ़न हुं जां कम से कम कुछ लेखण पढ़न तो एजाल।
अघिल दिन उ गौंक प्राइमरी स्कूल में गे और वील स्कूलाक चपरासि थैं पुछ कि स्कूल में नाम लेखूण हुं के करण पड़ूं? चपरांसि जो आपण हाथन सूर्ती मिनणौय वील सूर्ती कं तल थोलाक बीचम हालि हाथ फटकै प्रधानाचार्याक कक्ष हुं इशार कर फिर कुर्सी में बैठ गोय। जिबुलि आपण चेलिकं ल्हिबेर उत्खै जानैं रै।
वहां वीक मुखबै शब्दै नि निकौव तो प्रधानाचार्याल उकं बैठण हुं कौय तो उ भिमै बैठ गे। तब उ समझ गे कि यो शैणि डरणै।
प्रधानाचार्या जिबुलि कं एक समझदार और भलि किस्मैकि मैंस लागी कुंछा और पछा फिर कुर्सी में भलीकै बैठ बेर वील आपण मनैकि बात बतैय और शरमाक मारी वीक मुख पैल्ली लाल भौं फिर उ फफक फफक बेर डाढ़ मारण लागि।प्रधानाचार्या समझ गे कि यो बेसहारा और सताई गेयी शैणि छु। जब वील वीक सब बात जांण ल्हिं तो वील उथैं नाम पत्त सबै पुछौ और आफि पुर फार्म भरि बेर उनार अंगुंठाक छाप लगै ल्हि।
आंखीर में जब जिबुलिल डबलनाक बार में पुछ तो वील कौ के नि चैन और उकं कुछ अ,आ,क,ख प्रवेषिका और लेखण हुं पाटि लै दे। वील भोल बै स्कूल उणौ टैम और बैठणैकि जाग और वीक मास्टराणि तैं लै मिलवा। एस करि बेर वील आजै बटिक कक्षा में पढ़न चा तो ठुल मास्टराणिल उ द्विनैकं पढ़न हुं जांण दे। ऐस करि बेर जिबुलि और चंपा एक्कै क्लास में बैठ ग्याय और सब नानतिन उनन कं देखण लाग।
अघिल दिन बै द्वियै मै चेलि स्कूल जाते बैठ। आब जिबुलि रत्तै अन्यारै में गोठ पात और पाणि सारण भन पान करण लागि।
चहा और दूध पिबेर द्वियै स्कूल हुं जाण लाग तो उनन कं बाट् में गोदा मिलि जो कक्षा चारैकि उनार गौंक चेलि भै।वील पुछ जिबुलि थैं--"ओ बोज्यू ऐल इतु बखत कांहु" तो जिबुलिल कौ-- जां तुम जांणौछा लली।"
गोदा - "मैं तो स्कूल जाणयुं"
जिबुलि - "हम लै"
गोदा - "तुमैरि वां के नौकरी लाग गे?पर तुम तो पढ़िए न्हांता।"
जिबुलि - "हाय हम लै पढ़न हुं जांणयां "
गोदा - ??
मौलिक
अरुण प्रभा पंत

अरुण प्रभा पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी शब्द सम्पदा पर पोस्ट
अरुण प्रभा पंत के बारे में जानने के लिए उनके फ़ेसबुक प्रोफ़ाईल पर जा सकते हैं
अगर आप कुमाउँनी भाषा के प्रेमी हैं तो अरुण प्रभा पंत के यु-ट्यूब चैनल को सब्सक्राईब करें
0 टिप्पणियाँ