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सुख दुख (कुमाऊँनी कविता)

रचनाकार:  रेणुका जोशी

सुख दुख

मैस भाय हम
पाथर ज के भै,
स्यो ज , घाम ज
सुख दुख उनेरै भै।

सुख के बैठी रूंछौ ?
दुख लै न्हई जाल।
कोई खानी आपुण भागल यां
कोई ध्वां फ्वां करबे खाल।


मुसना चारि द्वाब में लुकि बेर
हार नि मानण चैं।
मैस छन , मुस न्हा
मैसना चार रूंण चैं।

दुख देखि चिंगचिंगांन हबे के हौल?
दुखन कं त फतोड़नै पडौ़ल।
करि ज सकना हम त
सुख कं गयौं लै बांधछी।

भल भल खवै बे तकैं
गोरू चार दुहछीं।
सुख त चाड़ ज भौय
उन उनै फुर्र है जां
नि धुर्कन हो सुखा पिछाडि़
आपुण जस त दुखै भौय हाडि़।
रेनुका जोशी 26th जून 2019


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