
घा'क लुट (Fodder Heap)
(लेखक: डा. नागेश कुमार शाह)उत्तराखंडक द्विनों जाग गढ़वाल व कुमाऊं में चौमासक टैम में जून जुलाई बटी अक्टूबरक महैंण तक इफरातल पशु चार प्राकृतिक रूपल मिल जां पर योई चार जाड़न में एक समस्या बनी रूं यो वजल स्थानीय किसान नल यैक तोड़ निकाल राखौ । यो उपाय लूटक रूप में याँ सदियों बटि प्रचलित छू । आफ सीजन में पशु चारक अकाव मद्देनजर रख बेर पशुपालक व काश्तकार यैक एडवांस में बंदोबस्त करि रूनी।
चौमासक बाद पहाड़ि डा्न-का्न हरि लम्-लम् घासल् लद जानि । यो घासक उपयोग यांक कास्तकर आपुण जानवरां कि खिलुहुणी करनी । यैक साथ-साथ खरिफक फसल बै निकलि चार जसिक धानक, मडुवक, झिंगुरक आदि फसलांक बालि निकालबेर बची पौध लै काम में लाई जां।
जब घा लम्ब है जि तो वीकि काटनक बाद फैलेबेर सुखै ल्ही जां । जब घा भलिक सुख जिं तू वीकि ना्न-ना्न गठठर जैहुणी पु कूनी बणै ल्ही जां । यो पुआँ कि या तो एक लंब मजबूत और मोट ठागरक या फिर एक लंब और सीध बोटक, जैक तली वा्ल फाङ का्ट दि जां उमें बणैइ जां । जमीनम गैंठी ठांगरक चारों और गोलाई में घाक पुल यसिक एकक माथि एक चलथै दिनी कि उनर संख्या मलि कहू कम हुणै रीं । यस किसमा्क घा लुट उत्तराखण्डक लगभग हर गौं-घरा में देख सकछा । पुर दुनि में उत्तराखंडक अलावा नेपाल में लै यैसै घाक लुट लगूनेर परम्परा पाई जिं यैक अलावा और जाग, या तक कि हिमाचल में ले, लुट यो प्रकारल नि लगून । हिमाचल में तू घा कि सुदै गोठम थुपुङै बेर धर दिनी।
पहाड़म यो घाक् लुटांक भौतै महत्त्व छू किलैकी ह्यूंन में यांक लोग-बाग जाणक वजल भ्यार कम निकलनी और यदि जानि लै तू जंग्लां में घा पात लै नि भै यो वजल उ पैलिये बटि आपुण बंदोबस्त करि राखनी।
लुट बनुहुणी सबुहैं पैल एक म्वा्ट पेड़ाक ढांगर कि ज़मीन में गाड़ी जां फिर वीक मुड़ी नान-नान पेड़क फांग और पात लै बिछाई जां । फिर गाड़ि लाकड़क चारो ओर गोलाई में घाक पुल यसिक लगाई जानी कि तली बै सकर पुल और मली हूं कम-कम पुल धरि जानी । लुटम माथि ओर पुवालक पुड कम हैते जानेर वा्ल भै । पुवालक पुड़ान की जा्म कर बेर एक निश्चित आकार और पैटर्न में लगूण हुणि लुट लगूण कुनी । लुट हर हमेशा जमीन बटि कुछ ऊंचाई पर या तो कोई बोटम लगाई जां या फिर म्वा्ट पेड़क ढांगर या फिर घरक पा्ख में। यो प्रकारक फौड़र/चार संरक्षणक जुगाड़ दुणी में केवल उत्तराखंड या नेपाल मेईं पाई जैं और कैं नै।
लुट लगूण सुद्दै नि हुण, यैक लिजी तजुरबक जरवत पाणि और यो हरेकक बसक बात लै निहुन । घा्क पुङ लगूण में यसिक धरणी कि ऊ माथि हूं कम हैते जानि । घा्क पुङ यतू तकनीकल लगाई जि कि इनूनमै द्यो, बरमाल और ह्यूक, कैकै असर नि पड़न । लुट खुलि में रूणक और द्यो, बरमाल और ह्यूक बाबजूद खराब नि हुण किलैकी यकैं साइंटिफिक तौर तरिकल एक निश्चित कोण बणई बेर एकक माथ एक यसिक लगेबेर धरि जां जैक वजल द्यो, बरमा्व और हयूंक पाणि लै यमें के असर नि करूण और थ्वाड़ देर बाद सुख जां नतरि लूट में किसम किसमक च्यूं और किड़ मकौड़ लगिबेर यो चोपट है जानेर वा्ल भै और कास्तकार देखिये रै जा्ल।
लुट लगूण हमर वांक कास्तकार और पशुपालक नक एक खासियत हुनेर भै और यो कला उनूंकि आपुण बुड़ खुड़न भै पीढ़ी दर पीढ़ी मिलनै रूनेर वा्ल भै।
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