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जंगली लहसुन का मसाला व औषधि उपयोग व इतिहास

जंगली लहसुन/डोंडो/जिमु/डंडू का मसाला व औषधि उपयोग व इतिहास, Uses and history of garlic chives, Jangli Lahsun, Chines Chives

जंगली लहसुन का मसाला व औषधि उपयोग व इतिहास

उत्तराखंड में वन मसाले – कृषि व भोजन का इतिहास
आलेख - भीष्म कुकरेती (वनस्पति व सांस्कृति शास्त्री)

वनस्पति शास्त्रीय नाम - Allium tubersum
सामन्य अंग्रेजी नाम - Garlic Chives or Chines Chives
हिंदी नाम -जंगली लहसुन
नेपाली नाम -डुंडू
उत्तराखंडी नाम - दोणो, दूण, जिमू (हिमाचल)

जंगली लहसुन या जंगली दोणो कुछ ही क्षेत्रों जैसे मुनसियारी में मसाले के रूप में उपयोग होता है किन्तु औषधि रूप में अधिक होता है। यह पौधा 2300-2600 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय व चीन हिमालय में उगता है। इसकी एक सेंटीमीटर चौड़ी व बीस सेंटीमीटर लम्बी पत्तियां गुच्छों में उगती हैं और अपने भार से झुक जाती हैं। फूल सफेद व गुलाबी होते हैं।

जन्मस्थल संबंधी सूचना -

जंगली लहसुन के जन्म के बारे में वनस्पति शास्त्री एकमत नहीं हैं किंतु इस पौधे का जन्म हिमालय में ही हुआ इसमें दो राय नहीं हैं। संदर्भ पुस्तकों में वर्णन - चीन व तिब्बत में जंगली लहसुन पिछले तीन हजार साल से उपयोग हो रहा है। चीनी औषधि विज्ञानं की सोलहवीं सदी के पुस्तक में उल्लेख है। भारत के निघंटु साहित्य में इस स्पेसीज से मिलते जुलते पौधों का जिक्र हुआ है।

औषधि उपयोग -

विटामिन सी से भरपूर, इसका उपयोग उत्तराखंड से बाहर कोलस्ट्रोल कम करने, रतौंधी, नपंसुकता, आदि कष्टों में उपयोग होता है। बालों की आयु बढ़ाने , बुढ़ापा कम करने के लिए भी औसधि उपयोग होता है। पत्तियों के रस फंगस आदि अवरोधक के रूप में प्रयोग होते हैं। कुमाऊं विश्वविद्यालय के फरहा सुल्ताना, ए . शाह व रक्षा मंत्रालय हल्द्वानी के मोहसिन जैसे वैज्ञानिकों ने सलाह दी है की जंगली लहसुन का उत्तराखंड में बड़े स्तर पर कृषिकरण होना चाहिए।

मसालों में उपयोग -

उत्तराखंड, हिमाचल, नेपाल व मणिपुर जहां जहां तिब्बती संस्कृति का प्रभाव है वहां वहां जंगली लहसुन की पत्तियों व फूलों, मूल का लहसुन जैसे उपयोग होता है याने छौंका, सब्जी -दाल-मांश-अंडे में सलाद व नमक के साथ पीसकर, अचार बनाकर उपयोग होता है।

Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai 2018

श्री भीष्म कुकरेती जी के फेसबुक वॉल से साभार

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