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याद - कुमाऊँनी कविता
यात्रा कुमाऊँ की - कुमाऊँनी कविता
ब्याक फिकरम
मुल मुल हॅसलि जिंदगी
बादलौं, बीचमा
ओ इजु मैं आब पटै गयूं।
मानि जा भागी मानिजा!!
भीं पन चा !!
हिट सुआ पहाड़ा
ढुंग-कुमाऊँनी कविता
मां .....काम किले नी कर?
नानतिन आओ रे खान्हें
लागुछ कुमाऊँ कतुक प्यारा
 चिट्ठी पत्र कुमाऊँनी  भाषा में - 1950 के दशक की
उपमा अलंकार की महिमा
पहाड़े याद
जौ ।। (बसंत पंचमी)
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