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मै-चेली और बौल बुति (भाग-११)

कुमाऊँनी धारावाहिक कहानी, मै-चेली और बौल बुति, long kumaoni story about struggle of as single mother and her daughter, Kumaoni Bhsha ki Kahani

-:मै-चेली और बौल बुति:-

प्रस्तुति - अरुण प्रभा पंत
->गतांक भाग-१० है अघिल->>

सदैव दुतकारि सताई तौं मै चेलीनाक लिजि ठुलि मास्ट्राणि रमा दिद एक मरुस्थल में पाणि श्रोत जा भाय एक दुसराक वास्ते। रमा दिद कं लै बुढ़ियां काल क्वे चैनेरै भौय और तौ मै चेलीन कं लै क्वे सयाण समझदार मैसौक सहार चैनेरै भौय। ऐसि तौं द्वियै एक दुसराक पूरक बणि ग्याय। आब जिबुलि और चंपा दस क्लास में ऐ ग्याय और रमाक छत्रछाया में दिन अघिल बढ़ते जांणांय।

चंपा और जिबुलि में जिबुलि जै जियादे तेज है, पर चंपा गैण बज्यूण में भौत बढ़ीं भै कुंछा। दस पास करि बाद चंपा संगीत में विशारद करण बैठि और दगड़ै पढ़नेर लै भै। जिबुलि कं गणित में लग्ग भै वील गणित ल्हिबेर बार पास कर और चंपा संगीत में अघिलैकि पढ़ाय करण चानेर भै पर संकोच में कै नि सकि।रमाल तब चंपा कं भातखंडे संगीत विद्यालय में भेज दें वैं छात्रावास में रै बेर वील जब संगीत में निपुण करौ तो वीक रहन-सहन -रखरखाव देख क्वे नि कै सकि कि तौ वी चंपा छु,रमा दिद जौ पारस चंपा कं मिलौ और उ सुनै जै चमकिल, गुणागार और आपण आजीविका आफि कमै सकणि लैकैकि बणं गे।

इथकै जिबुलि जैक नाम रमाल पैल्लियै बै जीवा धरौ स्कूल में आब 'स्वयंजीवा' सर्वसमर्थ एक भलि किस्मैकि जै गणित अध्यापिका बण गे और ३५ वर्ष हुण हैं पैल्लियै उ नैनतालाक एक गौं में सरकारि मास्ट्राणि बणि गे। जदिन उकं नियुक्ति पत्र मिलौ तो उकं एक स्वैण जौ लागौ और जब चंपा लै वां ऐ। द्वियै मै चेलि रमाक खुटन खोर धर बेर डाढ़ाडाढ़ करण लाग तो तब रमाल कौ - "जब प्यास् पाणिक तलाश में उं तो उकं असफलता नि मिलैनि तुम द्वियै मै चेलि जब म्यार मुखतिर पढ़नैकि आश में आछा तबै मैं समझ गोछी कि द्वि हिर म्यार सामुणि ऐ गेयीं तो उनौर उद्धार हुणै चैं।

तुम द्वियै म्यार आपण जा आपण रौंछा और जब लै तुमरि जैक दगै लै ब्या करणैकि मंशा होलि तैं तुम द्वीनैकौ ब्या मैं करूंल।" जिबलि शर्मै बेर कूण लागि आब एक चेलिक होते यो उमर में मेरि ब्याक तुमुल कै सोचि इजा! हाय तीस बरस लै आय त्यार पुर नि है राय मैं करुल त्योर ब्या। आब जमान बदयिणौ हम सबन कं नय बाट् दिखूंल।---

क्रमशः अघिल भाग-१२
मौलिक
अरुण प्रभा पंत

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