'

घाम दिद्दी बादल भिन्ना


घाम दिद्दी बादल भिन्ना
रचनाकार: रेणुका जोशी

घाम दिद्दी इतखै आ
बादल भिन्ना उतखै जा।
नानतिन लै भाइ बादल जस्सै
निझरक है बे कैं लै जा।

धुर्का धुर्की गौं गद्ध्यार पन
निम्मू टोड़ तू , काकड़ लम्या।
कौपि किताब त बस्त में धर दे
घरपन को पढों , किलै नड़क्या?

कौपि कं छोड़ प्वाथा , छानपन जा
दातुल कं धार लगा , घा पू ल्या।
घाम दिद्दी सतझड़ लाग रौ
बादल भिन्ना उतखै जा।

द्वार पन बंधार, भैर भै तहड़
कटकताइ पड़नै, भैर कसिक जां ?
खताड़ लुगुड़ में सिमणैन ऐगे
घाम दिद्दी इतखै आ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ