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आज, अल्लै, अघिल - कुमाऊँनी धारावाहिक (भाग-१)

शायद हमारे कुमाऊँनी साथियों को मालूम नहीं होगा एक समृद्ध शब्द कोष होते हुए भी कुमाउँनी भाषा विश्व की उन भाषाओं में शामिल है, जो अगले कुछ दशकों में विलुप्त होने की श्रेणी में है।  मेरे व्यक्तिगत अनुभव में यह देखा गया है कि कुमाउनी भाषा के प्रति युवाओ का रवैया हीन भावना से ग्रसित है।  जिसके लिए माता-पिता, शिक्षा प्रणाली तथा मीडिया जिम्मेदार हैं, क्योंकि मातृभाषा तो माता पिता से ही अगली पीढ़ी को विरासत के रूप में मिलती है।  सरकार का एक सिद्धांत है की अगर कोई सामाजिक जागरूकता का विषय है और उनके बस का कुछ नहीं है तो उसे स्कूल पाठ्यक्रम में डाल दो जैसे नैतिक शिक्षा, पर्यावरण आदि।  

जब तथाकथित भाषा विशेषज्ञों द्वारा इस विषय में चिंता जताई गयी तो हमारी उत्तराखंड सरकार ने अब कुमाऊँनी भाषा को विद्यालय पाठ्यक्रम में शामिल करने का मूर्खतापूर्ण निर्णय लिया है।  अगर मातृभाषा को शिक्षा में स्थान देना है तो फिर शिक्षा प्रणाली को राष्ट्रीय स्तर पर आंगनबाड़ी/नर्सरी से पीएचडी तक पूरी तरह से बदलना होगा।  वर्तमान में छठी का बच्चा पहले ही तीन भाषाओं  हिंदी, अंग्रेजी और एक तृतीया भाषा जैसे संस्कृत/पंजाबी/उर्दू/तमिल को पाठ्यक्रम में पढ़ रहा है।  अब हमारी राज्य सरकार की कृपा से हमारी लोकभाषा भी विद्द्यार्थियो के बस्ते का बोझ बढ़ाने को थोप दी गयी है।  इससे कुछ नेताओ के रिश्तेदारों को नौकरियां और कुछ अधिकारियो को प्रकाशकों से कमीशन मिलने के अलावा कुछ नहीं होने वाला है।  

लेकिन निराश होने वाली बात भी नहीं है कुछ लोग नि:स्वार्थ भाव से विभिन्न माध्यमों से कुमाऊँनी भाषा की  सेवा में लगे हैं।   ऐसे लोगो में एक नाम है  अरुण प्रभा पंत जी का जो अपने यूट्यूब चैनल "पीटार" के माध्यम से भाषा सेवा में लगी हैं।  प्रस्तुत है अरुण प्रभा पंत के कुमाऊँनी यूट्यूब चैनल "पीटार" पर प्रस्तुत कुमाऊँनी धारावाहिक उपन्यास "आज, अल्लै, अघिल"।  यह उपन्यास मुख्य रूप से पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन की समस्या और उसके कारणों पर आधारित है।  लेकिन साथ ही धारावाहिक में लेखिका ने पात्रों के माध्यम से मुख्य जोर कुमाऊँ की भाषा व परम्पराओं को प्रस्तुत करने पर ही दिया है।  इस धारावाहिक के मुख्य पात्र सावित्री (वैसे उसको उसके उपनाम साबुलि से ही सम्बोधित किया गया है)  तथा उसका भतीजा नवल (जो एक रिटायर्ड इंजीनियर है) हैं।  

इस धारावाहिक की विभिन्न कड़ियों को आप "पीटार" चैनल पर देख /सुन कर कुमाउँनी भाषा में कहानी सुनने का पुराना आनद ले सकते हैं।  अधिक से अधिक लोगों तक इसका प्रचार हो तथा अगर कुछ लोग किसी कारण से यूट्यूब पर नहीं जा सकते तो उनको सुनाने के प्रयास में, मैंने ऑडियो को यहां पर प्रस्तुत किया है।  कुमाऊँनी धारावाहिक "आज, अल्लै, अघिल"  के  भाग-१ की ऑडियो आप नीचे के लिंक पर अरुण प्रभा पंत जी की अपनी आवाज में सुन सकते हैं:-   


कुमाउँनी धारावाहिक "आज, अल्लै, अघिल" को अरुण प्रभा पंत जी ने फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी शब्द सम्पदा  पर गद्य रूप में पोस्ट किया है।  लेकिन उसको वहां पर पढ़ पाना अब संभव नहीं हो पायेगा, क्योंकि फेसबुक ग्रुप के इंटरफ़ेस पर उसकी विभिन्न कड़ियों को वहां पर सर्च कर पढ़ पाना आसान नहीं है।  अगर संभव हुआ तो मेरा प्रयास होगा की उसे यहाँ पर भी उपलब्ध करा पाऊं। 

कुमाऊँनी "पीटार" चैनल पर अरुण प्रभा पंत जी ने कुमाऊँनी भाषा को बहुत रोचक ढंग से बोलना सिखाया है।  ऑडियो-विडिओ के माध्यम से शब्दों का उच्चारण और साधारण बोलचाल में उनके व्यवहारिक प्रयोग के बारे में बताया गया है|  यहां  विशिष्ट कुमाऊँनी शब्दों के  बारे में जहाँ संभव हुआ है काफी विस्तार से जानकारी दी गयी है।  साथ ही कुमाऊं की परम्पराओ और इतिहास के बारे में भी यथोचित जानकारी स्थान-स्थान पर दी गयी है।  यह चैनल कुमाऊँनी भाषा के जानकारों तथा ऐसे कुमाऊँनी, जो कुमाऊँनी भाषा बोलना सीखना चाहते हैं, दोनों के लिए ही समान रूप से उपयोगी है।  


सभी कुमाऊँनी भाषा व संस्कृति प्रेमियों से अनुरोध है की कुमाऊँनी भाषा व संस्कृति के बारे में विस्तार से जानने के लिए अरुण प्रभा पंत जी के यूट्यूब चैनल "पीटार" को सब्स्क्राईब करें|  अगर आप "पीटार" चैनल को सब्स्क्राईब करते हैं तो आप कुमाऊँनी भाषा के बारे में लगातार और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही नयी अपलोड वीडियोज का नोटिफिकेशन भी आपको प्राप्त होता रहेगा।

अरुण प्रभा पंत जी का कुमाऊँनी धारावाहिक "आज, अल्लै, अघिल" ....... ( भाग-२)






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