
कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ
किसी भी भाषा में कथन को रोचक ढंग से प्रस्तुत करने तथा सुनने वाले को प्रभावित करने हेतु मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग किया जाता है। चाहे आम बोलचाल हो या साहित्य रचनाएँ मुहावरे और लोकोक्तियाँ भाषा के प्रवाह और प्रभाव को गति प्रदान करती हैं। अन्य भाषाओँ की तरह ही कुमाऊँनी भाषा में भी मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग सहज व स्वाभाविक रूप से होता है। क्योंकि कुमाऊँनी भाषा हिंदी खड़ी बोली का ही एक रूप है, इसलिए इसमें हिंदी के मुहावरों और लोकोक्तियों को भी भाषा में बदलाव या हू-बहु रूप में स्वाभाविक रूप से शामिल कर लिया गया है। दुसरे रूप में कहें तो कई मुहावरे और लोकोक्तियाँ हिंदी तथा कुमाऊनी भाषा में हू-बहु या थोड़ा बहुत बदलाव के साथ प्रयोग की जा रही हैं।
कुमाऊँनी भाषा के मुहावरों और लोकोक्तियों को विभिन्न लेखकों द्वारा समय-समय पर कर पुस्तक के रूप प्रस्तुत किया गया है। यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-
अभागि कौतिक गो, कौतिकै नि है
अर्थात
जिसकी किस्मत साथ ना दे वह कही भी सुख प्राप्त नहीं कर पाता
अघैईं बामणै कि भैंसेन खीर
अर्थात
जब किसी का पेट भरा हो तो उसे स्वादिष्ट व्यंजन में भी दोष नजर आते हैं
अकल और उमर कैं कभैं भेट नि हुनि
अर्थात
हर व्यक्ति की बुद्धि का विकास उसकी आयु तथा अनुभव के अनुसार ही होता है
तथा हर काम अपने नियत समय पर ही संपन्न होता है
अघिन कुकेलि पछिन मिठी...
अर्थात
ऐसी बात जो कड़वी लगे, पर वास्तव में फायदेमंद हो
अपजसी भाग पर म्यहोवक फूल
अर्थात
जिसकी किस्मत साथ ना दे वह हर हाल में परेशान रहता है
अपणा जोगि जोगता, पल्ले गौं का संत
अर्थात
अपने क्षेत्र/घर के लोगों की क़द्र ना करना
अमुसि दिन गौ बल्द लै ठाड़ उठूँ
अर्थात
जब आपत्ति आती है तो हर व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता के साथ अपना बचाव करता है
अनाव चोट कनाव पड़न
अर्थात
घबराहट या अनाड़ीपन में उल्टा सीधा काम करना, बुद्धि व विवेक से काम नहीं करना
अन्यारै कि मार खबर नै सार
अर्थात
किसी कार्य का सही प्रचार व प्रसार नहीं होगा तो कोई भी कैसे जानेगा
असोज में करेले कार्तिक में दही, मरे नहीं पड़े सही
अर्थात
समय व आवश्यकता के अनुसार ही किसी वस्तु को प्रयोग में लाना चाहिए
अस्सी गिचाँ दगड़ि कैलै नि सकि
अर्थात
झूठी अफवाह को रोकना किसी एक व्यक्ति के बस में नहीं रह जाता
अति बिराऊँ में मूस नि मरन
किसी कार्य के लिए आवश्यकता से अधिक लोग होने पर काम सफल नहीं होगा
उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो एवं टिप्पणियों का स्वागत है।
0 टिप्पणियाँ