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कुमाऊँनी हलिया और बल्द

“हलिये द्वारा बैलो को सकेँतो का अध्याय” Interaction of Kumauni Farmers and his bullocks

“कुँमाऊणि पाँठ-शाला”
(लेखक: सुन्दर कबडोला)

“हलिये द्वारा बैलो को सकेँतो का अध्याय”
(एक बेहतरिण हलिया हमेशा मार के विपरित हाँक से बैलो को अपने काबुँ मे रखते हुऐ हल लगाता”)

ह पाण पाण-          बैलो को पानी पीने का सकेँत
रौअ…. अ-            बैलो को रोकने का सकेँत
                            ( प्रोफ़ेशनल हलिये बैलो को रोकने के लिऐ अन्य प्रकार की  आवाज निकालते है
                            जिसे लिखना थोडा मुश्किल है पर उनकी प्रकिया कुछ युँ “होठो को दाँतो के
                            बीच रख कर अन्दर को जोर से साँस लिना जिससे पतली सी ध्वनि निकलती है
                            जिसके सकेँत माञ से बैल रुक जाते है )

हअ… बँल्दा हअ-   बैलो को चलने का सकेँत

हअ… कई, हअ…  खैरु- बैलो के नाम से सकेँत देना

ह ईजाँऊ-              बैलो को मिनाँऊ ( मेड़/निचे के तरफ ) के तरफ हल मे चलने का सकेँत
                           (इस सकेँत का प्रयोग ईजाँऊ तरफ हल लगाने मे किया जाता है)

ह कनाँऊ-             बैलो को भिड (ऊपर के तरफ) के तरफ हल मे चलने का सकेँत
                           (इस सकेँत का प्रयोग कनाँऊ/भीड़ा/ऊँचाई के तरफ हल लगाने मे किया जाता है)

ह…तल, ह…मल-  बैलो को हल मे ऊपर या निचे चलने का सकेँत

ह सिख बँल्दा-       बैलो को बाँयै (हल लगे हुऐ ) हुऐ सिखोँ के समान्तर चलने का सकेँत
                           ( ताकि खेत मे बिरौड ना छोटे )

ह डुक डुक-            मल ईजाँऊ से तल ईजाँऊ मे हल चलाते समय उस कोने को निकालने के लिऐ
                           हलका सा गोलाकार हल लगाने के लिऐ बैलो को सकेँत, इस सकेँत का प्रयोग
                           भीड तरफ से ईजाँऊ तरफ हल लगाते समय भी दिया जाता है यदि कोई कोना हो तो,
                           और ग्रेहु के फसल के समय मौय लगाने मे इस सकेँत का प्रयोग अधिक होता है
                       
(ये सकेँत मूलत: खेत के कोनोँ मे हल लगाते समय दिया जाता है)
इस प्रकार हल चलाते समय हलिया चिगाँण भी हो जाता है
तो बैलो को सिखौड मारते हुऐ “भ्यौणड पडि बल्द” कह के भी 
चेतावनी दार सकेँत देता है
सिखौड से सकेँत व बैलो के पुछँड अमौर के सकेँत भी हलिये द्वारा बैलो को दिया जाता है
बैल भी चिगाँण और हलिया भी चिगाँण पर ये सकेँत एक दुसरो कि मुश्किले कम कर देते है
“इसि लिऐ एक बेहतरिण हलिया हमेशा मार के विपरित हाँक से
बैलो को अपने काबुँ मे रखते हुऐ हल लगाता”
महाराज कुल मिले बेर खेत बाण में बल्द जोतण और बल्द हकौन लै कम टेक्निकल नि भै 


लेख   - सुन्दर कबडोला ©copy right, All Rights Reserved
गलेई - बागेश्वर- उत्तँराखण्ड

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