
पारा रै भीड़ा कौछै घस्यारी
प्रस्तुति: चारु तिवारी
प्रसिद्ध पत्रकार श्री चारू तिवाड़ी जी के सौजन्य से
पारा रै भीड़ा कौछै घस्यारी,
मालू रे तू मालू न काटा...मालू रे।
मालू काटियो पाप लागूंछ,
मालू रे तू मालू न काटा...मालू रे।
पारा का भीड़ा मैं छौं घस्यारी,
मालू रे तू मालु काटंण दे मालू रे।
भैंस ब्यै रै छ, थोरी है रै छौ,
मालू रे तू मालू काटंण दे... मालू रे।
त भैंसी कं भ्यौव घुर्यदै,
त थोरी कं गाड बगै दे।
मालू रे तू मालू न काटा...मालू रे।
भैंस छू भागी दिदी कं प्यारी,
थौरी छू भागी म्येरी दुलारी।
मालू रे तू मालू काटंण दे... मालू रे।
कै छू रे तेरो दिदी को नामा,
वीक मरदा कै करूं कामा।
मालू रे तू मालू न काटा...मालू रे।
दिदी को नामा राजदुलारी,
धनसिंह भिना त्येरि अन्वारी।
मालू रे तू मालू काटंण दे ...मालू रे।
नौक नि मान्या मैल दी गाई,
धनसिंह मि छू तू मेरी साई।
दूर बै तैकैं पछ्यांण नि पायौं,
मालू रे तू मालू काटि लै... मालू रे।
इस गीत की मूल पंक्तियां वही हैं जो मैंने लिखी हैं।
ब्रजेन्द्र लाल शाह द्वारा रचित आगे की पंक्तियां निम्न प्रकार हैं:-
भैंस छौ मेरी दीदी कैं प्यारी,
थोरी छौ भागी मै कणी प्यारी।
भैंस गत्याली दूध पिवाली,
मालू ए तैं मालू काटंण दे मालू।
के छू वे तेरी दीदी को नाम,
वीक मरदा के करूं काम।
वी थैं कूंलो तेरी चोरी लडैता,
मालू ए तैं मालू नी काट।
दीदी को मेरो नाम दुलारी,
धनसिंह भिना तेरी अन्वारी।
वीक छीं भागी साई पियारी,
मालू ए तैं मालू काटंण दे मालू।
नक नि मानिये मैं दी गाई,
धनसिंह मि छू तू मेरी साई।
दूर बै तैकैं पछ्यांण नि पाई,
मालू ए तू मालू काटी ले मालू।
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