'
दिनेश कांडपाल लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैंसभी दिखाएं
फुलदेई टुपार निरया - कुमाऊँनी कविता
भाषाई धरोहर पर द्वी लाइन..
लोकतंत्रै कि यात्रा में पहाड़ कि पीड़...
गैरसैंणक् काम पुर हैगो
रंगवाइ पिछौड़ पैरि बटिरै
म्यर बिमार परांण हैं तू दुदभाति क फूल
पहाड़ कि व्यथा..
चौमास क द्यो लै भुती गो...
यूपी सरकार क दोहा.......
पहाड़ में शराब क् क्वीण.....
ओ तल् देसै की बान
फौजी कैन्टीन चहा
सार सिमार घा हैं जै रे
द्वि महैंण छुट्टि घर कैं ऐजा
ओ अल्मोड़ै कि बान
म्यर दगड़ दिल्लि हैं हिट ओ मेरि किरसांण
उठ उठ अब उज न गंवा
शराबी मैंसुल खै हालिं गौंनूं क तीज़ त्यौहार
तेरि चमचमानि मुखड़ि
य बुढ़ाप नि जान
ज़्यादा पोस्ट लोड करें कोई परिणाम नहीं मिला