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मै-चेली और बौल बुति (भाग-१२)

कुमाऊँनी धारावाहिक कहानी, मै-चेली और बौल बुति, long kumaoni story about struggle of as single mother and her daughter, Kumaoni Bhsha ki Kahani

-:मै-चेली और बौल बुति:-

प्रस्तुति - अरुण प्रभा पंत
->गतांक भाग-११ है अघिल->>

रमा दीदिल बस जिबुलि अर्थात जीवाक कान में दुबारा ब्याक जिक्र बस कर दे और जिबुलिल उकं "मैंस के कौल" कै बेर इथकै-उथकै कर दे और आपण नौकरी में जानै रै। पर मन में वीक हलचल तो छनै छी। आब यां रमादिद अर्थात चंपाक आम् और चंपा रै ग्याय और द्वियै मिल जुल बेर घरों काम लै करनेर भाय और आपण संगीतौक अभ्यास लै, जमें रमाआम् तानपूरा, कभै हारमोनियम बजूनेर भै।

रमा दिदिक घर अल्माड़ाक बिनसर महादेव मंदिराक नजीकै भौय। वां अगल बगल एक द्वि अतिथि गृह बणी भाय पुराण जमानाक जा। अक्सरकै भ्याराक मैंस शहरैकि भीड़भाड़ बै दूर आपण मन स्थिर करणाक लिजि या संगीत साधना या लेखन करणाक वास्ते ठहरनेर भाय। नित्य चंपाक मधुर कंठ और भजन भौत मैसनौक ध्यान बरबस आपण तरपै खैंचनेर भाय। ऐसिकै एक दिन एक सयाणि जै एक शैणि जो अज्यान वां ठैर रौछी उनन कं यो मधुर कंठ इतु भल लागौ कि उं तालै रमादिदिक आवासाक उज्याणि ऐ गे छिन और प्रारंभिक बातचीत में परिचयाक मांथ फिर कुछ दिन और रैयीं।

उ असल में एक जानी-मानी लेखिका, संगीत विशारद और संभ्रांत मनखी छिन। एक दिन उनूल रमा दिद थैं आपण नाति लिजि चंपाक हाथ मांगौ तो रमादिद कं आपण कानन में विश्वास नि भौय पर बात तो सांचि छी। उनूल चंपाक इज जीवा जो नैनतालाक गौंक एक सरकारि स्कूलैकि मास्ट्राणि छी, थैं पुछबेर बतूल कौ।

उ महिला जनौर नाम "शांति देवी" छी च़पाक इजाक स्कूल उनारै दगै पुज गे तो जीवाल बर और वीक घर-बार देखणैकि मंशा बतै। रमा दिद कं यो बात भौत्तै समझदारिक लागि आंखिर जिबुलिक जीवन आपण ब्याक तजुर्बन कं कैसी भुल सकछी। फिर कुछ दिन बाद सब कार्यक्रम तै कर बेर चाराचार जणि राजस्थानाक कोटा शहर में पुज ग्याय। वांक एक ठाठ-बाट वालि कोठि (बंग्याल) में ठहरैयी ग्याय।

शहर घुमणाक नियरैल रमादिदिल उ परिवार और कोठिक बार में सब बात जब जाण ल्हिं तब जीवा थैं और चंपा थै साबुति करि बेर और बर दगै भलीकै फसक-फराव कर बेरै 'औं' (हां) कौ। पैल्लियै यो बात कै दे कि दैज वैज नि दी जाल और चंपा आपण संगीत, गैण-बजूण करनी रौल और उकं आपण इजौक और आमौक देखभाल करणैकि आज़ादी लै रौलि। जब यो सब है गोय तो वैं एक साधारण बिन डंफान (दिखावा) वाल रिवाजैल चंपा और भूपेशौक ब्या है गोय।

भूपेश एक प्रशासनिक अधिकारी छी और वीक इज और बाब लै राजस्थान में न्यायिक सेवा में उच्च पदाधिकारी छी और वीक नानी शांति देवी समाज सुधारक और जाणि माणि हिंदी लेखिका छिन। ब्या तै करण है पैल्ली जीवाल आपण और रमा दिदिक संबंध और आपण पुर ब्यौरा भलीकै शांति देवी कं दि दे जैल पछा लै सब जणि भली कै रै सकन। रमा और जीवा द्वियै आपण ब्याक कटु अनुभव भुलि नि भाय।--


क्रमशः अघिल भाग-१३
मौलिक
अरुण प्रभा पंत

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